Edited By Anil dev,Updated: 15 May, 2018 04:23 PM
कर्नाटक में मोदी मैजिक के सामने पिछडऩे के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ‘प्लान बी’ ने भाजपा की नींद उड़ा दी है। दरअसल गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव नतीजों से सबक लेते हुए कांग्रेस कर्नाटक में जोखिम मोल लेने के मूड में नहीं थी और शायद यही...
नई दिल्ली: कर्नाटक में मोदी मैजिक के सामने पिछडऩे के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ‘प्लान बी’ ने भाजपा की नींद उड़ा दी है। दरअसल गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव नतीजों से सबक लेते हुए कांग्रेस कर्नाटक में जोखिम मोल लेने के मूड में नहीं थी और शायद यही वजह है कि उसने नतीजों को लेकर तस्वीर साफ होते ही ‘प्लान बी’ के तहत तत्काल जदएस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया।
कर्नाटक चुनाव परिणाम में अब तक आए रुझानों से किसी भी पार्टी को बहुमत मिलता नहीं दिख रहा। ऐसे में राहुल का यह कदम सबसे ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टी भारतीय जनता पार्टी के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। अब तब आए रुझाानों में भाजपा को सबसे ज्यादा 108 सीटें मिलते दिख रही हैं। ऐसे में भाजपा ही राज्य में सरकार बनाने की प्रबल दावेदार है। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस ने एक कदम बढ़कर भाजपा के खिलाफ जेडीएस को समर्थन देने का ऐलान किया है उससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। त्रिशंकु विधानसभा के आसार को देखते हुए पार्टी ने चुनावी नतीजों से ठीक एक दिन पहले कल अपने दो वरिष्ठ नेताओं अशोक गहलोत और गुलाम नबी आजाद को बेंगलुरू भेजा।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि रात में ही गहलोत और आजाद ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा से फोन पर बात की और त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में जदएस का समर्थन करने के फैसले से उनको अवगत कराया। सूत्रों के मुताबिक पार्टी कुमारस्वामी के नेतृत्व में बनने वाली सरकार को बाहर से समर्थन देगी। कांग्रेस ने कर्नाटक में सरकार गठन के लिए जदएस को बिना शर्त समर्थन की पेशकश की है। कर्नाटक में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलता दिखाई नहीं दे रहा है। अब तक के नतीजों और रुझानों के मुताबिक भाजपा को 104, कांग्रेस को 76 और जदएस-बसपा गठबंधन को 40 सीटें मिलती दिखाई दे रही हैं। बहुमत का जादुई आंकड़ा 112 सीटों का है।