जो काम 70 साल में नहीं हुआ, वह हमने 3 साल में कियाः अरविंद केजरीवाल

Edited By Seema Sharma,Updated: 18 Sep, 2018 05:32 PM

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियां विकास के जो काम 70 साल में नहीं कर पाईं, उन्हें आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में साढ़े 3 साल के कार्यकाल में कर के दिखा दिया है।

नेशनल डेस्कः दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दावा किया है कि कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियां विकास के जो काम 70 साल में नहीं कर पाईं, उन्हें आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में साढ़े 3 साल के कार्यकाल में कर के दिखा दिया है। हमारे संवाददाता रमनदीप सिंह सोढी के साथ विशेष बातचीत के दौरान केजरीवाल ने दिल्ली में स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली और पानी के क्षेत्र में सरकार द्वारा किए कार्यों के अलावा पंजाब में पार्टी की मौजूदा स्थिति, आने वाले लोकसभा चुनाव और केंद्र सरकार के 4 साल के कार्यकाल को लेकर बातचीत की। पेश है अरविंद केजरीवाल के साथ हुई पूरी बातचीत:

प्र.: पेट्रोल के दाम पर केंद्र सरकार राज्यों से वैट कम करने को कह रही है। क्या आप दिल्ली में वैट कम करेंगे?
उ.: 4 साल पहले जब भाजपा केंद्र की सत्ता में आई थी तो उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिरने शुरू हो गए थे, लेकिन इसका फायदा जनता को नहीं मिला और केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी दोगुनी कर दी, अब यदि केंद्र ने कर दोगुना किया है तो केंद्र को यह कर कम करना चाहिए, हम क्यों करें। यदि आज हम टैक्स कम कर दें तो केंद्र सरकार फिर टैक्स बढ़ा देगी। इनकी नीयत में खराबी है। इस तरह से राज्यों का राजस्व भी केंद्र के पास चला जाएगा।

प्र.: लोकसभा का चुनाव आ रहा है, आम आदमी पार्टी की क्या तैयारी है?
उ.: हमारी तैयारी अच्छी है। हमने अच्छे काम किए हैं, अच्छी राजनीति की है, लोगों को गवर्नेंस कर के दिखाई है। दिल्ली में बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं। आज दिल्ली में सरकारी स्कूलों के नतीजे प्राइवेट स्कूलों से बेहतर आ रहे हैं। अस्पतालों में एयर कंडीशनर लगवा दिए गए हैं। लोगों को मुफ्त में दवाएं मिल रही हैं और मुफ्त में टेस्ट किए जा रहे हैं। मोहल्ला क्लीनिक से लोगों को सहूलियत हुई। हम अपने काम के आधार पर चुनाव में जाएंगे।

प्र.: क्या दिल्ली में किए गए काम के आधार पर देश में वोट मिलेगा?
उ.: हमने दिल्ली में अपने पहले कार्यकाल के 49 दिन के भीतर किए गए कार्यों के आधार पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। पहले कार्यकाल में ही हमने 49 दिन में बिजली-पानी की समस्या का समाधान किया था और भ्रष्टाचार को लेकर बड़े लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे, जिसका नतीजा लोकसभा चुनाव के दौरान पंजाब में 4 सीटों के रूप में हासिल हुआ। उस समय हमारी पार्टी महज एक साल पुरानी थी। यदि 49 दिन की सरकार के काम-काज के आधार पर 4 सीटें हासिल हो सकती हैं तो आज दिल्ली के कामकाज की चर्चा देश में ही नहीं, विदेश में भी हो रही है। आज कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में मोहल्ला क्लीनिक के मॉडल पर काम होना शुरू हो गया है। पहले देश में धर्म और जाति की सियासत चलती थी, अब दिल्ली के मॉडल की चर्चा हो रही है। लोग अपने जनप्रतिनिधियों से काम मांग रहे हैं। इसका असर लोकसभा चुनाव में नजर आएगा। आज हरियाणा को बिजली के दाम कम करने को मजबूर होना पड़ा है, लेकिन सवाल यह है कि दाम अभी कम क्यों किए गए हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि अगले चुनाव में बिजली मुद्दा बनेगी। यह कटौती महज दिखावा है और चुनाव के बाद दाम फिर से बढ़ा दिए जाएंगे।

