चेन्नई: किसान आंदोलन को 10वीं की परीक्षा में बताया ‘हिंसक’, छात्रों से पूछे गए निपटने के सुझाव

Edited By rajesh kumar,Updated: 20 Feb, 2021 03:16 PM

kisan agitation described as violent in 10th exam

क्लास 10वीं की अंग्रेजी भाषा और साहित्‍य के पेपर में ''लेटर टू एडिटर'' फॉर्मेट में लिखे सवाल में प्रदर्शनकारियों को ''Violent Maniacs'' (हिंसक उन्‍मादी) कहा गया है। पेपर में 26 जनवरी गणतंत्र दिवस की घटना पर जानकारी देने के बाद छात्रों से इस संबंध...

एजुकेशन डेस्क: चेन्‍नई का एक प्रतिष्ठित CBSE स्कूल एक प्रश्नपत्र को लेकर सुर्खियों मे आ गया है। स्कूल ने 10वीं कक्षा के परीक्षा पत्र में गणतंत्र दिवस के मौके पर हुई ट्रैक्टर की घटना का जिक्र करते हुए किसानों को 'हिंसक' और 'उपद्रवी' कहा गया है। क्लास 10वीं की अंग्रेजी भाषा और साहित्‍य के पेपर में 'लेटर टू एडिटर' फॉर्मेट में लिखे सवाल में प्रदर्शनकारियों को 'Violent Maniacs' (हिंसक उन्‍मादी) कहा गया है। पेपर में 26 जनवरी गणतंत्र दिवस की घटना पर जानकारी देने के बाद छात्रों से इस संबंध में अपने विचार भी मांगे गए हैं।

छात्रों से पूछे गए उपद्रवियों से निपटने के सुझाव
11 फरवरी को परीक्षा आयोजित हुई, जिसमें स्कूली परीक्षा पेपर में छात्रों से उपद्रवियों से कैसे निपटा जाए इस बारे में सुझाव पूछे गए। छात्रों से पूछा गया कि ऐसे हिंसक उपद्रवियों को कैसे विफल किया जाए जो बाहरी ताकतों के प्रभाव में आकर कार्य करते हैं। 

वहीं, संगीतकार टीएम कृष्णा ने विवादित प्रश्न पत्र को ट्वीट किया है। सोशल मीडिया पर लोग इस पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहें हैं। टीएम कृष्णा ने प्रश्न पत्र को ट्वीट करते हुए लिखा, 'यह एक प्रतिष्ठित चेन्नई स्कूल के 10वीं कक्षा का अंग्रेजी का पेपर है। वह घटना और कृषि कानूनों के मुद्दे पर अभी भी चर्चा की जा रही है, लेकिन यहां बाहरी हिंसा बताते हुए इसे ‘हिंसक उन्माद’ कहा जा रहा है।’

पेपर में पूछा गया पूरा सवाल
‘गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा ने नागरिकों के दिलों को निंदा और घृणा से भर दिया है। कृषि कानूनों का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों ने सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट किया और दिन के उजाले में पुलिसकर्मियों पर हमला किया। ऐसे में अपने शहर के एक दैनिक समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखें, जिसमें उपद्रवियों के ऐसे भयानक, हिंसक कृत्यों की निंदा करें जो यह महसूस करने में विफल रहे है कि देश व्यक्तिगत जरूरतों और लाभ से पहले आता है। सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना, राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करना और पुलिसकर्मियों पर हमला करना उन विभिन्न अवैध अपराधों में से कुछ हैं, जिन्हें किसी भी कारण से कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता है।’

 

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