Edited By Naresh Kumar,Updated: 23 Jul, 2019 08:50 PM
कर्नाटक में कुमार स्वामी सरकार के विधानसभा में विश्वास मत खोने के बाद पूरे देश की नजरें कर्नाटक की तरफ लग गई है और राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के अलावाआम लोग भी सोच रहें हैं कि आखिर कर्नाटक में आगे क्या होगा। संवैधानिक तौर प...
नई दिल्ली (नरेश कुमार): कर्नाटक में कुमार स्वामी सरकार के विधानसभा में विश्वास मत खोने के बाद पूरे देश की नजरें कर्नाटक की तरफ लग गई है और राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के अलावाआम लोग भी सोच रहें हैं कि आखिर कर्नाटक में आगे क्या होगा। संवैधानिक तौर पर इसके चार रास्ते निकल सकते हैं आइए जानने की कोशिश करते हैं आखिर राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे कर्नाटक में क्या लोगों को जल्द नई सरकार मिल पाएगी
विकल्प 1
भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश करेगी
भाजपा 224 सदस्यों की विधानसभा में 16 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है लिहाजा अब विधानसभा 208 सदस्यों की रह गई है। इसका मतलब यह है कि अब बहुमत साबित करने के लिए अब भाजपा को 105 विधायकों का सर्मथन जुटाना होगा। मंगलवार को पेश हुए विश्वास मत में भाजपा को 105 सदस्यों का समर्थन हासिल हुआ है इस लिहाज से भाजपा की सरकार आसानी से बन सकती है लेकिन इसमें तकनीकि पेच ये है कि सभी 16 विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो और विधानसभा ही तकनीकि रूप से 208 सदस्यों की रह जाए। ऐसा नहीं भी होता है तो भाजपा राज्य में अल्पमत की सरकार चला सकती है।
2 विकल्प
राज्यपाल के माध्यम से चल सकती है सरकार
कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का हवाला देकर केंद्रीय गृह मंत्रालय से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर सकते हैं और विधानसभा को भंग करने की बजाए स्थगन मोड़ में रखकर राजनीतिक रास्ता तलाशा जा सकता है। जितने समय तक विधानसभा स्थगन मोड़ में रहेगी उतने समय तक राज्य का प्रशासनिक काम गवर्नर के माध्यम से चलाया जा सकता है।
विकल्प 3
खाली हुई सीटों पर उपचुनाव
जिन 16 विधायकों ने अपनी सदस्यता से इस्तीफा दिया है इनकी खाली हुई सीटों पर उपचुनाव करवाया जा सकता है लेकिन इस काम में समय लगेगा क्योंकि चुनाव आयोग सीटों को खाली करने की घोषणा से लेकर चुनाव करवाने तक में 2 महीने तक का समय ले सकता है। बहुत हद तक संभव है कि कर्नाटक में 16 सीटों का उपचुनाव अक्तूबर नवंबर में होने वाले महाराष्ट्र हरियाणा और झारखंड के विधानसभा चुनाव के साथ ही हो। ऐसी स्थिति में भी कर्नाटक में 2 महीने राज्यपाल के हवाले ही रहेगा।
विकल्प 4
मध्यावधि चुनाव
कर्नाटक के साथ साथ भाजपा की केंद्रीय लीडरशीप के कई नेता कर्नाटक में स्थिर सरकार देने का दावा कर रहे हैं और ये स्थिरता राज्य में दोबारा चुनाव करवा के ही आ सकती है। यदि भाजपा ने उपचुनाव का रास्ता न चुना तो कर्नाटक एक बार फिर 14 महीने बाद ही विधानसभा चुनाव में चला जाएगा। भाजपा के मध्यावधि चुनाव में जाने का एक कारण यह भी रहेगा कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने कर्नाटक में शानदार प्रदर्शन किया है। लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 28 मे से 25 सीटें जीती हैं और राज्य में राजनीतिक माहौल भाजपा के पक्ष में है।