कर्नाटक चुनाव में PM मोदी को भारी पड़ सकती है यह गलती!

Edited By Anil dev,Updated: 08 May, 2018 05:31 PM

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कर्नाटक विधान सभा के 12 मई को होने वाले चुनाव को लेकर जबरदस्त खींचातानी चल रही है। चुनाव के लिए वोटिंग की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, चुनावी सरगर्मियां और भी बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। कर्नाटक में चाहे भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री और...

नेशनल डेस्क (अनिल देव): कर्नाटक विधान सभा के 12 मई को होने वाले चुनाव को लेकर जबरदस्त खींचातानी चल रही है। चुनाव के लिए वोटिंग की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, चुनावी सरगर्मियां और भी बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। कर्नाटक में चाहे भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित किया है पर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि राज्य की लड़ाई उनके और सिद्धरमैया के बीच नहीं हो रही है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के बीच हो रही है। मोदी अब तक कर्नाटक में एक दर्जन चुनावी सभाओं कर चुके हैं और इन सभी सभाओं में उन्होंने जिस अंदाज में सिद्धरमैया को अपना निशाना बनाया है। इस बात से यह सकेंत जा रहे हैं कि राज्य की लड़ाई मोदी और सिद्धरमैया के बीच की है। 
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दिल्ली और बिहार में चुनाव के दौरान विकास के नारे के साथ मैदान में उतरी भाजपा  की हार का कारण नरेंद्र मोदी का लक्ष्य से भटकना साबित हुआ। नरेंद्र मोदी के हाथों में कमान आने के बाद भाजपा ने सिर्फ दो राज्यों में चुनावी जंग लड़ी, लेकिन दोनों ही जगह उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। दोनों राज्यों में जंग नरेंद्र मोदी बनाम सीएम पद का चेहरा हो गई थी। दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रधानमंत्री मोदी ने अरविंद केजरीवाल को घेरना शुरू किया और कांग्रेस को भूल ही गए। जिसका खामियाजा उन्हें रिज्लट वाले दिन भुगतना पड़ा। अंत में हालत ऐसी हुई कि 70 सीटों वाले विधानसभा में भाजपा के खाते में विपक्ष के नेता का पद पाने लायक सीटें भी नहीं मिली। इसी तरह बिहार में तो मोदी ने नीतीश कुमार का डीएनए तक जांचने की बात कर दी। दिल्ली के बाद यह दूसरा राज्य था जहां भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। 
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हैरान कर देने वाली बात यह भी है कि इन चुनावों में भाजपा में रणनीति के तहत येदियुरप्पा को प्रधानमंत्री मोदी की सभाओं से दूर रखा है। राज्य में हर जगह मोदी का चेहरा दिखाई दे रहा है, हर जगह अमित शाह परदे के पीछे से रणनीति बनाते दिख रहे हैं। इस बात से भी जनता के बीच यह संदेश जा रहा है कि इस बार की कर्नाटक में येदियुरप्पा नहीं, बल्कि खुद प्रधानमंत्री मोदी चुनाव लड़ रहे हैं। सवाल है कि क्या भाजपा की यह रणनीति कर्नाटक में कामयाब होगी या पार्टी को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगा। 
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