Vikas Dubey Encounter: आठ दिन, कईं एनकाउंटर और विकास दुबे की गैंग खत्म!

Edited By Anil dev,Updated: 10 Jul, 2020 10:49 AM

kanpur vikas dubey police encounter

कुख्यात अपराधी एवं कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार सुबह कानपुर के भौती इलाके में पुलिस मुठभेड़ मे मारा गया। पुलिस अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। कानपुर के एडीजी जेएन सिंह ने बताया कि...

नई दिल्ली: कुख्यात अपराधी एवं कानपुर के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले का मुख्य आरोपी विकास दुबे शुक्रवार सुबह कानपुर के भौती इलाके में पुलिस मुठभेड़ मे मारा गया। पुलिस अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। कानपुर के एडीजी जेएन सिंह ने बताया कि पुलिस और एसटीएफ की गाडिय़ां विकास को उज्जैन से ला आ रही थी, तभी अचानक एक गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गयी। उसमें बैठे विकास दुबे ने भागने की कोशिश की जिसके बाद पुलिस मुठभेड़ हुई और वह घायल हो गया। सिंह ने बताया कि हादसे के बाद दुबे ने एक एसटीएफकर्मी की पिस्तौल छीन ली और भागने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उसे घेर लिया और दोनों तरफ से हुयी गोलीबारी में वह घायल हो गया । उन्होंने बताया कि विकास को तुरंत हैलट अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। आईए जानते हैं कैसे आठ दिन में खत्म हो गई विकास दुबे की बादशाहत। 


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पहला दिन 
दो और तीन जुलाई के बीच की रात को कानपुर में विकास दुबे और उसके गैंग के साथ मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई। इसमें एक पुलिस उपाधीक्षक भी शामिल थे।

दूसरा दिन 
इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने चार जुलाई को चौबेपुर थाने के प्रभारी को निलंबित कर दिया। इसी दिन अधिकारियों की टीम ने गांव में पहुंचकर गैंगस्टर के घर को ढहाना शुरू कर दिया। 

तीसरा दिन 
पुलिस ने दुबे के साथी दया शंकर अग्निहोत्री को कल्याणपुर(कानपुर) से गिरफ्तार कर लिया। अग्निहोत्री को मुठभेड़ के बाद पांच जुलाई को तड़के गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने अग्निहोत्री के पैर में गोली मारी थी। उस पर 25 हजार रुपए का इनाम था। 

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चौथा दिन
छह जुलाई को उत्तर प्रदेश पुलिस के तीन कर्मियों को निलंबित कर दिया गया। इन पर कानपुर मुठभेड़ के मुख्य आरोपी विकास दुबे को आगाह करने का आरोप था। 

पांचवां दिन 
उत्तर प्रदेश सरकार ने सात जुलाई को राज्य एसटीएफ के डीआईजी अनंत देव को पद से हटा दिया। मारे गए डीएसपी देवेंद्र मिश्रा द्वारा उन्हें कथित रूप से एक पत्र लिखा गया था, जिसमें गैंगस्टर विकास दुबे और चौबेपुर थाने के निलंबित प्रभारी के बीच कथित संबंधों की बात की गई थी। सात जुलाई को ही देर शाम चौबेपुर थाने के सभी 68 कर्मियों का जिला पुलिस लाइन में तबादला कर दिया गया। 

छठा दिन 
फरीदाबाद (हरियाणा) में आठ जुलाई को विकास दुबे के तीन गुर्गों को गिरफ्तार किया गया। यूपी एसटीएफ व स्थानीय क्राइम ब्रांच टीम के संयुक्त ऑपरेशन में ये गिरफ्तारियां की गईं। एक अधिकारी ने कहा कि दुबे भी फरीदाबाद में था उसने एक होटल में कमरा लेने की कोशिश की थी, जिसका सीटीटीवी फुटेज वायरल हो गया। जब तक स्थानीय पुलिस छापेमारी करती तब तक वह फरार हो गया। 

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सातवां दिन 
नौ जुलाई को उत्तर प्रदेश में अलग-अलग मुठभेड़ों में विकास दुबे के दो गुर्गों को ढेर कर दिया गया। ये दोनों कानुपर में आठ पुलिसकर्मियों के मारे जाने के मामले में वांछित थे। कार्तिकेय उर्फ प्रभात कानपुर में उस वक्त मारा गया, जब वह पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश कर रहा था। वहीं विकास दुबे के गैंग का एक और सदस्य प्रवीण उर्फ बौवा दुबे इटावा में मुठभेड़ में मारा गया। 

आठवां दिन
उत्तर प्रदेश के कानपुर में बरर क्षेत्र में पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे को मार गिराया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उज्जैन से कानपुर ला रही पुलिस का वाहन बरर क्षेत्र के अंतर्गत कानपुर भौंती मार्ग में पलट गया। हादसे के बाद भाग रहे विकास की पुलिस की गोली लगने से मृत्यु हो गई।      

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