Edited By Monika Jamwal,Updated: 26 Jul, 2021 03:19 PM
शहीदों की चिताओं पर लेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों की यही आखिरी निशां होगा।
श्रीनगर (मोनिका जम्वाल): शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पर मिटने वालों की यही आखिरी निशां होगा। जी हां! प्ूरा देश आज उन वीरों को नमन कर रहा है जिन्होंने अपनी सरजमीन-ए-हिंदोस्तान की आन-बान और शान के लिए खुद को कुर्बान कर दिया। कारगिल विजय दिवस को अगर पूरा भारत शान से मना रहा है तो इसके पीछे हैं कुर्बानियां वीर सैनिकों की। उनके परिवारों का बलिदान।
करगिल विजय दिवस की 22 जयंतीपर कारगिल वाॅर मैमोरियल द्रास में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। लद्दाख के ले गवर्नर आर के माथुर इस मौके पर मुख्य अतिथि थे। उन्होंने शहीदों को नमन कर कार्यक्रम की शुरूआत की।
सर्विण विजय मशाल का स्वागत
सर्विणम विजय मशाल भी आज ही कारगिल पहुंची। भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध की जीत को याद करते हुऐ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस विजय मशाल को देश के चारों कोनों की यात्रा हेतु हरि झंडी दिखाई थी। जम्मू कश्मीर के प्रसिद्ध स्थलों से होती हुई यह मशाल आज कारगिल के शहीदों के स्थल पर पहुंची तो उसका भव्य स्वागत करने के लिए भारतीय सेना के सीडीएस जनरल बिपिन रावत स्वयं मौजूद रहे।
शहीदों के परिवारजनों ने लिया हिस्सा
22 वर्ष की विजयी गौरवगाथा में भाग लेने के लिए शहीदों के परिवारजनों ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया। जहां उन्होंने अपनों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी वहीं देश के लिए दिए गए बलिदान पर गर्व महसूस किया।
करगिल युद्ध
1999 में पाकिस्तान द्वारा उस समय के जम्मू कश्मीर राज्य के कारगिल और अबके यूटी लददाख के हिस्से में आए कारगिल में घुसपैंठ की कोशिश की गई थी। पाकिस्तान ने द्रास सैक्टर में कब्जा करने की कोशिश की थी पर भारतीय जवानों अदम्य साहस के आगे घुसपैंठियों को मुंह की खानी पड़ी। यह युद्ध करीब दो महीने और तीन सप्ताह तक चला था। इसमें 527 भारतीय जवान शहीद हो गये थे जबकि 1300 के करीब घायल हुये थे।