Kanya Pujan 2019: ये है कंजक पूजा का शुभ मुहूर्त और सही विधि

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Oct, 2019 12:28 PM

kanya pujan 2019

29 सितंबर से नवरात्रि पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा का विधान है। जो लोग नवदुर्गा की विशेष कृपा चाहते हैं, वे उपवास रखते हैं। शास्त्रों के अनुसार व्रत के

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29 सितंबर से नवरात्रि पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा का विधान है। जो लोग नवदुर्गा की विशेष कृपा चाहते हैं, वे उपवास रखते हैं। शास्त्रों के अनुसार व्रत के आठवें दिन यानि अष्टमी तिथि पर नौ कन्‍याओं के पूजन का विधान है। कल 6 अक्‍टूबर को अष्‍टमी का पर्व मनाया जाएगा। अष्‍टमी तिथि का प्रारंभ 5 अक्‍टूबर की सुबह 9 बजकर 51 मिनट से हो जाएगा और इसका समापन 6 अक्‍टूबर की सुबह 10 बजकर 54 मिनट पर होगा। अत: रविवार की सुबह कन्या पूजा करना शुभ रहेगा।

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अष्‍टमी को मां दुर्गा के आठवें रूप महागौरी की पूजा का विधान है। कंजक पूजन और लोंगड़ा पूजन के उपरांत नवरत्रि की पूजा का समापन हो जाता है। नौ दिन तक उपवास रखकर मां दुर्गा का पूजन करने वाले भक्त अष्टमी अथवा नवमी को अपने व्रत का समापन करते हैं। नवरात्र के दौरान आठवें अथवा नौवें दिन सुबह के समय कन्या पूजन किया जाता है। माना जाता है कि आहुति, उपहार, भेंट, पूजा-पाठ और दान से मां दुर्गा इतनी खुश नहीं होतीं, जितनी कंजक पूजन और लोंगड़ा पूजन से होती हैं। अपने भक्तों को सांसारिक कष्टों से मुक्ति प्रदान करती हैं।

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नौ कन्‍याओं और एक बालक यानि लोंगड़ा को अपने घर आमंत्रित करें। माना जाता है कि लोंगड़े के अभाव में कन्या पूजन पूर्ण नहीं होता। एक कन्या का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दो कन्याओं का पूजन करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है। तीन कन्याओं की पूजा करने से धर्म, अर्थ व काम, चार कन्याओं की पूजा से राज्यपद, पांच कन्याओं की पूजा करने से विद्या, छ: कन्याओं की पूजा द्वारा छ: प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। सात बालिकाओं की पूजा द्वारा राज्य की, आठ कन्याओं की पूजा करने से धन-संपदा तथा नौ कन्याओं की पूजा से पृथ्वी प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।

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कन्या की उम्र दो साल से लेकर 10 साल तक होनी चाहिए। बालक को बटुक भैरव के रुप में पूजा जाता है। कन्‍याओं के पैर धोएं, बैठने के लिए आसन दें। फिर उन्‍हें रोली, कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं। कलाई पर मौली बांधें। नवदुर्गा के चित्रपट या प्रतिमा को दीपक दिखाकर आरती उतारें। मां को पूरी, चना और हलवा का भोग लगाएं। फिर उसे सभी कंजकों और बालक को दें। साथ में यथाशक्ति भेंट और उपहार भी दें। अंत में कन्‍याओं के पैर छूकर उन्‍हें विदा करें। उनसे आशीर्वाद के रूप में थपकी अवश्य लें।

2 वर्ष की कन्या कुमारी, तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्तिनी, 4 वर्ष की कल्याणी, 5 वर्ष की रोहिणी, 6 वर्ष वाली कल्याणी, 7 वर्ष वाली चंडिका, आठ वर्ष वाली शाम्भवी, नौ वर्ष वाली दुर्गा तथा 10 वर्ष वाली कन्या सुभद्रा स्वरूपा मानी जाती है। कन्याओं को विशेष तौर पर लाल चुन्नी और चूड़ियां भी चढ़ाई जाती हैं।  

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