Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Sep, 2017 06:41 PM
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) ने दिल्ली की आप सरकार पर पंजाबी और उर्दू जैसी भाषाओं के साथ सौतेले व्यवहार का आरोप...
नई दिल्ली : दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) ने दिल्ली की आप सरकार पर पंजाबी और उर्दू जैसी भाषाओं के साथ सौतेले व्यवहार का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार को जल्द से जल्द इन भाषाओं के शिक्षकों की पर्याप्त संख्या में भर्ती करनी चाहिए।
डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मंजीत सिंह जीके ने कहा, ‘‘ दिल्ली सरकार द्वारा 24 जून 2016 को पंजाबी तथा उर्दू अध्यापकों के रिक्त पदों को भरने के लिए आदेश जारी किया गया था। 15 महीने बाद भी स्कूलों में अध्यापकों की नियुक्ति ना होना अफसोस की बात है।
दिल्ली सरकार द्वारा इन भाषाओं के साथ किए जा रहे सौतेले व्यवहार के खिलाफ दिल्ली कमेटी ने पिछले दिनों दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने दिल्ली के स्कूलों में त्रिभाषा फार्मूले के उल्लंघन पर अपनी सहमति जताते हुए दिल्ली सरकार, पंजाबी अकादमी, उर्दू अकादमी, केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय तथा सी.बी.एस.ई. को नोटिस जारी किया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ एक तरफ दिल्ली सरकार शिक्षा के नाम पर भारी बजट खर्च करने का दावा करती है। दूसरी तरफ स्कूलों में पंजाबी व उर्दू भाषा के अध्यापकों की स्थाई भर्ती से किनारा करती है। अस्थाई या ठेके पर की गई भर्ती विद्यार्थियों को हिन्दी के स्थान पर अन्य भाषा का चयन करने से रोकती है क्योंकि विद्यार्थी को इस बात की आशंका लगी रहती है कि शायद पूरा वर्ष उसे अध्यापक उपलब्ध ना हो पाए। ’’
जीके ने कहा कि पंजाबी और उर्दू भाषाओं के लिए शिक्षकों की पर्याप्त संख्या में भर्ती की जानी चाहिए। डीएसजीएमसी के महासचिव मनजिन्दर सिंह सिरसा ने ‘आप सरकार द्वारा पंजाबी अध्यापकों की भर्ती किए बिना अखबारी विज्ञापनबाजी से सरकारी कोष को हुए नुकसान को लूट करार दिया।’ सिरसा ने आरोप लगाया, ‘‘केजरीवाल सरकार ने पंजाब चुनाव के बाद पंजाबी भाषा से दूरी बना ली है जिस कारण पंजाबी पढऩे के इ‘छुक ब‘चे प्रभावित हो रहें हैं।’’