Edited By Anu Malhotra,Updated: 15 Jun, 2022 11:02 AM
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान बेहद दिलचस्प टिप्पणी की। दरअसल, भाग कर अपने प्रेमी से शादी करने पर बेटी की कस्टडी की याचिका दायर करने वाले एक पिता के केस में कोर्ट ने कहा कि माता-पिता से पहले कोई देवता नहीं हैं और कोई उन्हें वापस नहीं कर सकता।
बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान बेहद दिलचस्प टिप्पणी की। दरअसल, भाग कर अपने प्रेमी से शादी करने पर बेटी की कस्टडी की याचिका दायर करने वाले एक पिता के केस में कोर्ट ने कहा कि माता-पिता से पहले कोई देवता नहीं हैं और कोई उन्हें वापस नहीं कर सकता। हांलाकि इसके साथ ही कोर्ट ने लड़की को पति के साथ रहने की अनुमति दी लेकिन इसके साथ ही अदालत ने आगाह करते हुए कहा कि उसने अपने माता-पिता के साथ जो किया है, कल को उसके बच्चे भी उसके साथ वैसा ही व्यवहार कर सकते हैं। अदालत ने आगे कहा कि ऐसे माता-पिता हैं, जिन्होंने अपने बच्चों के लिए सब कुछ बलिदान कर दिया और ऐसे बच्चे हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता के लिए सब कुछ छोड़ दिया है।
दरअसल, 19 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्रा के पिता टी.एल. नागराजू ने अपनी बेटी के लापता होने पर अदालत में एक याचिका दायर की थी। पिता ने कोर्ट से अपनी बेटी की कस्टडी उन्हें सौंपने की गुहार भी लगाई थी। इंजीनियरिंग की छात्रा (बेटी) ने एक ड्राइवर से शादी की है, न्यायमूर्ति बी. वीरप्पा और न्यायमूर्ति के.एस. हेमलेखा ने कहा कि प्यार अंधा होता है और उन्हें माता-पिता का प्यार नजर नहीं आता।
पीठ ने कहा कि माता-पिता के साथ जो किया गया, वह कल बच्चों के साथ भी हो सकता है, जब आपस में प्यार की कमी होती है, तब ऐसी परिस्थितियां पैदा होती हैं। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि लड़की वयस्क है और जिस युवक से वह प्यार करती है, उससे शादी कर ली है, उसके पति ने भी अदालत को आश्वासन दिया कि वह पत्नी की ठीक से देखभाल करेगा। इसके साथ ही अदालत ने लड़की के पिता की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कानून भले ही वैध विवाह की शर्तों को विनियमित कर सकता है, लेकिन जीवनसाथी चुनने में माता-पिता सहित समाज की कोई भूमिका नहीं है।