थरूर ने दी बहस की चुनौती, खड़गे बोले: दोनों को मिलकर भाजपा और आरएसएस से लड़ना है

Edited By Yaspal,Updated: 02 Oct, 2022 09:39 PM

kharge said both have to fight the bjp and the rss together

कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर ने रविवार को कहा कि वह अपने प्रतिद्वंद्वी मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ सार्वजनिक बहस के लिए तैयार हैं, क्योंकि इससे लोगों की उसी तरह से पार्टी में दिलचस्पी पैदा होगी, जैसे कि हाल में ब्रिटेन में कंजरवेटिव...

नई दिल्लीः कांग्रेस अध्यक्ष पद के उम्मीदवार शशि थरूर ने रविवार को कहा कि वह अपने प्रतिद्वंद्वी मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ सार्वजनिक बहस के लिए तैयार हैं, क्योंकि इससे लोगों की उसी तरह से पार्टी में दिलचस्पी पैदा होगी, जैसे कि हाल में ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व पद के चुनाव को लेकर हुई थी। उनकी इस टिप्पणी पर खड़गे ने कहा कि उन्हें और थरूर को भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ मिलकर लड़ना है। खड़गे ने यह भी कहा कि आज महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर और भाजपा एवं आरएसएस की विचारधारा के खिलाफ उन्हें और थरूर को मिलकर काम करना है।

थरूर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के दिलों में नेहरू-गांधी परिवार की हमेशा खास जगह रही है और रहेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मौजूदा चुनौतियों का जवाब प्रभावी नेतृत्व और संगठनात्मक सुधार के संयोजन में निहित है। गौरतलब है कि झारखंड के पूर्व मंत्री के. एन. त्रिपाठी का नामांकन पत्र शनिवार को खारिज होने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में अब मुकाबला खड़गे और थरूर के बीच होगा।

थरूर ने कहा, ‘‘संगठनों का उच्च स्तर पर नेतृत्व करने का मेरा विश्वसनीय ट्रैक रिकॉर्ड रहा है। संयुक्त राष्ट्र के जन सूचना विभाग के अवर प्रभारी महासचिव के तौर पर मैंने दुनियाभर में 77 कार्यालय में 800 से अधिक कर्मियों के संयुक्त राष्ट्र के सबसे बड़े विभाग के संचार का जिम्मा संभाला था। इसे देखते हुए कई लोगों ने मुझसे संयुक्त राष्ट्र संगठन का नेतृत्व करने के लिए चुनाव लड़ने का अनुरोध किया था।'' कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में नामांकन पत्र वापस लेने की अंतिम तिथि आठ अक्टूबर है। जरूरत पड़ने पर चुनाव 17 अक्टूबर को कराया जाएगा। मतगणना 19 अक्टूबर को होगी और नतीजे उसी दिन घोषित किए जाएंगे।

यह पूछे जाने पर कि क्या वह कई पश्चिमी देशों की तर्ज पर पार्टी के अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के बीच सार्वजनिक बहस चाहते हैं तो थरूर ने कहा, ‘‘मैं इस विचार को लेकर तैयार हूं।'' उनके मुताबिक, ‘‘हमारे बीच कोई वैचारिक मतभेद नहीं है। सवाल सिर्फ यह है कि हम उस उद्देश्य को हासिल कैसे करेंगे, जिस पर हम सबने सहमति बनाई है।''

थरूर ने कहा कि विचारों के आदान-प्रदान से उन वर्गों का भी ध्यान खींचा जा सकेगा, जो मतदान नहीं करते हैं। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘मैंने हमेशा यह कहा है कि उम्मीदवारों के बीच विचारों के आदान-प्रदान का प्रभाव पार्टी के लिए फायदेमंद होगा। मिसाल के तौर पर, हमने देखा कि ब्रिटेन की कंजरवेटिव पार्टी के नेतृत्व के हालिया चुनाव में वैश्विक स्तर पर दिलचस्पी थी।'' थरूर के अनुसार, उसी तरह का समान दृश्य यहां होगा तो कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर दिलचस्पी बढ़ेगी तथा पार्टी के पक्ष में एक बार फिर से उन मतदाताओं को गोलबंद किया जा सकेगा, जो पहले पार्टी के पक्ष में होते थे।

थरूर की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर खड़गे ने कहा, ‘‘जो मुझे कहना है स्पष्टता के साथ कहूंगा। वो विद्वान लोग हैं, पढ़े-लिखे लोग हैं, शायद उनकी इच्छा डिबेट की हो सकती है। उसमें मैं पड़ना नहीं चाहता। मैं सिर्फ काम करना जानता हूं और उसका मौका दीजिए।'' उन्होंने कहा, ‘‘दलितों और गरीबों पर, महिलाओं, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों और कई लोगों के ऊपर अन्याय हो रहा है। महंगाई और बरोजगारी बढ़ रही है। हम दोनों को मिलकर लड़ना है। हम दोनों एक ही घर के लोग हैं। जब एक ही घर के लोग हैं, तो एक दूसरे के खिलाफ लड़ने का सवाल ही नहीं है।''

खड़गे ने कहा, ‘‘हम दोनों मिलकर उनके खिलाफ लड़ें, जो महंगाई को बढ़ावा दे रहे हैं, जो बेरोजगारी को को बढ़ावा दे रहे हैं, जो लोगों में झगड़ा करा रहे हैं, जो धर्म को धर्म से लड़ा रहे हैं, जो भाषा के नाम पर झगड़ा करा रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘अगर डिबेट करना है, तो हम दोनों मिलकर उनके खिलाफ करें, आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा के खिलाफ हम दोनों लड़ेंगे। आपस के वाद-विवाद से कोई फायदा नहीं। न देश का फायदा है इसमें, न पार्टी के लिए कोई फायदा है। लड़ना है, हमारी विचारधारा के खिलाफ़ जो काम कर रहे हैं, उनसे लड़ना है।''

खड़गे ने कहा, ‘‘हमारा संघर्ष भाजपा से है, मोदी-शाह से है। जो लोग देश को बर्बाद कर रहे हैं, समाज को बर्बाद कर रहे हैं, लोगों को बर्बाद कर रहे हैं, उन लोगों के खिलाफ हम दोनों को मिलकर काम करना है। तो एक अपील है, सबसे कि इसमें न पड़ें कि किसने क्या कहा और कौन क्या कह रहा है।''

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