ऑफ द रिकॉर्डः केजरीवाल का ‘दिल्ली मॉडल’ जनता को लुभाने लगा, भाजपा के लिए चुनौती

Edited By Pardeep,Updated: 21 Oct, 2021 05:37 AM

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यदि नरेंद्र मोदी के ‘गुजरात मॉडल’ ने जनता को लुभाकर 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को प्रचंड जीत दिलाई तो अरविंद केजरीवाल का ‘दिल्ली मॉडल’ भी चुपचाप लोगों के हृदयों में स्थान बना रहा है। यदि मोदी के व्यक्तित्व ने लोगों को मंत्रमुग्ध ...

नई दिल्लीः यदि नरेंद्र मोदी के ‘गुजरात मॉडल’ ने जनता को लुभाकर 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को प्रचंड जीत दिलाई तो अरविंद केजरीवाल का ‘दिल्ली मॉडल’ भी चुपचाप लोगों के हृदयों में स्थान बना रहा है। यदि मोदी के व्यक्तित्व ने लोगों को मंत्रमुग्ध करना जारी रखा है और उन्हें 2 बार भारी जनादेश दिया है तो केजरीवाल 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों को हराने में सफल रहे हैं। केजरीवाल का 2020 में अपनी जीत का सिलसिला दोहराना अभूतपूर्व था। 

नीतीश कुमार ने भी 2017 में बिहार में भाजपा का ‘अश्वमेध रथ’ रोक दिया था परंतु वह राजद के लालू प्रसाद यादव की सहायता से ही ऐसा पराक्रम करने में सफल हो सके थे। यह भी विडंबना है कि मोदी-अमित शाह की जोड़ी और दिवंगत अरुण जेतली ने नीतीश कुमार को भाजपा के साथ मिला लिया और यह सुनिश्चित किया कि मोदी को चुनौती देने के लिए उत्तर भारत में कोई बड़ी राजनीतिक शक्ति नहीं बचे। यहां तक कि भाजपा महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी (एम.वी.ए.) सरकार को भी कोई गंभीर चुनौती नहीं मानती। 

जहां तक ममता बनर्जी की बात है तो पश्चिम बंगाल में उनको मिली भारी जीत के बावजूद कम से कम इस समय तो पूरे देश में उनका आकर्षण सीमित है। इस परिदृश्य में केजरीवाल का उभरना भाजपा के लिए चुनौती है। यद्यपि भाजपा नेतृत्व ने उन्हें ‘एक छोटे केंद्र शासित प्रदेश का नेता’ कहकर खारिज कर दिया परंतु अंदर ही अंदर वह जानता है कि उनके ‘दिल्ली मॉडल’ को लेकर कई राज्यों विशेष रूप से पंजाब, उत्तराखंड और गोवा में बड़ी चर्चा है जहां फरवरी-मार्च 2022 में चुनाव होने जा रहे हैं। 

यहां यह स्मरण रखना चाहिए कि आई.आई.टी. स्नातक केजरीवाल राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा पाले हुए हैं। इस बात का संकेत वह 2014 में लगभग 450 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़कर दे चुके हैं। भाजपा दिल्ली के बाहर केजरीवाल के उदय को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है क्योंकि वह दिल्ली में मोदी के लिए एकमात्र बड़ा खतरा बन गए हैं। 

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