Edited By Monika Jamwal,Updated: 18 Sep, 2020 01:08 PM
प्रवासी पंडित कर्मचारियों के लिए आवासीय क्वार्टरों का निर्माण कार्य अनंतनाग के वेसु में पूरे जोरों पर चल रहा है। कश्मीर में कई केंद्रीय योजनाओं के तहत निर्माण कार्य चल रहा है।
जम्मू : प्रवासी पंडित कर्मचारियों के लिए आवासीय क्वार्टरों का निर्माण कार्य अनंतनाग के वेसु में पूरे जोरों पर चल रहा है। कश्मीर में कई केंद्रीय योजनाओं के तहत निर्माण कार्य चल रहा है। इन आवासीय भवनों का निर्माण पंडित प्रवासियों के लिए किया जा रहा है, जिन्हें प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत अनंतनाग और कुलगाम जिलों में नियुक्त किया जा रहा है। तीन इमारतों को पूरा कर लिया गया है और पांच से अधिक भवनों के लिए निर्माण कार्य जारी है। तीन पूर्ण भवनों के आवासीय क्वार्टर पहले ही कर्मचारियों को आवंटित किए जा चुके हैं। प्रवासी पंडित कर्मचारियों, जिन्हें ये क्वार्टर मिले हैं, ने केंद्र द्वारा उठाए गए इस कदम की सराहना की। निर्माण कार्य मजदूरों और इलेक्ट्रीशियन के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा कर रहा है।
जनवरी 1990 को वो दिन माना जाता है जब कश्मीर के पंडितों को अपना घर छोडऩे का फरमान जारी हुआ था। कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तो जंग 1947 से ही जारी है, पर कश्मीर में स्थानीय स्थिति इतनी खराब नहीं थी। कई कहानियां हैं कश्मीरी मुसलमानों और कश्मीरी पंडितों के प्यार की। पर 1980 के बाद माहौल बदलने लगा। जिस जगह में कश्मीरी पंडित सदियों से रह रहे थे, उनको घर छोडऩे के लिए कहा जाने लगा। पहले तो आस-पास के लोगों ने सपोर्ट किया कि नहीं, आपको कहीं नहीं जाना है, पर बाद में कुछ तो डर और कुछ अपनी यूनिटी की भावना से कहने लगे कि बेहतर यही होगा कि आप लोग चले जाइए, क्योंकि बसों में ब्लास्ट होने लगे। यूं ही गोलियां चलने लगीं. ऐसा नहीं था कि सिर्फ पंडित ही मरते थे। मुसलमान भी मरते थे। पर धर्म की आग इतनी तेज थी कि उनके मरने की आवाज को आतंकवादियों ने दबा दिया। हर जगह यही धुन थी कि पंडितों को यहां से बाहर भेज देना है। बस तब से लेकर कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़ कर जम्मू व कई स्थानों में शरणार्थियों की तरह रह रहे हैं।