प्र.: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 4 साल में किए गए कार्य को आप कैसे देखते हैं? 
उ.: प्रधानमंत्री ने 4 साल में किया ही क्या है? मैं जब उनके कट्टर समर्थकों से भी उनके काम को लेकर सवाल पूछता हूं तो उनके पास जवाब नहीं होता। उनके बारे में समर्थक यही कहते हैं कि वह 24 घंटे काम करते हैं, सोते नहीं हैं, पर यह तो बताएं कि करते क्या हैं। नोटबंदी और जी.एस.टी. के जरिए कारोबार तबाह कर दिया, बेरोजगारी बढ़ गई, उनकी पार्टी धर्म और जाति की राजनीति करती है। यदि लोगों को धर्म और जाति की सियासत चाहिए तो कांग्रेस-भाजपा के पास जाएं और यदि अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य और अस्पताल चाहिए तो हमारे पास आएं। हमारी नीयत ठीक है, हमें सरकार चलानी आती है और हमने यह करके दिखाया है।

प्र.: यदि आप काम कर रहे हैं तो दिल्ली यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स यूनियन के चुनाव में क्यों हार गए?
उ.: यह अलग चुनाव होता है। इसमें पार्टी चुनाव नहीं लड़ रही थी, यह बच्चों का चुनाव था। हम बतौर पार्टी मैदान में नहीं उतरे थे और न ही शीर्ष नेतृत्व ने इसमें कोई दिलचस्पी दिखाई थी। कई अन्य राज्यों में भी ऐसा ही हुआ और हम चुनाव हार गए थे, लेकिन पंजाब में पूरी पार्टी चुनाव लड़ी थी और मैंने खुद प्रचार किया था।

प्र.: सुखपाल सिंह खैहरा का आरोप है कि आप पार्टी की खामियों पर उनकी बात नहीं सुनते, इसी कारण पार्टी में बिखराव है।
उ.:  यह हमारे परिवार का मामला है। मैं मानता हूं कि पार्टी में उठापटक चल रही है, लेकिन इसे सुलझा लिया जाएगा।

प्र.: लेकिन यह उठापटक तो सड़क पर आ चुकी है।
उ.: नहीं, ऐसा नहीं है। सभी पार्टियों में उथल-पुथल चलती रहती है। भारतीय जनता पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमित शाह के अलावा कोई तारीफ नहीं करता, वहां सब रूठे हुए हैं। गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी, मेनका गांधी, उमा भारती इनमें से किसी की प्रधानमंत्री के साथ नहीं बनती, लेकिन सब मजबूरी में इनके साथ हैं।

प्र.: पंजाब के नेता कहते हैं कि उन्हें एक ट्वीट के जरिए ही पद से हटाया जा सकता है, नेता विपक्ष को बदलने की जरूरत क्यों पड़ गई?
उ.: हम दलितों को मौका देना चाहते थे। दलित वर्ग लंबे समय से शोषित है। वैसे तो आम आदमी पार्टी को सभी वर्गों का समर्थन हासिल है, लेकिन दलितों ने आम आदमी पार्टी को दिल्ली और पंजाब, दोनों जगह भारी समर्थन दिया है। लिहाजा, उन्हें प्रतिनिधित्व और पद के जरिए सम्मान दिया जाना चाहिए और पार्टी ने यही किया है।

प्र.: अगर ऐसा है तो दिल्ली में दलित चेहरे को बड़ा पद क्यों नहीं दिया गया?
उ.: यह कुतर्क है, मैं इसमें नहीं पड़ना चाहता। दिल्ली में हम जितना प्रतिनिधित्व दे सकते हैं, वह हम दे रहे हैं। 

प्र.: पंजाब में सुच्चा सिंह छोटेपुर और धर्मवीर गांधी की पार्टी में वापसी को लेकर चल रही चर्चा को लेकर कितनी सच्चाई है?
उ.: हम चाहते हैं कि वे दोनों वापस आ जाएं। दोनों के साथ बातचीत चल रही है। मैं दोनों से आपके माध्यम से भी पार्टी में वापसी की अपील करूंगा।

प्र.: लेकिन छोटेपुर को तो भ्रष्टाचार का स्टिंग ऑपरेशन होने का हवाला देकर निकाला गया था, उसका क्या होगा?
उ.: उनके साथ बैठकर बातचीत करेंगे।

