केजरीवाल ने गिराई बिजली विरोधियों को लगा झटका

Edited By Pardeep,Updated: 02 Aug, 2019 05:24 AM

kejriwal dropped power opponents

दिल्ली की राजनीति में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिजली के दाम गिराकर एक बड़ा दांव खेल दिया है..लिहाजा उनकी घोषणा से विरोधी दलों के नेताओं को झटका जरूर लगा है। विधानसभा चुनाव चंूकि निकट हैं, इसलिए भी इस तरह की घोषणाओं पर राजनीतिक बवाल मचना है,...

नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिजली के दाम गिराकर एक बड़ा दांव खेल दिया है..लिहाजा उनकी घोषणा से विरोधी दलों के नेताओं को झटका जरूर लगा है। विधानसभा चुनाव चूंकि निकट हैं, इसलिए भी इस तरह की घोषणाओं पर राजनीतिक बवाल मचना है, लेकिन विरोध करने के लिए ठोस तथ्यों की जरूरत भी है, जो फिलहाल विपक्ष के पास नहीं है। 

आम आदमी पार्टी ने 2013 में राजनीति में कदम रखा और 2015 में दोबारा सत्ता में आई। अब लक्ष्य तीसरी बार गद्दी पर बैठने का है। इसलिए उसने अपना बड़ा दांव खेल दिया है। आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दोबारा बिजली फ्री, पानी सभी को सुलभ करवाने के बयान को जोरदार ढंग से रखा है ताकि कम से कम निचले तबके, मध्य वर्ग के मतदाताओं में सेंध लगाई जा सके। 

आकलन के अनुसार उपभोक्ताओं के आंकड़े इसलिए भी रोचक हैं क्योंकि आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ा लक्ष्य भाजपा को मिले मतों में सेंध लगाने का है। दरअसल वर्ष 2015 में आम आदमी पार्टी को मिले 48.78  लाख मतों से यदि 2019 के लोकसभा में मिले 15.71 लाख मतों की तुलना करें तो यह अंतर 33 लाख से अधिक है और आम आदमी पार्टी का लक्ष्य इस अंतर को पाटने का है। भाजपा ने 2015 में मिले मतों के मुकाबले 20 लाख से अधिक मतों की बढ़त हासिल की है और वह इस बढ़त को लेकर चलने के लक्ष्य पर चल रही है। 

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भाजपा को दिखाई दे रहा है कि लोकसभा चुनाव में जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों के उन बूथों पर उसे वोट मिले हैं जहां हमेशा सूखा रहता था, वैसा ही तीन तलाक के बाद उन्हें मत मिलने के आसार हैं। आम आदमी पार्टी ने समाज के मध्यमवर्गीय परिवारों के बजट को साधने का तीर चलकर सीधे उनकी भाजपा से हमदर्दी को अपनी तरफ मोडऩे का प्रयास किया है। 

वहीं राष्ट्रवाद के नाम पर भाजपा के साथ जुड़े निम्नवर्गीय मतदाताओं को भी कम से कम आप ने इस एक कदम से भाजपा से विमुख करने का एक दांव चला है। जानकार मानते हैं कि 2013 में महज तीन लाख मतों के अंतर से भाजपा से पिछडऩे वाली आम आदमी पार्टी अब चुनाव से पहले हर दांव खेलेगी। सरकार जानती है कि महंगाई के इस दौर में मध्यमवर्गीय परिवारों को यह राहत मिली तो वह भाजपा को पीछे धकेलने में कामयाब हो सकती है। 

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