Edited By Seema Sharma,Updated: 14 Dec, 2020 11:56 AM
किसान केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर हैं। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि वह किसानों के समर्थन में एक दिवसीय भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार से अहम त्यागने और कानूनों को रद्द...
नेशनल डेस्क: किसान केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ सोमवार को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर हैं। वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि वह किसानों के समर्थन में एक दिवसीय भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने केंद्र सरकार से अहम त्यागने और कानूनों को रद्द करने की अपील की। वहीं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट किया और दिल्ली सीएम पर गंभीर आरोप लगाया। जावड़ेकर ने लिखा कि अरविंद केजरीवाल जी, ये आपका पाखण्ड है। आपने पंजाब विधानसभा चुनावों में वादा किया था कि जीतने पर APMC कानून में संशोधन किया जाएगा। नवंबर 2020 में आपने दिल्ली में कृषि कानूनों को अधिसूचित भी किया और आज आप उपवास का ढोंग कर रहे हो, यह कुछ और नहीं बल्कि पाखण्ड ही है।
केजरीवाल ने सोमवार को ट्वीट किया कि उपवास पवित्र होता है। आप जहां हैं, वहीं हमारे किसान भाइयों के लिए उपवास कीजिए। प्रभु से उनके संघर्ष की सफलता की प्रार्थना कीजिए। अंत में किसानों की अवश्य जीत होगी। इससे पहले रविवार को दिल्ली सीएम ने कहा कि केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) कार्यकर्त्ताओं और देश के लोगों से इसमें शामिल होने की अपील की।
केजरीवाल ने कहा कि मैं केंद्र सरकार से अपील करना चाहता हूं कि अपने अहंकार को छोड़ें। जनता सरकार बनाती है न कि सरकार जनता को बनाती है। तीनों कृषि कानूनों को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और किसानों को MSP की गारंटी देने वाला विधेयक लाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र को जल्द से जल्द किसानों की सभी मांगों को स्वीकार करना चाहिए, जो पिछले दो हफ्ते से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं।
केजरीवाल ने नाखुशी जताई कि केंद्र सरकार के कुछ नेता और भाजपा नेता प्रदर्शनकारी किसानों को गद्दार और देशद्रोही बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि इतनी संख्या में पूर्व सैनिक, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी और हस्तियां, वकील और व्यवसायी उनका समर्थन कर रहे हैं और उनके साथ प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं तो क्या सभी देशद्रोही हैं? केजरीवाल ने किसानों के प्रदर्शन को ‘बदनाम' करने की तुलना अन्ना हजारे के आंदोलन से की जिसमें वह शीर्ष नेता थे।