1947 के बंटवारे ने दो दोस्तों को किया था जुदा, 74 साल बाद करतारपुर में हुई मुलाकात, तस्वीर कर देगी भावुक

Edited By Anil dev,Updated: 23 Nov, 2021 06:21 PM

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“बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा, सलामत रहे दोस्ताना हमारा!” अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा की दोस्ती पर फिल्माया यह गाना आपको याद ही होगा। दोस्ती का एक ऐसा ही किस्सा करतारपुर के गुरद्वारा दरबार साहिब में देखा गया जहां 1947 में भारत विभाजन के दौरान अलग...

नेशनल डेस्क: “बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा, सलामत रहे दोस्ताना हमारा!” अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा की दोस्ती पर फिल्माया यह गाना आपको याद ही होगा। दोस्ती का एक ऐसा ही किस्सा करतारपुर के गुरद्वारा दरबार साहिब में देखा गया जहां 1947 में भारत विभाजन के दौरान अलग हुए दोस्तों ने कभी सोचा न होगा कि वह 74 साल मिल पाएंगे। भारत के 94 साल के सरदार गोपाल सिंह दरबार साहिब पहुंचे तो उन्हें नहीं पता था कि वह विभाजन के दौरान अपने खोए दोस्त मुहम्मद बशीर से मिल पाएंगे। 91 बरस के बशीर पाकिस्तान के नरोवाल शहर से हैं। 74 साल बाद एक-दूसरे को देख दोनों की आंखों में आंसू गए है। 


हाल ही में भारत से जब गोपाल सिंह करतारपुर साहिब का दर्शक करने पहुंचे तो वहां उनकी मुलाकात अपने बिछड़े हुए दोस्त बशीर से हो गई जो पाकिस्तान के नरोवाल शहर में रहते हैं। पाकिस्तान के न्यूज आउटलेट डॉन के अनुसार दोनों जब छोटे थे तो साथ में यहां दर्शन करने जाते थे और चाय-नाश्ता करते थे। एक शख्स ने ट्विटर पर दोनों का जिक्र करते हुए लिखा कि धर्म और तीर्थ यात्रा से अलग दिल को छू लेने वाली ये कहानी करतारपुर साहिब की है। इसकी फोटो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है। इस तस्वीर पर लोगों के शानदार मैसेज आ रहे हैं। एक यूजर्स ने लिखा कि यह एक मूवी की भांति है। सालों पश्चात् दोनों मित्रों के मिलने पर लोगों ने खुशी व्यक्ति है। सोशल मीडिया पर इस दिल को छू लेने वाली तस्वीर को काफी पंसद किया जा रहा है। 

 

 


 

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