BJP- कांग्रेस के लिए साख की लड़ाई बना कर्नाटक

Edited By Anil dev,Updated: 08 May, 2018 03:15 PM

karnataka elections bjp congress rahul gandhi manmohan singh

कर्नाटक चुनाव का रंग गहराता जा रहा है। जैसे जैसे ये रंग गहराता जा रहा है वैसे ही 2019 में होने वाले चुनाव की तस्वीर साफ होती जा रही है। अगर अतीत के चुनाव को देखे तो एक साल पहले ही माहौल बन जाता है। सरकारें वापस आती भी है और चली भी जाती है। इसलिए...

नई दिल्ली (आयुषी त्यागी): कर्नाटक चुनाव का रंग गहराता जा रहा है। जैसे जैसे ये रंग गहराता जा रहा है वैसे ही 2019 में होने वाले चुनाव की तस्वीर साफ होती जा रही है। अगर अतीत के चुनाव को देखे तो एक साल पहले ही माहौल बन जाता है। सरकारें वापस आती भी है और चली भी जाती है। इसलिए 2018 में होने वाले राजनीतिक घटना पर नजर रखना राजनीतिक घटनाक्रम पर राष्ट्रीय परिवेश से चर्चा करना और उसकी बारिकियों को समझना बेहद जरूरी है। कर्नाटक चुनाव के जरिए  2019 के लिए ऐजेंड़ा सेट किया जा रहा है। सबसे पहले सवाल ये उठता है कि क्या इस चुनाव में नरेंद्र मोदी की हार होगी या जीत, दूसरा सवाल क्या राहुल गांधी  इस चुनाव को जीतकर दोबारा कांग्रेस की मुहर लगवा पाएंगे। सबसे महत्वपूर्ण सवाल ये है कि क्या कर्नाटका चुनाव वाकई देश की सियासत बदल सकते है। माना जा रहा है कि गुजरात के बाद राहुल के लिए कर्नाटक चुनाव सबसे बड़ा इंतिम्हान है। आगें बढ़ने से पहले और कुछ समझने से पहले कर्नाटक का इतिहास जानना बेहद जरुरी है।  

क्यों बीजेपी के लिए जरूरी है कर्नाटक चुनाव     
देखा जाए तो 2014 में प्राचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी करने वाली बीजेपी की अब 22 राज्यों में शासन कर रही है।  यहां तक कि असम और त्रिपुरा जीतने और कुछ उत्तर पूर्वी राज्यों में भी सरकार बना कर वह पूरे भारत में छा गई है। अब बात करते है दक्षिण भारत की यहां अभी बीजेपी को अपने झंड़ा लहराना बाकी है। यहीं वजह है कि बीजपी के लिए कर्नाटक बेहद महत्वपूर्ण है।  

कांग्रेस के लिए क्यों कर्नाटक बना हुआ है साख
2014 में मिली शिकस्त के बाद कांग्रेस का दायरा धिरे-धिरे सिमटता जा रहा है। अब फिलहाल देश के चार राज्यों में कर्नाटक,पंजाब,तमिनाडु और मिजोरम मेें ही कांग्रेस की सरकार है। कांग्रेस के लिए ये चुनाव कितना खास है इस बात का अंदाजा इस बात ये ही लगाया जा सकता है कि कभी विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार ना करने वाले यूपीए सरकार में पूर्व प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह खुद कर्नाटक में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इतना ही नहीं यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी खुद कर्नाटक के चुनावी मैदान में उतरी है। पंजाब के बाद कर्नाटक कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है। इसके अलावा कर्नाटक से सोनिया का भी खास नाता रहा है। जब सोनिया ने सियासत में कदम रखा तो 1999 में हुआ पहला चुनाव उन्होंने अमेठी और कर्नाटक के बेल्लारी लेकसभा सीट से लड़ा था। उस वक्त बीजेपी ने बेल्लारी सीट से सोनिया के सामने नेता सुषमा स्वराज को मैदान में उतारा था। लेकिन सोनिया ने सुषमा को पछाड़ करारी हार दी और सांसद बनी। 

आखिर क्यों बेल्लारी सीट से ही लड़ी सोनिया
 इंदरा गांधी बेल्लारी को अपनी कर्मभूमि मानती थी यहीं कारण है कि सोनिया गांधी ने इसी सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया था। 

2019 के दृष्टिकोण से भी कांग्रेस के लिए बेहद खास है कर्नाटक चुनाव 
कर्नाटक चुनाव को 2019 का सेमीफाइनल माना जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञयों का कहना है कि ऐसे में अगर कांग्रेस ये चुनाव हार जाती है तो  2019 के गठबंधन पर भी इसका असर पड़ेगा। देखा जाए तो फूलपूर और गोरखपूर में जिस तरह कांग्रेस के साथ के बिना सपा ने वहां जीत हासिल की तो ऐसे में पार्टियां 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का साथ देने से पहले पार्टियां कई बार सोचेंगी। वहीं अगर बीजेपी ये चुनाव जीतती है तो उसे सीधे सीधे किसका मनोवैज्ञानिक लाभ मिलेगा।

जानें कैसा रहा कर्नाटक का राजनीति सफर
1 नवंबर 1956 में राज्च का पुनर्गठन अधिनियम के तहत किया गया था। पहले यह मैसूर के नाम से पहचाना जाता था। 1973 में राज्य का पुननिर्माकरण करते हुए इसका नाम कर्नाटक कर दिया गया था। 1973 में पुनर्गठन के बाद  से ही राज्य में राजनीतिक हलचल देखने वाली रही है। कर्नाटक के पहले मुख्यमंत्री डी देवराज उस्र कर्नाटक के जो पहले मुख्यमंत्री थे सिर्फ उन्होंने ही पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया है। अब उनके बाद ऐसे सीएम सिद्धारमैया है। इसी से साफ है कि राज्य की राजनीति में कितने उतार चढ़ाव आए है। 1997 से लेकर 2013 के बीच ऐसे मौके कई बार आए है जब राष्ट्रपति शासन लगाने पड़े। देश के अन्य हिस्सो की तरह ही यहां पर ज्यादातर शासन कांग्रेस का रहा है। 1983 में रामकृष्ण हेगड़े ने इस परंपरा को तोड़ी थी लेकिन उनका शासन ज्यागा दिन नहीं रहा था। साल 1994 में  एच. डी. देवेगौड़ा गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनें। 2006 में बीजेपी जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी और मुखंयमंत्री थे देवेगौड़ा के बेटे एच. डी. कुमारस्वामी। 2008 में पहली बार राज्य में येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी सरकार आई लेकिन इस पांच साल के शासन में बीजेपी ने 3 मुख्यमंत्री बदले। इसके बाद साल 2013 में कांग्रेस ने राज्य में अपनी सरकार बनाई।  

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!