कश्मीरी पंडितों ने विदेशी राजनयिकों को दिखाए पोस्टर, घाटी को इस्लामिक आतंकवाद से करवाएं मुक्त

Edited By rajesh kumar,Updated: 10 Jan, 2020 07:31 PM

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जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्‍य का दर्जा छिनने के बाद वहां के हालात का जायजा लेने के लिए 16 देशों के राजनयिक दो दिवसीय दौरा कर रहे हैं। दौरे के दूसरे दिन प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीरी पंडितों से मुलाकात की। लेकिन जैसे ही प्रतिनिधिमंडल पंडितों की कॉलोनी पर...

जम्मू: जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्‍य का दर्जा छिनने के बाद वहां के हालात का जायजा लेने के लिए 16 देशों के राजनयिक दो दिवसीय दौरा कर रहे हैं। दौरे के दूसरे दिन प्रतिनिधिमंडल ने कश्मीरी पंडितों से मुलाकात की। लेकिन जैसे ही प्रतिनिधिमंडल पंडितों की कॉलोनी पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि मार्ग में दो कश्मीरी पंडितों ने राजनयिकों को स्लोगन लिखे हुए पोस्टर दिखाए। इन पोस्टरों पर लिखा था कि इस्लामिक आतंकवाद से कश्मीर को मुक्त कराया जाए। सरकार ने इस क्षेत्र में विस्थापित पंडितों के लिए करीब 4218 प्लैट बनाए हुए हैं। बता दें कि यह विस्थापित पंडितों के लिए सबसे बड़ी कॉलोनी है। 

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इन राजनयिकों ने बाद में पूर्व मंत्री अलताफ बुखारी के नेतृत्व में आठ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल समेत राजनेताओं से भी मुलाकात की। इस दौरान स्थानीय नेताओं ने उन्हें अनुच्छेद 370 के रद्द होने के बाद के हालात और संभावित दिशा के बारे में जानकारी दी। बुखारी ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि यह स्वतंत्र और उन्मुक्त माहौल में विचारों का आदान-प्रदान था और कहा कि प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के नेता थे। उन्होंने कहा आप यह कह सकते हैं कि यह उन नेताओं की बैठक थी जिनकी जम्मू कश्मीर के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में रुचि है। बता दें कि इस मुलाकात के कुछ ही देर बाद पीडीपी के आठ सदस्यों को पार्टी से बर्खास्त कर दिया गया है। 

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नेशनल कॉन्फ्रेंस ने दौरे को लेकर खड़े किए सवाल कहा, दौरा योजनाबद्ध है
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर में ‘‘हालात सामान्य'' होने के अपने दावे पर मुहर लगवाने वाले के लिए जिस तरह से विभिन्न देशों के राजनयिकों को यहां लाई है, उससे वह ‘‘निराश'' है। पार्टी ने आरोप लगाया कि राजनयिकों का घाटी दौरा योजनाबद्ध है जिसमें केवल उन्हें ऐसे चुनिंदा लोगों से मिलवाया गया जो सरकार के रुख के अनुरूप बोलते हैं। उसने कहा घाटी में हालात सामान्य होने के केन्द्र के दावे का समर्थन करवाने के लिए विदेशी राजदूतों को जिस तरह घाटी लाया गया, उससे नेशनल कॉन्फ्रेंस निराश है। पार्टी की ओर से जारी बयान के अनुसार नेकां इन राजदूतों से यह पूछना चाहेगी अगर जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य है तो तीन पूर्व मुख्यमंत्री सहित सैकड़ों लोग करीब 160 दिनों से नजरबंद क्यों हैं और पांच महीने से अधिक समय से लोगों को इंटरनेट का इस्तेमाल क्यों नहीं करने दिया जा रहा है ?

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गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने के बाद भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ आई जस्टर समेत 15 देशों के राजनयिक मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के लिए दो दिवसीय दौरे पर बृहस्पतिवार को श्रीनगर पहुंचे। राजनयिकों के इस प्रतिनिधिमंडल में अमेरिका के अलावा बांग्लादेश, वियतनाम, नॉर्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरक्को और नाइजीरिया के राजनयिक भी शामिल हैं।

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