Edited By Yaspal,Updated: 12 Mar, 2019 08:51 PM
केरल में चुनाव अधिकारियों द्वारा राजनीतिक पार्टियों को लोकसभा चुनावों के प्रचार अभियान के दौरान सबरीमला मुद्दा उठाने से रोकने के एक दिन बाद राज्य में सियासी विवाद पैदा हो गया। विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने चुनाव अधिकारियों के इस निर्देश का...
तिरुवनंतपुरमः केरल में चुनाव अधिकारियों द्वारा राजनीतिक पार्टियों को लोकसभा चुनावों के प्रचार अभियान के दौरान सबरीमला मुद्दा उठाने से रोकने के एक दिन बाद राज्य में सियासी विवाद पैदा हो गया। विपक्षी कांग्रेस और भाजपा ने चुनाव अधिकारियों के इस निर्देश का विरोध किया जबकि सत्ताधारी माकपा ने इसका समर्थन किया। मिजोरम के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने के बाद सोमवार को यहां एक स्वागत समारोह में पहुंचे भाजपा के वरिष्ठ नेता कुम्मनम राजशेखरन ने कहा कि यह मामला आस्था से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि भाजपा इस मुद्दे को मुख्य चुनाव आयुक्त के सामने उठाएगी। उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘चुनावों के दौरान सबरीमला मुद्दे को नहीं उठाने का निर्देश आधारहीन है।’’
भाजपा नेता ने कहा, ‘‘यहां जो मुद्दा उठाया जा रहा है वह धर्म की स्वतंत्रता से जुड़ा है....यह पूजा करने की आजादी और रीति-रिवाजों एवं आस्था का मुद्दा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ सबरीमला का मुद्दा नहीं है....यदि सबरीमला में इसकी इजाजत दी गई तो आगे चलकर यह प्रसिद्ध भीमापल्ली मस्जिद या मलयत्तूर चर्च में भी होगा।’’ राजशेखरन ने कहा कि राज्य के लोग रीति-रिवाजों एवं आस्था का संरक्षण करना चाहते हैं और हम उनकी भावनाओं का सम्मान करेंगे।
कांग्रेस ने उठाया सवाल
बहरहाल, सत्ताधारी माकपा ने मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) के निर्देश का समर्थन किया। सबरीमला आंदोलन के समय भगवान अयप्पा के श्रद्धालुओं का समर्थन कर चुकी विपक्षी कांग्रेस ने सीईओ टीका राम मीणा के निर्देश का विरोध करते हुए कहा कि चुनावों के दौरान इतना गंभीर मुद्दा कैसे नहीं उठाया जाए। मीणा ने मंगलवार को कहा था कि चाहे सबरीमला मंदिर हो या चर्च हो या मस्जिद हो, उनका इस्तेमाल वोट बटोरने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होगा। इस निर्देश पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए भाजपा के प्रदेश महासचिव के सुरेंद्रन ने सोमवार को कहा था कि सबरीमला मुद्दे पर राज्य सरकार का रुख निश्चित तौर पर चुनावी मुद्दा होगा।
माकपा के राज्य सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन ने भाजपा के रुख का विरोध करते हुए कहा कि सीईओ ने एक मामले से जुड़े सभी पक्षों को सिर्फ वही याद दिलाया है जो पहले से कानून में है। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा ऐसी पार्टी है जो किसी नियम का पालन नहीं करती। इसलिए यह चौंकाने वाली बात नहीं कि वह आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए तैयार है।’’ बहरहाल, विपक्षी कांग्रेस के नेता रमेश चेन्नीथला ने सीईओ पर बरसते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता कि आयोग ने किस आधार पर निर्देश दे दिया कि चुनाव प्रचार में सबरीमला मुद्दे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।’’
इस बीच, केरल उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील कालीश्वरम राज ने कहा कि चुनाव आयोग ने देश की मौजूदा कानूनी स्थिति को ही दोहराया है। राज ने कहा, ‘‘आप चुनाव प्रचार के दौरान धर्म, धार्मिक भावनाओं या धार्मिक प्रतीकों का इस्तेमाल नहीं कर सकते।’’ उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के मुताबिक, यह एक भ्रष्ट गतिविधि है। देश में लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की शुरुआत 11 अप्रैल से होगी और लगभग एक महीने तक सात चरणों में मत डाले जाएंगे। आखिरी चरण का मतदान 19 मई को होगा। केरल में 23 अप्रैल को वोट पड़ेंगे।