कर्नाटक संकटः SC के फैसले पर कांग्रेस कन्फ्यूज, सुरजेवाला ने उठाए सवाल तो सिंघवी ने की तारीफ

Edited By Seema Sharma,Updated: 17 Jul, 2019 03:57 PM

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बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने पर सुबह कांग्रेस ने इसकी सराहना की थी और कहा था कि भाजपा का ऑप्रेशन लोटस खत्म। वहीं कांग्रेस ने अब अपना बयान पलटे हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमान्य करार

नई दिल्ली: बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने पर सुबह कांग्रेस ने इसकी सराहना की थी और कहा था कि भाजपा का ऑप्रेशन लोटस खत्म। वहीं कांग्रेस ने अब अपना बयान पलटे हुए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमान्य करार और गलत मिसाल बताया है। दरअसल सुबह जब कोर्ट ने फैसला सुनाया तब अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे पार्टी की जीत बताया। उन्होंने कहा कि अदालत का फैसला हमारी जीत है, अब स्पीकर पर निर्भर करता है कि वो क्या फैसला लेते हैं। वहीं अब कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कोर्ट के फैसले पर सवाल किया और कहा कि इससे गलत मिलास पेश हुई है।
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कांग्रेस ने बुधवार को कहा कि कर्नाटक के सियासी संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने व्हिप को अमान्य करार दे दिया है और उन विधायकों को ‘‘पूर्ण संरक्षण'' दे दिया है जिन्होंने जनादेश के साथ विश्वासघात किया। कांग्रेस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने ‘‘बेहद खराब न्यायिक मिसाल'' पेश की है। कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस-जद(एस) के 15 असंतुष्ट विधायकों को राज्य विधानसभा के मौजूदा सत्र की कार्रवाई में भाग लेने के लिए बाध्य ना किया जाए और उन्हें इसमें भाग लेने या ना लेने का विकल्प दिया जाए।
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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के. आर. रमेश कुमार अपने द्वारा तय की गई अवधि के भीतर असंतुष्ट विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कई ट्वीट कर कहा कि व्हिप को निष्प्रभावी और संविधान की दसवीं सूची का विस्तार करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने खराब न्यायिक मिसाल पेश की है। उन्होंने कहा कि विधायकों को जिस तरह का पूर्ण संरक्षण दिया गया है वह पहले कभी नहीं सुना गया। उन्होंने हैरानी जताई कि क्या आदेश का मतलब यह है कि अदालत व्हिप कब लागू किया जाएगा, इसका फैसला करके राज्य विधानसभा के कामकाज में हस्तक्षेप कर सकती है। सुरजेवाला ने कहा कि दुखद है कि कोर्ट ने पिछले पांच वर्षों में मोदी सरकार द्वारा लोकतांत्रिक जनादेशों को पलटने के लिए दलबदल के अभिकल्पित इतिहास और संदर्भ को नहीं समझा। उन्होंने कोर्ट से उत्तराखंड में सरकार बनाने के लिए भाजपा की अवैध कोशिश को निष्प्रभावी करने के लिए मई 2016 को दिए अपने आदेश को याद करने का अनुरोध किया।

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प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार इन 15 विधायकों के इस्तीफों पर उस समय सीमा के भीतर निर्णय लेंगे जिसे वह उचित समझते हों। पीठ ने कहा कि 15 विधायकों के इस्तीफों पर निर्णय लेने के अध्यक्ष के विशेषाधिकार पर न्यायलाय के निर्देश या टिप्पणियों की बंदिश नहीं होनी चाहिए और वह इस विषय पर फैसला लेने के लिये स्वतंत्रत होने चाहिए। इसके साथ ही न्यायालय ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को उसके समक्ष पेश किया जाये। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में उठाये गये बाकी सभी मुद्दों पर बाद में फैसला लिया जाएगा।

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