Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Mar, 2018 04:48 PM
कर्नाटक चुनाव की तारीख कथित तौर पर लीक होने के मामले में शिवसेना ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि लोकतंत्र के स्तंभों को ध्वस्त किया जा रहा है। शिवसेना ने चुनाव आयोग पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया। पार्टी ने चुनाव आयोग से सवाल किया...
मुंबई: कर्नाटक चुनाव की तारीख कथित तौर पर लीक होने के मामले में शिवसेना ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि लोकतंत्र के स्तंभों को ध्वस्त किया जा रहा है। शिवसेना ने चुनाव आयोग पर सरकार के दबाव में काम करने का आरोप लगाया। पार्टी ने चुनाव आयोग से सवाल किया है कि वह‘ भाजपा के अनुरूप’ काम कर रही है। शिवसेना की यह टिप्पणी भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख के एक विवादित ट्वीट के संबंध में आई है। दरअसल भाजपा के आईटी सेल प्रमुख ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीख की घोषणा चुनाव आयोग से पहले कर दी थी। पार्टी ने कहा, ऐसा माना जाता था कि चुनाव आयोग निष्पक्ष रहेगा लेकिन कर्नाटक चुनाव में यह साबित नहीं हो पाया।’’ शिवसेना ने अपने मुखपत्र‘ सामना’ के संपादकीय में कहा, जैसा कि विपक्ष दावा करता है कि चुनाव आयोग सरकार के दबाव में काम कर रहा है। यह बात भाजपा ने सही साबित कर दी है।’’
मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत के कर्नाटक चुनाव की तारीखों की आधिकारिक घोषणा से पहले भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कर्नाटक चुनाव की तारीखों के संबंधमें ट्वीट किया था। उन्होंने बताया था कि चुनाव 12 मई को होगा और मतों की गिनती 18 मई को होगी। मालवीय चुनाव आयोजित होने की तारीख के मामले में तो सही थे लेकिन गिनती के मामले में गलत थे। मतों की गिनती 15 मई को होने वाली है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी का कहना है, भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय नाम के व्यक्ति ने चुनाव आयोग से भी पहले विधानसभा चुनाव की तारीख जारी कर दी। क्या किसी व्यक्ति द्वारा यह जानकारी लीक की गई या फिर चुनाव आयोग ने भाजपा की सहूलियत के हिसाब से काम करने का फैसला किया है।’’
सेना ने अपनी सहयोगी पार्टी पर हमले करते हुए कहा कि चुनाव आयोग के पूर्व प्रमुखों को राज्य सभा के टिकट दिए जा रहे हैं, उन्हें मंत्री बनाया जा रहा है और राज्यपाल के पद दिए जा रहे हैं। ये सभी इस बात के संकते हैं कि वह निष्पक्ष नहीं रह गए हैं। नोटबंदी के फैसले का हवाला देते हुए शिवसेना ने कहा कि सरकार का बड़े मूल्य के नोटों को चलन से बाहर करना पूरी तरह से नाकामयाब फैसला था। और यहां तक कि नोटबंदी की घोषणा से पहले ही गुजरात के एक समाचारपत्र में इस बारे में एक खबर भी प्रकाशित की गई थी। शिवसेना ने कहा, ऐसी स्थिति में क्या संवैधानिक पदों के लिए आदर- सम्मान का भाव रह गया है? हमारे लोकतंत्र के स्तंभों को ध्वस्त किया जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ने तो पहले से ही चुनाव आयोग में विश्वास खत्म कर दिया है। बाकी जो भी कुछ इसमें विश्वास बच गया था, वह कर्नाटक मुद्दे से समाप्त हो गया।