Edited By Seema Sharma,Updated: 26 May, 2019 10:57 AM
हिन्दुस्तान को मिटाने चली महबूबा मुफ्ती का खुद का सियासी वजूद खत्म हो गया है। लोसभा चुनाव में उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। खुद महबूबा अनंतनाग सीट से नहीं जीत पाईं और तीसरे नंबर पर रहीं।
नेशनल डेस्क (संजीव शर्मा): हिन्दुस्तान को मिटाने चली महबूबा मुफ्ती का खुद का सियासी वजूद खत्म हो गया है। लोसभा चुनाव में उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत सकी। खुद महबूबा अनंतनाग सीट से नहीं जीत पाईं और तीसरे नंबर पर रहीं। इस करारी हार के साथ ही कश्मीर में छह माह पहले तक मुख्यमंत्री रहीं महबूबा मुफ़्ती और उनकी पार्टी पीडीपी के सियासी भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। तो आज चर्चा इसी सवाल की कि- तेरा क्या होगा महबूबा दरअसल 16 जून 2018 को सत्ता से बाहर होने के बाद से महबूबा मुफ्ती लगातार देश विरोधी और कश्मीर के आवाम को उकसाने वाले बयान देती रही हैं।
कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35A की पैरवी करते हुए महबूबा ने कहा था कि अगर इससे छेड़छाड़ हुई तो कश्मीर से भारत से रिश्ता टूट जाएगा। महबूबा ने धमकी भरे अंदाज में यहां तक कह दिया था कि न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दुस्तान वालों, तुम्हारी दास्तान तक भी न होगी दास्तानों में लेकिन यह बयान अब उनपर ही लागू हो गया है। अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद अप्रैल 2016 में महबूबा मुफ्ती ने बीजेपी के समर्थन के साथ जम्मू कश्मीर में सरकार संभाली थी। लेकिन उन्होंने अलगाववाद को खाद देना नहीं छोड़ा।
आखिरकार उनके इसी रुख के चलते पीडीपी और बीजेपी की दोस्ती टूट गई। इसके बाद महबूबा खुलकर पाकपरस्ती करने लगीं। वे पत्थरबाजों , अलगाववादियों और आतंकियों का समर्थन करने के साथ ही भारत विरोध पर उतर आईं लेकिन न सिर्फ अनंतनाग बल्कि पूरे कश्मीर के आवाम ने पीडीपी को बुरी तरह हराकर यह साबित कर दिया कि कश्मीर को भारत पसंद है।