कश्मीरी पंडित लड़कियां गाढ़ रही सफलता के झंडे, खो-खो खिलाड़ी महक भान बदलना चाहती है लड़कियों के हालात

Edited By Seema Sharma,Updated: 07 Jun, 2023 02:15 PM

kho kho player mehak bhan

डिट्रिक्ट बलराम के शेखपुरा पंडित कॉलोनी में रहती महक भान खो-खो की नैशनल प्लेयर होने के साथ शायरा भी हैं। अभी हिस्ट्री ऑनर्स कर रही महक कश्मीरी पंडित लड़कियों के लिए आइकॉन बनी हुई हैं।

नेशनल डेस्क: डिट्रिक्ट बलराम के शेखपुरा पंडित कॉलोनी में रहती महक भान खो-खो की नैशनल प्लेयर होने के साथ शायरा भी हैं। अभी हिस्ट्री ऑनर्स कर रही महक कश्मीरी पंडित लड़कियों के लिए आइकॉन बनी हुई हैं। शेखपुरा इलाका कभी कश्मीरी पंडितों के लिए अनचाही घटनाओं का गवाह रहता था लेकिन महक अब इन क्षेत्रों में लड़कियों को जागरूक करने के भरसक प्रयास कर रही हैं। 

 

महक का कहना है कि सोसायटी में अभी भी लड़कियों को बार-बार टोकने का चलन है। अगर कोई लड़की खुद आगे बढ़ती है तो उसे रोक दिया जाता है। ग्राऊंड लैवल पर लड़कियों की हालत ठीक नहीं है। इतिहास गवाह है कि समाजको बनाने और चलाने में महिलाओं का बराबर योगदान रहा है। आप सावित्री बाई फूले, इंदिरा गांधी, कश्मीर की रानी कोटा बाई, रजिया सुलताना को देख सकते हैं।

 

खो-खो के लिए मां से मिली प्रेरणा

महक बताती हैं- मां फिजिकल एजुकेशन मास्टर्स हैं। मुझे बचपन से ही खेलना काफी पसंद था। मां-बाप ने कभी टोका भी नहीं। वह कहते थे- सोसायटी बोलती है, बोलती रहेगी लेकिन आप फोक्स करें। पहली बार छठी क्लास में स्टेट लैवल पर खेली थी। तब  राजौरी, बलराम, कश्मीर, श्रीनगर से बच्चे खेलने आए थे। वहां जीतने से हौसला बढ़ा और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

 

कलम से जज्बातों को आवाज दी

महक ने बताया- मैं जब चौथी क्लास में थी तो आदतन कापी पर कुछ न कुछ उकेरती रहती थी। मेरी टीचर्स ने यह देखा तो कहा कि आप अलग से काफी लगाएं और उसे मेंटेन करें। क्योंकि सोसायटी में मैंने लड़कियों के साथ पक्षपात देखा था तो ऐेसे में मन में कई तरह के जज्बात होते थे। इन्हीं जज्बातों को जब मैं जुबान नहीं दे पाई तो कलम उठा ली। इससे एक शायरा का जन्म हुआ।

 

कश्मीरी पंडित होने पर मुझे गर्व

महक ने कश्मीर में पंडितों के हालातों और पलायन पर कहा- मैं कश्मीर में ही पली बढ़ी हूं। इसपर मुझे नाज है। हमारे पूर्वज यहां रहते थे। हां, हमें कठिनाइयां जरूर हुईं लेकिन इसके बावजूद हमने अपना घर नहीं छोड़ा। अपनी सरमजीं को छोडऩा अच्छी बात नहीं। हालात पहले ठीक नहीं थे या शायद आज भी ठीक न हो लेकिन हम फिर से यहां रहते हैं और रहना भी चाहेंगे।

 

एडमिनिस्ट्रेटर बनना है सपना

महक एडमिनिस्ट्रेटर बनना चाहती हैं। उन्होंने कहा- मैं छोटे छोटे कस्बों में जाना जानती हूं ताकि लोगों की मदद कर पाऊं। मेरा मोटिव रहेगा- औरत को इज्जत दो, उसे सपोर्ट करें। उन्हें उड़ने दीजिए जहां वह उडऩा चाहती है। क्योंकि यह मॉर्डन एरा है तो ऐसे में हमें माइंंड सेट बदलने की जरूरत है। 

 

लड़कियों को सलाह

लड़कियों को अगर आगे आना है तो इसके लिए उन्हें प्रयास भी खुद ही करने होंगे। आज कल बहुत सारे माध्यम हैं जिनसे वह सीख सकती है। यूट्यूब है। आप जो बनना चाहती हैं, उसकी राह देखें, लोगों के अनुभव देखें। कठिनाइयां और उनका हल देखें। अगर आप खुद प्रयास करना शुरू कर देंगी तो आपको कोई रोक नहीं पाएगा।

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