Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 May, 2018 05:51 PM
फोटो पत्रकार मसरत जहरा के समर्थन में बुधवार को सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोग आगे आए, लेकिन इसके बावजूद अभी भी सोशल मीडिया पर कई लोग ऐसे हैं जो उन्हें बदनाम और परेशान कर रहे हैं।
श्रीनगर : फोटो पत्रकार मसरत जहरा के समर्थन में बुधवार को सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोग आगे आए, लेकिन इसके बावजूद अभी भी सोशल मीडिया पर कई लोग ऐसे हैं जो उन्हें बदनाम और परेशान कर रहे हैं। मसरत जहरा आतंकियों और सुरक्षा बलों के बीच होने वाली भीषण मुठभेड़ों के दौरान घटनास्थल पर फोटो खींचती रही हैं। वह श्रीनगर की सडक़ों पर पुलिस व अद्र्धसैनिक बलों और आंदोलनकारियों के बीच हिंसक झड़पों को भी कवर करती रही हैं। लेकिन, संघर्ष क्षेत्र में अपनी ड्यूटी निभाने में तमाम चुनौतियों का बहादुरी से सामना करने के बावजूद यह फोटो पत्रकार अपने खिलाफ ऑनलाइन चलाए जा रहे बदनामी के अभियान का सामना कर पाने में मुश्किलों का सामना कर रही है।
खुद के खिलाफ चलाए जा रहे इस साइबर अभियान पर बुधवार को प्रतिक्रिया देते हुए मसरत ने इसे शर्मनाक और निराशाजनक बताया। स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर काम करने वाली मसरत ने अपने फेसबुक पर लिखा कि पिछली रात मैंने एक मुठभेड़ स्थल से अपनी एक तस्वीर डाली और कुछ ही देर में लोगों ने उस फोटो के कैप्शन में मुखबिर लिखकर अपने पेज और वाल पर शेयर कर दिया। यह सच में हैरान करने वाला है। उस दिन मैं गंभीर रूप से घायल थी और मेरे पैर और कंधे में गहरी चोट लगी थी, इसके बावजूद मैंने अपना काम किया और टूटे हाथ से तस्वीरें खींची। यहां तक कि मेरा ट्राउजर भी फटा हुआ था और अब इस घटना को डेढ़ महीने होने को आ रहा है और मैं अब तक इससे नहीं उबर पा रही हूं। और ईमानदारी से कहूं तो मेरे माता-पिता अब नहीं चाहते हैं कि मैं इस क्षेत्र में रहूं।
विवादित तस्वीर की जा रही है शेयर
विवाद का कारण बनी तस्वीर में मसरत एक मुठभेड़ स्थल के पास सैनिकों की तस्वीर लेने के लिए तैयार हो रही है। सैनिकों के साथ देखे जाने की वजह से लोग सोशल मीडिया पर उन्हें जासूस और गद्दार बताते हुए उनकी तस्वीर साझा कर रहे हैं। मसरत के कई वरिष्ठ सहयोगियों ने उनके साथ एकजुटता दिखाते हुए ऐसी घटिया सोच वाले लोगों को बुरी तरह फटकार लगायी है।
पत्रकार आए पक्ष में
वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी ने फेसबुक पर लिखा कि हमारी युवा फोटो पत्रकार मसरत जहरा जिस कटु अनुभव से गुजर रही है, उस पर फेसबुक पर कुछ दोस्त (वे सिर्फ फेसबुक के दोस्त साबित हुए) जो चिंता जाहिर कर रहे हैं, उन्हें इस बात को स्वीकार करना चाहिए कि वे लोग भी ऐसे तत्वों के द्वारा की जाने वाली इस तरह की फतवेबाजी के लिए जिम्मेदार हैं। इनमें से कुछ लोग फर्जी खातों की आड़ लिए बैठे हैं, लेकिन एक दिन उनका भंडाफोड़ हो जाएगा और उन्हें खुदा के क्रोध का सामना करना होगा। कृपया अब आंसू ना बहाएं। कोई भी देख सकता है कि आप किस तरह ऐसे पागलों को बढ़ावा देते रहे हैं। लेकिन मैं मसरत ज़हरा के साथ खड़ा हूं और सोशल मीडिया पर चलाए जा रहे इस दुर्भावनापूर्ण अभियान की निंदा करता हूं।
एक अन्य पत्रकार ने भी बताया दुखद
इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए इश्तेयाक डार नाम के एक फेसबुक यूजर ने लिखा कि युद्ध के मैदान में इस तरह की घटनाएं देशभक्ति या इसके विपरीत कारणों की वजह से होती हैं। उभर रही फोटो पत्रकार मसरत जहरा को मुखबीर बताते हुए उन्हें ऑनलाइन बदनाम करने की घटना कोई नई बात नहीं है। यह हमारे समाज के बीमार होने का पुराना संकेत है जिसने इस काम के बारे में कपोल कथाओं को प्रश्रय दिया और उसका इस्तेमाल किया और नामकरण और मुखबीर नामों का सहारा लिया है क्योंकि ऐसा करना बहुत आसान है।
कुछ ने तय क्षेत्र की बात कही
सैयद बासित मसूदी लिखते हैं कि लडिक़यों के लिए तय क्षेत्र में होना बेहतर है, अपने आपको जोखिम में क्यों डालना है। क्या यह लैंगिक समानता की पश्चिमी परिभाषा नहीं है जिसका आप अनुसरण कर रही हैं, अपने धर्म का पालन करें, आप कभी भी अपनी गरिमा नहीं खोएंगी।