दिन में गर्मी, रात में मच्छरों से तंग आए किसान, सरकार से बातचीत बंद होने पर छलका दर्द

Edited By Seema Sharma,Updated: 07 Apr, 2021 02:07 PM

kisan andolan increased patients on the border

केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून के खिलाफ किसान नवंबर 2020 से दिल्ली के साथ लगती सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। न ही किसान और न तो सरकार दोनों ही पीछे हटने को तैयार है। हालांकि सरकार ने कृषि कानून को दो साल तक संस्पेंड करने और इस पर किसानों को जो भी...

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानून के खिलाफ किसान नवंबर 2020 से दिल्ली के साथ लगती सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। न ही किसान और न तो सरकार दोनों ही पीछे हटने को तैयार है। हालांकि सरकार ने कृषि कानून को दो साल तक संस्पेंड करने और इस पर किसानों को जो भी आंशकाएं हैं उसे दूर करन को तैयार है लेकिन किसानइस कानून को वापिस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं जिसके कारण आंदोलन लंबा खिंचता चला जा रहा है। 

 

4 डिग्री की मार झेली
आंदोलन पर बैठे किसान कड़कती ठंड में भी पीछे नहीं हटे और बॉर्डरों से हटने के लिए नहीं माने। सरकार ने किसानों से कई बार अनुरोध किया कि सर्दी बढ़ रही है बातचीत से इस मामले को सुलझाते हैं किसान अपने घरों को लौट जाएं लेकिन प्रदर्शनकारी टस से मस नहीं हुए। किसानों ने दिसंबर-जनवरी में 4 डिग्री की ठंड और सर्द हवाओं का भी सामना किया, हालांकि उनकी सुविधाओं के लिए कई लोग किसानों की मदद को आगे आए। किसानों को हीटर के साथ-साथ गर्म कंबल दिए गए। 

 

अब मच्छर कर रहे परेशान
अप्रैल साल 2021 में ही गर्मी अपने तेवर दिखाने लग गई है। पारा अभी से 34-35 डिग्री तक पहुंच रहा है। साथ ही बीच-बीच में धूल भरी आंधी भी चल रही है इशके साथ जो किसानों के लिए सबसे बड़ी परेशानी का कारण बन रहे हैं वो हैं मच्छर। दिन में रात में मच्छरों से किसान दो-चार हो रहे हैं, हालांकि किसानों का कहना है कि वे यहां से उठेंगे नहीं। बढ़ती गर्मी के कारण भले ही किसान सड़कों पर कम नजर आए लेकिन बॉर्डर पर खड़ी उनकी ट्रालियों और टेंटों में वे आराम करते दिखे। शाम को मौसम में तोड़ी नरमी आने पर किसान फिर एक जुट होते हैं लेकिन रात को मच्छर नींद में खलल डालते हैं।

 

सरकार से नहीं रूकनी चाहिए थी वार्ता
वहीं कई किसानों का कहना है कि सरकार से वार्ता बंद नहीं होनी चाहिए थी, शायद अब तक कुछ बात बन जाती। किसानों का मानना है कि अगर सरकार से अगले दौर की वार्ता चलती रहती तो कुछ न कुछ हल अब तक जरूर हो जाना। सरकार भी अब पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में व्यस्त हो गई है। वहीं कई किसानों का कहना है कि बढ़ती गर्मी को देखते हुए अब महापंचायतें नहीं होनी चाहिएं बल्कि कोई बड़ी रणनीति बनानी होगी।

 

गर्मी की बीमारियों के मरीज बढ़े
बॉर्डरों पर बचे कुछ मेडिकल कैंपों में मौजूद डॉक्टरों का कहना है कि सर्दियों की तरह ही गर्मियों की बीमारियां भी दस्तक दे रही है। यहां फरवरी और आधे मार्च तक बीमारियां कम थीें लेकिन अब बुखार के मरीज बढ़ गए हैं। सबसे ज्यादा खतरा मच्छरों के काटने से हो रहा है। डेंगू और मलेरिया का मामले काफी बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक पिछले 10 दिनों में 30 से ज्यादा किसान ऐसे थे जिनके प्लेटलेट्स काफी कम हो गए थे।

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