जवान के शौर्य की कहानी उनकी जुबानी, जब गुत्थम-गुत्था की लड़ाई में ढेर किए 6 पाक सैनिक

Edited By Seema Sharma,Updated: 26 Jul, 2019 11:38 AM

kargil diwas the story of the courage of the jawans

कारगिल युद्ध में राष्ष्ट्रपति द्वारा वीर चक्र से सम्मानित 13 जम्मू और कश्मीर राईफल्स के नायब सूबेदार (तत्कालीन राईफलमैन) मेहर सिंह ने बताया कि प्वाइंट 5140 पर कब्जा करतेे समय गुत्थम-गुत्था की लड़ाई में भी पाकिस्तानी आर्मी

नेशनल डेस्कः कारगिल युद्ध में राष्ष्ट्रपति द्वारा वीर चक्र से सम्मानित 13 जम्मू और कश्मीर राईफल्स के नायब सूबेदार (तत्कालीन राईफलमैन) मेहर सिंह ने बताया कि प्वाइंट 5140 पर कब्जा करतेे समय गुत्थम-गुत्था की लड़ाई में भी पाकिस्तानी आर्मी के 6 सैनिकों को मार गिराया गया था। नायब सूबेदार (तत्कालीन राईफलमैन) मेहर सिंह ने कारगिल युद्ध जिसे ‘आपरेेशन विजय' के नाम से भी जाना जाता है के अपने अनुभवों को सांझा करते हुए बताया कि 1999 में उनकी यूनिट सोपोर (कश्मीर घाटी) में कार्यरत थी। अचानक कारगिल में हालात खराब होने के कारण ब्रिगेड कंमाडर ने यूनिट को ऑपरेशन विजय में भाग लेने का हुक्म दिया। इस ऑपरेशन के लिए वेे 6 जून 1999 को सोपोर से सुबह चलना आरंभ किया और शाम को गुमरी नामक जगह पर पहुंच गए।
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उन्होंने बताया कि यहां पर बहुत ही कम समय में हमारी यूनिट ने अक्लाईमैटाईजेशन किया और 12 जून 1999 को कमांडिग आफिसर का सैनिक सम्मेलन हुआ। उसमें कहा गया कि हमारी यूनिट को तोलोलिंग के आगे हम्प नंबर आठ, नौ, दस और रॉकी नॉब तथा प्वाइंट 5140 के उपर कब्जा करना है। 12 जून 1999 को हमारी यूनिट ने वहां से चलना शुरू किया और शाम को को ही बटालियन टैक हैडक्वाटर (द्रास) में पहुंच गई। यहां पर हमारे कैंम्प के ऊपर पाकिस्तान की आर्मी का भारी आर्टी फायर आना शुरू हो गया जहां जवानों ने पत्थरों की आड़ लेते हुए पूरी रात काटी। नायब सूबेदार ने बताया कि हमने 13 जून 1999 को सुबह सूर्य उदय होने से पहले तोलोलिंग पहाड़ी की ओर चलना आरंभ कर दिया।
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रास्ते में पाकिस्तान की आर्मी का भारी आर्टी फायर व समाल आर्मस फायर आने लगा लेकिन हम दृढ़ निश्चय के साथ आगे बढ़े रहेे। हम उसी शाम को तोलोलिंग पहाड़ी के उपर पहुंच गए। उन्होंने बताया कि यहां कंपनी और ब कम्पनी को हम्प नंबर आठ, नौ, दस तथा रॉकी नॅाब के उपर कब्जा करने का टास्क मिला था। जब कम्पनी और ब कम्पनी ने अपना टास्क पूरा कर दिया तो हमारे कंमाडिग आफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल योगेश कुमार जोशी ने हमारे कम्पनी कमांडर कैप्टन विक्रम बत्रा को बताया कि आपकी कंपनी प्वाइंट 5140 पर कब्जा करेगी।
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वीर चक्र से सम्मानित मेहर सिंह ने बताया कि हमारे कम्पनी कंमाडर कैप्टन विक्रम बत्रा ने पूरी कम्पनी को संगड़ो के बीच इकट्ठा किया और कहा कि ''डेल्टा कम्पनी के बहादुर जवानों आज यह मौका आ गया है जिसका हमें इंतजार था। अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के लिए हमें खून भी बहाना पड़े तो भी हमारी डेल्टा कम्पनी प्वाइंट 5140 के ऊपर कब्जा करेगी।'' 19 जून 1999 सुबह चार बजे हमने तोलोलिंग पहाड़ी से चढ़ना शुरू किया और तकरीबन सुबह सात बजे हम्प नम्बर आठ के ऊपर पहुंच गए। यहां पर ब कम्पनी पहले से ही कब्जा करके बैठी थी। इसमें 11 प्लाटून, लीडिंग प्लाटून का काम कर रही थी और इसकी नंबर एक सेक्शन लिडिंग सेक्शन का काम कर रहा था।

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