प्र.: भगवंत मान आपके द्वारा बिक्रम मजीठिया से मांगी गई माफी को लेकर नाराज हैं, वह इस्तीफा वापस नहीं लेना चाहते?
उ.: मेरी कोई नाराजगी नहीं है। मेरा फोन चेक कर लो, मेरी रोज उनसे चार बार बात होती है। मैं अपना कॉल रिकॉर्ड दिखा सकता हूं। आओ, हम देश की समस्याओं पर बात करते हैं, पंजाब पर बात करते हैं, पार्टी में क्या चल रहा है, मुझ पर छोड़ दो, मैं संभाल लूंगा।

प्र.: विजय माल्या के देश छोड़ने से पहले अरुण जेतली के साथ मुलाकात के बयान पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
उ.: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को माल्या मामले के साथ-साथ राफेल डील पर भी जवाब देना चाहिए, क्योंकि बात अब सीधे प्रधानमंत्री तक पहुंच गई है। वह ईमानदारी को मुद्दा बनाकर सत्ता में आए थे, अब उन्हें यह स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने 560 करोड़ रुपए का एयरक्राफ्ट 1500 करोड़ में क्यों खरीदा और 10 दिन पुरानी कंपनी को इस मामले में ठेका कैसे मिल गया। विजय माल्या को देश से क्यों भगाया गया, इस बात को लेकर मोदी के समर्थक भी उनसे नाराज हैं और उनकी उम्मीदें भी टूट चुकी हैं।

प्र.: हरविंदर सिंह फूलका इस्तीफा देने पर अड़े हैं, इस पर आपकी उनसे कोई बातचीत हुई है?
उ.: उनकी मांग बिल्कुल जायज है। वह एफ.आई.आर. में प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर बादल का नाम डालने की मांग कर रहे हैं। जस्टिस रंजीत सिंह कमीशन की रिपोर्ट में बहबलकलां में हुई फायरिंग के मामले में बादलों पर उंगली उठाई गई है और इसकी जांच होनी चाहिए। लेकिन फूलका को इस्तीफा नहीं देना चाहिए। लोगों ने उन्हें विधानसभा के अंदर संघर्ष करने और लड़ने के लिए भेजा है। मेरी भी उनसे मुलाकात हुई है, मैंने उन्हें इस्तीफा देने की राय दी है।

प्र.: क्या पंजाब में आप नकारात्मक चुनाव प्रचार के कारण हारे?
उ.: मेरा चुनाव प्रचार मुद्दों पर आधारित था। हमने तो यहां बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा के इर्द-गिर्द प्रचार किया था।

प्र.: भगवंत मान तो बिक्रम मजीठिया को लेकर किकलियां डाल रहे थे, क्या यह नकारात्मक प्रचार नहीं था?
उ.: चुनाव के परिणाम को लेकर हर किसी का अपना विश्लेषण है। कुछ लोगों का कहना है कि मैं मोगा में किसी व्यक्ति के घर ठहरा था, वह हार का कारण बना। कुछ लोग चुनाव प्रचार के आखिरी दिन पैसा बांटने को हार का कारण बता रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि अकाली, भाजपा और कांग्रेस एक साथ आ गए थे और अकालियों ने अपना वोट कांग्रेस को ट्रांसफर करवा दिया। इसमें हर किसी का अपना-अपना विश्लेषण है।

प्र.: आपका अपना विश्लेषण क्या कहता है?
उ.: कुछ बड़े स्तर पर गड़बड़ हुई है। मैं कह नहीं सकता, लेकिन जो माहौल था वह ऐसा नहीं था कि आम आदमी पार्टी का इतना बुरा हाल हो।

प्र.: पार्टी में चल रही उठापटक और नीतियों के कारण आपके कट्टर एन.आर.आई. समर्थक नाराज हैं, आप क्या कहेंगे?
उ.: जो लोग नाराज हैं, क्या उन्होंने मेरा काम नहीं देखा। आम आदमी पार्टी के काम के आधार पर हमारे बारे में धारणा बनाई जाए। यदि मैं भ्रष्टाचर करूं तो सूली पर टांग दो। हम काम के वायदे से आए हैं और अड़चनों के बावजूद काम किया है। यदि मैं किसी के मैसेज का जवाब न दूं तो नाराजगी है। यदि मैं शर्ट अंदर कर लूं तो नाराजगी है। यदि पार्टी में कुछ हो रहा है तो नाराजगी है। हमें अपने फैसले लेने दिए जाएं, हमें फैसला लेने का अधिकार होना चाहिए। गुजरात में भाजपा 30 साल से सत्ता में है, मध्य प्रदेश में 15 साल से उनका राज है, लेकिन हमने जो काम 3 साल में किया, वह काम इन दोनों राज्यों में नहीं हुआ।

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