Edited By Anil dev,Updated: 19 Apr, 2018 06:16 PM
कठुआ, उन्नाव सूरत और दूसरे शहरों में में बच्चियों और महिलाओं के साथ हो रहे गैंगरेप और उसके बाद उनकी हत्याओं के मामलों ने समाज के सभी वर्गो के लोगों में न केवल असतोष बल्कि असुरक्षा की भावना भी भर दी है। ऐसे वक्त में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स...
नई दिल्ली: कठुआ, उन्नाव सूरत और दूसरे शहरों में में बच्चियों और महिलाओं के साथ हो रहे गैंगरेप और उसके बाद उनकी हत्याओं के मामलों ने समाज के सभी वर्गो के लोगों में न केवल असतोष बल्कि असुरक्षा की भावना भी भर दी है। ऐसे वक्त में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच ने देश के मौजूदा सांसदों और विधायकों द्वारा अपने ऊपर घोषित अपराधों पर स्टडी की है। यह स्टडी बताती है कि देश के कितने सांसदों पर कितने और किस तरह के महिला विरोधी अपराध दर्ज हैं। देश के करीब 48 सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ महिलाओं के प्रति अपराध के मामले दर्ज हैं और इनमें भाजपा सदस्यों की संख्या सबसे ज्यादा 12 है। बलात्कार की घटनाओं को लेकर देश भर में जारी आक्रोश के बीच एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है। इनमें उत्तर प्रदेश के उन्नाव का मामला शामिल है जिसमें सत्तारूढ़ दल ( भाजपा ) का एक विधायक आरोपी है। साथ ही जम्मू - कश्मीर के कठुआ और गुजरात के सूरत में हुई बलात्कार की घटनाएं भी शामिल हैं। एसोसियेशन फोर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स ( एडीआर ) की रिपोर्ट के मुताबिक , अपने खिलाफ आपराधिक मामलों की घोषणा करने वाले 1,580 (33 प्रतिशत ) सांसदों / विधायकों में से 48 ने अपने खिलाफ महिलाओं के प्रति अपराध के मामले दर्ज होने की घोषणा की है। इनमें 45 विधायक और तीन सांसद शामिल हैं जिन्होंने इस तरह के अपराधों से जुड़े मामले दर्ज होने की घोषणा की है। इन मामलों में शील भंग करने के इरादे से किसी महिला पर हमला , अपहरण या शादी , बलात्कार , घरेलू हिंसा एवं मानव तस्करी के लिए मजबूर करने से संबंधित मामले शामिल हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि पार्टीवार भाजपा के सांसदों / विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा (12) है। इसके बाद शिवसेना ( सात ) और तृणमूल कांग्रेस ( छह ) आते हैं। रिपोर्ट मौजूदा सांसदों / विधायकों के 4,896 चुनाव हलफनामे में से 4,845 के विश्लेषण पर आधारित है। इनमें सांसदों के 776 हलफनामों में से 768 और विधायकों के 4,120 हलफनामों में से 4,077 का विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट में कहा गया , सभी प्रमुख राजनीतिक दल ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देते हैं जिनके खिलाफ महिलाओं के खिलाफ अपराध खासकर बलात्कार के मामले दर्ज हैं और इस तरह से वे नागरिकों के रूप में महिलाओं की सुरक्षा एवं गरिमा को प्रभावित कर रहे हैं। इसमें कहा गया , ऐसे गंभीर मामले हैं जिनमें अदालत ने आरोप तय कर दिए और संज्ञान लिया। इसलिए राजनीतिक दल एक तरह से इस तरह की घटनाओं से जुड़ी परिस्थितियों को बढ़ावा देते हैं जबकि वह संसद में इन्हीं घटनाओं की जोरदार तरीके से निंदा करते हैं। राज्यवार दृष्टि से महाराष्ट्र में इस तरह के सांसदों / विधायकों की संख्या सबसे ज्यादा (12) है और इसके बाद क्रमश : पश्चिम बंगाल (11), ओडिशा ( पांच ) और आंध्र प्रदेश ( पांच ) आते हैं।
एडीआर और नेशनल एलेक्शन वॉच ( न्यू ) ने सिफारिश की है कि गंभीर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों के चुनाव लडऩे पर रोक हो। साथ ही राजनीतिक दल उस मानदंड का खुलासा करे जिसके आधार पर उम्मीदवारों को टिकट दिए जाते हैं तथा सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई तेज की जाए एवं उनमें समयबद्ध तरीके से फैसला हो। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच सालों में मान्यता प्राप्त दलों ने ऐसे 26 उम्मीदवारों को टिकट दिए हैं जिनके खिलाफ बलात्कार से जुड़े मामले दर्ज हैं। इसी समयावधि में बलात्कार से जुड़े मामले में नामजद 14 निर्दलीय उम्मीदवारों ने लोकसभा , राज्यसभा और प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़े। विश्लेषण के मुताबिक मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने अपने खिलाफ महिलाओं के प्रति अपराध से जुड़े मामले दर्ज होने की घोषणा करने वाले 327 उम्मीदवारों को टिकट दिए। साथ ही पिछले पांच सालों में लोकसभा , राज्यसभा और प्रदेश विधानसभा चुनाव लडऩे वाले 118 निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ इस तरह के मामले दर्ज होने की घोषणा की।
प्रमुख दलों में पिछले पांच सालों में भाजपा ने इस तरह के सबसे ज्यादा 47 उम्मीदवारों को टिकट दिए। इसके बाद बसपा ने सर्वाधिक 35 और कांग्रेस ने ऐसे 24 उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पिछले पांच सालों में महाराष्ट्र में इस तरह के सबसे ज्यादा (65) उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। इसके बाद बिहार (62) और पश्चिम बंगाल (52) आते हैं। इनमें निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं।