कठुआ मामला: बढ़ सकती हैं किशोर की मुश्किलें, बर्थ सर्टिफिकेट बना मुसीबत

Edited By Seema Sharma,Updated: 03 Jun, 2018 04:41 PM

kathua case teenage problems may increase

जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची से बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपी बनाए गए किशोर पर वयस्क के रूप में मुकद्दमा चलाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसके पिता द्वारा 14 साल पहले लिखे गए एक आवेदन को आधार बनाया है। आरोपी के पिता ने अपने तीन...

जम्मू/श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची से बलात्कार और हत्या के मामले में आरोपी बनाए गए किशोर पर वयस्क के रूप में मुकद्दमा चलाने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसके पिता द्वारा 14 साल पहले लिखे गए एक आवेदन को आधार बनाया है। आरोपी के पिता ने अपने तीन बच्चों के जन्म का पंजीकरण कराने के लिए यह आवेदन दिया था। अधिकारियों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस की अपराध शाखा ने निचली अदालत के उस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया है जिसमें ‘किशोर’ को नाबालिग मानने को कहा गया है। राज्य पुलिस ने अपनी याचिका के साथ इस आवेदन को भी संलग्न किया है। उन्होंने बताया कि इस आवेदन में बहुत सारी गलतियां हैं जो इसकी सत्यता को संदेह के घेरे में रखती हैं।

विशेषज्ञों के चिकित्सा बोर्ड की एक रिपोर्ट में किशोर की उम्र कम से कम 19 साल और 23 साल से अधिक नहीं बतायी गयी है। इस याचिका के साथ उस रिपोर्ट को भी संलग्न किया गया है। अदालत इस मामले पर छह जून को सुनवाई करेगी। याचिका के मुताबिक पिता द्वारा जम्मू प्रांत के हीरानगर के तहसीलदार कार्यालय में 15 अप्रैल 2004 को दाखिल कराए गए आवेदन में काल्पनिक प्रविष्टियां हैं। पिता ने इसमें अपने तीन बच्चों के लिए जन्म प्रमाणपत्र की मांग की है जिसमें बड़े बेटे की जन्मतिथि 23 नवंबर 1997, बेटी की जन्मतिथि 21 फरवरी 1998 और सबसे छोटे बेटे जो कठुआ मामले का आरोपी है की जन्मतिथि 23 अक्तूबर 2002 बताई गई।

याचिका में कहा गया है कि दोनों बड़े बच्चों के जन्म में दो महीने 28 दिन का अंतर दिखाया गया है जो किसी भी चिकित्सकीय मानक के लिहाज से संभव नहीं है। वहीं आरोपी के जन्म का स्थान हीरानगर का एक अस्पताल बताया गया है। लेकिन बाद में की गई जांच में पता चलता है कि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। प्रखंड के चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि 23 अक्तूबर 2002 को अस्पताल में आरोपी की मां के नाम पर कोई प्रसव दर्ज नहीं है। पुलिस के हलफनामे में कहा गया है कि मामले में शामिल आरोपी की उम्र निर्धारित करने में लापरवाह रवैया अपनाने से इसमें न्याय नहीं हो पाएगा।

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