खालिस्तानी संगठनों ने ब्रिटेन में स्थापित किया पैसे कमाने का उद्योग

Edited By vasudha,Updated: 10 Jun, 2020 11:15 AM

khalistani organizations set up money making industry in britain

पंजाब में पले-बढ़े लोगों के लिए ब्रिटेन के कट्टर खालिस्तानी संगठनों के गुरुद्वारों की यात्रा चौंकाने और भ्रमित करने वाली होगी। खालिस्तानी संगठनों ने न केवल पूरे ब्रिटेन में अपना प्रसार किया बल्कि यहां उन्होंने पैसे कमाने का उद्योग भी स्थापित कर लिया...

लंदन: पंजाब में पले-बढ़े लोगों के लिए ब्रिटेन के कट्टर खालिस्तानी संगठनों के गुरुद्वारों की यात्रा चौंकाने और भ्रमित करने वाली होगी। खालिस्तानी संगठनों ने न केवल पूरे ब्रिटेन में अपना प्रसार किया बल्कि यहां उन्होंने पैसे कमाने का उद्योग भी स्थापित कर लिया है। यह उन लोगों के लिए लाभदायक है जिनके पास जीविकोपार्जन का कोई अन्य स्रोत नहीं है। इनमें से अधिकांश संगठन फैडरेशन ऑफ सिख ऑर्गेनाइजेशन (एफ.एस.ओ.), सिख काऊंसिल यू.के. (एस.सी.यू.के.) या वल्र्ड सिख पार्लियामैंट (डब्ल्यू.एस.पी.) के छत्र संगठनों के सदस्य बन गए हैं। सुरक्षा प्रतिष्ठान में काम करने वाले एक अधिकारी ने कहा, ‘हालांकि इन संगठनों को ब्रिटेन में अधिकांश सिख आबादी का समर्थन नहीं है लेकिन वे यहां गुरुद्वारों के प्रबंधन के नियंत्रण के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते रहते हैं।

 

कट्टरपंथी सिख समूह खालिस्तान आंदोलन को कर रहे पुनर्जीवित
ब्रिटेन में कट्टरपंथी सिख समूह खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं और भारत के खिलाफ नकली प्रचार फैला रहे हैं। सिख मातृभूमि के लिए शहीद होने का दर्जा देने के वास्ते इन सभी गुरुद्वारों में जरनैल सिंह भिंडरांवाले के बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए हैं। ब्रिटेन में उदारवादी विचार वाले रामगढिय़ा, रविदासिया और इंटरनैशनल भट सोसाइटी जैसे कुछ गुरुद्वारे हैं लेकिन उनकी आवाजें ज्यादा नहीं सुनाई देती। एक अन्य अधिकारी मिडलैंड लैंगर ने चेतावनी दी है कि एक बार स्थापित होने के बाद ये संगठन खालिस्तान के लिए एक बड़ा आधार बन सकते हैं।

 

हाल ही में एक पूर्व ड्रग पैडलर दीपा सिंह और उनकी बहन पर वैस्ट मिडलैंड्स पुलिस कॉऊंटर टैररिज्म यूनिट ने कथित रूप से दान किए गए चैरिटेबल फंड में धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे। दीपा सिंह उर्फ कलदीप सिंह लेहल सिख यूथ यू.के. (एस.वाई.यू.के.) के नेता हैं। नवंबर 2018 में एस.वाई.यू.के. और सिख चैनल ने सिख मध्यस्थता और अनुसंधान केंद्र (एस.एम.ए.आर.टी.) बनाने के लिए 0.35 मिलियन पौंड की धनराशि जुटाई। इस पैसे का उपयोग कैसे किया गया, यह जांच का विषय है। एक अन्य सिख टी.वी. चैनल के.टी.वी. ग्लोबल को ब्रिटेन में खालिस्तान को सक्रिय रूप से बढ़ावा देते हुए देखा गया है। चैनल के रिकॉर्ड की जांच से पता चला है कि यह 31 मार्च को भंग कर दिया गया था, क्योंकि कंपनी 2018 के बाद से वित्तीय रिटर्न दाखिल करने में विफल रही थी। इसका निदेशक जसबीर मंडेयर खालसा टैलीविजन लिमिटेड का एक सक्रिय निदेशक भी है, लेकिन उनके अलावा सिख फैडरेशन ब्रिटेन के अध्यक्ष अमरीक सिंह गिल की पत्नी भी निदेशक बनाई गई है।

 

कानूनी लड़ाई का खर्चा वहन करेगा एक गुरुद्वारा
अमरीक सिंह गिल और एस.एफ.यू.के. भी एक अलग जातीय समूह के रूप में पहचाने जाने के लिए सिखों पर एक और कानूनी लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं। एस.एफ.यू.के. के प्रवक्ता दबिंदरजीत सिंह ने एक मीडिया साक्षात्कार में दावा किया है कि कानूनी लागत 0.1 मिलियन पौंड होगी और एक गुरुद्वारा पूरी लागत वहन करने के लिए सहमत हो गया है। सवाल यह है कि क्या गुरुद्वारों द्वारा धर्मार्थ संगठनों के रूप में एकत्रित धन का उपयोग इस तरह की कानूनी लड़ाई के लिए किया जा सकता है? ब्रिटेन में मुर्की खालिस्तान की राजनीति में एक और नया प्रवेश राष्ट्रीय सिख यूथ फैडरेशन (एन.एस.वाई.एफ.) और उसके नेता शमशेर सिंह का है। एन.एस.वाई.एफ. की वैबसाइट खुले तौर पर बब्बर खालसा इंटरनैशनल (बी$ के.आई.) का समर्थन करती है, जो ब्रिटेन की आतंकी सूची में शामिल एक और संगठन है। मजे की बात यह है कि यह संगठन धीरे-धीरे ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश कर रहा है।
 

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