Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Oct, 2019 09:33 AM
सुहागिनों का महत्वपूर्ण पर्व करवाचौथ 17 अक्तूबर को चंद्रमा रात्रि करीब 8.18 से 9.09 बजे के बीच देखा जा सकेगा। यह चंद्रमा विभिन्न शहरों में अलग-अलग समय पर नजर आएगा।
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जैतो (पराशर): सुहागिनों का महत्वपूर्ण पर्व करवाचौथ 17 अक्तूबर को चंद्रमा रात्रि करीब 8.18 से 9.09 बजे के बीच देखा जा सकेगा। यह चंद्रमा विभिन्न शहरों में अलग-अलग समय पर नजर आएगा। यह जानकारी पंडित शिवकुमार शर्मा जैतो ने दी। उन्होंने कहा कि भारत में महिलाएं इस व्रत को दिनभर निर्जल अपने अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही अपना व्रत पूरा करती हैं।
मन में रहता है प्रेम
पति-पत्नी में भले ही कितनी ही नोक झोंक क्यों न हो, परंतु पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखना कोई महिला नहीं भूलती, क्योंकि पत्नियों के लिए गृहस्थी में होने वाली खटपट एक आम बात है तथा दिल में पति के लिए झलकता प्यार किसी नाराजगी को हमेशा के लिए रहने भी नहीं देता। इस दिन महिलाएं अपनी घरेलू जिम्मेदारियों के साथ ऑफिस जा कर भी निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को घर लौट कर पूरे विधि-विधान से करवा चौथ की पूजा करती हैं। करवाचौथ इस बात का प्रतीक है कि पत्नी अपने जीवन साथी के प्रति प्यार, विश्वास, सहयोग एवं समर्पण की भावना का आजीवन पालन करती है और मुश्किल समय में उसका साथ निभाने का वचन भी वह हर हाल में निभाती है। एक पत्नी शिद्दत से व्रत रख कर खामोशी से ही अपनी मोहब्बत जता देती है।
परिवार पर भी अच्छा असर
एक पत्नी जब अपने पति के लिए इस प्रकार के व्रत रखती है, तो पति एवं पत्नी के मधुर संबंधों का सकारात्मक असर बच्चों और बुजुर्ग मां एवं बाप पर भी पड़ता है। पति और पत्नी के बीच मन में एक दूसरे के लिए प्रेम रहने पर परिवार के अन्य सदस्यों से भी आत्मीयता हो जाती है।
पति भी देते हैं साथ
करवाचौथ व्रत के दिन महिलाएं अपने जीवन साथी के प्रति प्रेम की भावना से भरी होती हैं, परंतु इस मामले में पति भी पीछे नहीं रहते, वे भी हर काम में अपनी पत्नी को सहयोग करते हैं तथा तोहफों के रूप में अपना प्यार पत्नी के ऊपर उंडेल देना चाहते हैं। भले ही बाकी दिनों में वे ऑफिस से देर से घर आएं, परंतु इस दिन वे समय पर घर आ जाते हैं, ताकि उनकी पत्नी सही समय पर पूजा कर के कुछ खा सके।