गुजरात की तर्ज पर PM मोदी पर अंतिम दांव लगाएगी भाजपा

Edited By Anil dev,Updated: 17 Apr, 2018 11:54 AM

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कर्नाटक में जीत एक ओर कांग्रेस के अंतर 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए आत्मविश्वास पैदा करेगी तो दूसरी ओर भाजपा की जीत मोदी को सर्वमान्य नेता के तौर पर पेश करने में मदद करेगी। इसलिए दोनों ही पार्टियां इस चुनाव को जीतने के लिए पूरा जोर लगा...

नई दिल्ली: कर्नाटक में जीत एक ओर कांग्रेस के अंतर 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए आत्मविश्वास पैदा करेगी तो दूसरी ओर भाजपा की जीत मोदी को सर्वमान्य नेता के तौर पर पेश करने में मदद करेगी। इसलिए दोनों ही पार्टियां इस चुनाव को जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही है। ऐसे में भाजपा गुजरात की तर्ज पर चुनाव के अंतिम दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनाव में उतारने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी ने पहले सोचा था कि कर्नाटक चुनाव जीताने के लिए यदियुरप्पा की काफी हैं। इसलिए भ्रष्टाचार के आरोप के बावजूद पार्टी ने  यदियुरप्पा को  मुख्यमंत्री का प्रत्याशी घोषित कर दिया। लेकिन जब पार्टी को लगा कि यदियुरप्पा से कर्नाटक चुनाव की नैय्या पार लगना मुश्किल है, तो अध्यक्ष अमित शाह को लगातार कर्नाटक जाना पड़ा। हाालंकि अमित शाह ने लगातार दौरा किया और वहां रणनीति भी बनाई लेकिन शाह का करिश्मा भी भाजपा को बड़ी जीत के नजदीक पहुंचाता नहीं दिखा। 

भाजपा-कांग्रेस में दिखाई गई कांटे की टक्कर 
पहले तो कई चुनाव सर्वेक्षणों में कांग्रेस को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर दिखाया गया और भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर दिखाई गई। हालांकि सर्वेक्षणों में भाजपा और कांग्रेस के बीच वोट प्रतिशत का अंतर तो केवल दो प्रतिशत दिखाया गया लेकिन कांग्रेस का पलड़ा भारी दिखाई दिया। यही नहीं भारतीय जनता पार्टी ने अपना आंतरिक सर्वे भी कराया  मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा ने एक पेशेवर एजेंसी द्वारा कर्नाटक विधानसभा चुनाव की जमीनी हकीकत समझने के लिए सर्वे कराया। पार्टी द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक राज्य की सियासी लड़ाई एकतरफा नहीं बल्कि भाजपा-कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला है।  सूत्रों के मुताबिक इस आंतरिक सर्वे के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्रीय नेताओं के चुनाव प्रचार में उतरने की मांग बढ़ी है।  पीएम मोदी ने जिस प्रकार गुजरात चुनाव में आखिरी दौर में उतरकर सियासी माहौल को पार्टी के पक्ष में बनाया था। उसी तर्ज पर कर्नाटक में भी प्रचार करने की संभावना मानी जा रही है। रविवार को भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में कर्नाटक के चुनाव प्रचार को धार देने की रणनीति बनाई गई। 

 कुछ दौरे कर चुके हैं मोदी अौर शाह
भाजपा के एक नेता का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में किए गए सर्वे में किसी भी पार्टी को स्पष्ट जीत मिलती नजर नहीं आ रही है।   हालांकि पार्टी के आंतरिक सर्वे के परिणाम को साझा नहीं किया गया है।  उन्होंने कहा कि अभी भी समय है और हमें उम्मीद है कि हमारे स्टार प्रचारक, पीएम नरेंद्र मोदी के राज्य में एक पूर्ण अभियान शुरू करने के बाद राज्य का माहौल बदलेगा और भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करेगी। गुजरात चुनाव के दौरान भी सियासी हालात भाजपा के अनुकूल नहीं थे, लेकिन मोदी के चुनाव अभियान में उतरने के बाद माहौल बदला था और पार्टी ने जीत हासिल की थी। मोदी-शाह अभी कुछ दौरे कर चुके हैं। पार्टी ने उनकी कई रैलियों का प्रोग्राम बनाया है। सूत्रों के मुताबिक अप्रैल के अंत में कर्नाटक में मोदी की 10-15 रैलियों का कार्यक्रम बनाया गया है। बता दें कि कर्नाटक में 12 मई को चुनाव होना है और अप्रैल के अंतिम सप्ताह और मई के प्रथम सप्ताह में मोदी को कर्नाटक में पूरा उपयोग करके वहां का माहौल बदलने की कोशिश की जाएगी। अब भाजपा को मोदी पर ही अंतिम दांव खेलना है। 

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