कम भोजन या अधिक खानपान? जानिए किससे मिलती है वजन घटाने में मदद

Edited By Vaneet,Updated: 02 Sep, 2021 03:21 PM

know what helps in weight loss

जब भी आहार और स्वास्थ्य की बात आती है, तो सबसे पहले इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि आप क्या और कितना खा रहे हैं। आप जितनी कैलोरी खर्च कर रहे हैं उससे कम कैलोरी युक्त भोजन वजन कम करने की कुंजी है तो वहीं एक अन्य महत्वपूर्ण कारक यह है कि आप कैसे खाते...

नेशनल डेस्क: जब भी आहार और स्वास्थ्य की बात आती है, तो सबसे पहले इस बात पर ध्यान दिया जाता है कि आप क्या और कितना खा रहे हैं। आप जितनी कैलोरी खर्च कर रहे हैं उससे कम कैलोरी युक्त भोजन वजन कम करने की कुंजी है तो वहीं एक अन्य महत्वपूर्ण कारक यह है कि आप कैसे खाते हैं- जैसे आप एक दिन में कितनी बार खाते हैं। हाल के वर्षों में, भोजन के तौर-तरीकों पर बहुत ध्यान दिया गया है। 

 

कई लोग दिन में तीन बार करते हैं भोजन 
कुछ आहार विशेषज्ञों का मानना है कि वजन कम करने की कुंजी दिन में केवल एक बार भोजन करना है, जबकि कई बार सुझाव दिया जाता है कि लोगों को एक दिन में छह बार थोड़ा-थोड़ा भोजन करना चाहिये। हम में से कई लोग प्रतिदिन तीन बार भोजन करते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इनमें से क्या सही है? कई आहार योजनाएं दिन में तीन बार भोजन की व्यवस्था को अपनाती हैं। इनमें सुबह के समय नाश्ता, दोपहर में भोजन और फिर रात में भोजन शामिल है। हालांकि इस आहार नियम का पालन करने वालों को बीच-बीच में थोड़ी भूख लग सकती है। इस भूख को मिटाने के लिये वह हल्का-फुल्का नाश्ता करते हैं, जिसके चलते उनके दिन में अधिक भोजन करने की संभावना बढ़ जाती है।

 

आहार नियम का पालन करने पर भी लग जाती है भूख 
भोजन अंतराल के दौरान नाश्ते को भूख से बचने के तरीके के रूप में देखा जाता है। लेकिन कुछ शुरुआती अध्ययनों से पता चला है कि एक दिन में अधिक भोजन करने से शरीर का वजन कम होता है। इस अध्ययन में कम खानपान यानी निब्लिंग (रोजाना करीब 17 बार कम मात्रा में आहार लेना) और अधिक खानपान यानी गोर्जिंग (दिन में दो से तीन बार खाना) के बीच अंतर की पड़ताल की गई। एक आम धारणा है कि एक समय में कम खानपान से आपका मेटाबॉलिज्म (एक ऐसी रासायनिक प्रक्रिया, जो भोजन को पचाकर ऊर्जा में परिवर्तित करती है) बढ़ता है, लेकिन ऐसा नहीं है।

 

कम खानपान के बाद इंसुलिन बढ़ने की कम संभावना
 एक अध्ययन से इस बात के प्रमाण मिले हैं कि दिन में ज्यादा खानपान करने की तुलना में कम खानपान के बाद इंसुलिन बढ़ने की कम संभावना रहती है। इससे रक्त-शर्करा नियंत्रण के बेहतर स्थिति में होने का संकेत मिलता है। इससे वसा कम जमा होती है,जिसके चलते यह तरीका वजन को नियंत्रित करने में अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा होता है। हालांकि कुछ और अध्ययनों में पता चला है कि कम खानपान वास्तव में अधिक खानपान की तुलना में अधिक कैलोरी खर्च नहीं होती। प्रतिदिन दो से चार बार भोजन किये जाने पर किये गए अध्ययन यह बताने में असफल रहे हैं कि क्या कम खानपान अधिक खानपान की तुलना में वजन घटाने में अधिक लाभदायक रहा है। कुछ अध्ययनों में पता चला है कि अधिक खानपान से वजन घटाने में मदद मिलती है, लेकिन इससे भूख बढ़ सकती है, जिससे रक्त से वसा को अलग करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। इसे हृदय संबंधी रोगों को खतरा रहता है।



बीते कई दशकों में बदला खाने-पीने  का तरीका 
हमारे खान-पान का तरीका बीते कई दशकों में काफी बदला है। हम नाश्ते या भोजन के अन्य तौर-तरीकों का अधिक पालन करते हैं। इनमें थोड़े-थोड़े समय का उपवास शामिल है। इसमें भोजनों की संख्या कम करने या एक भोजन से दूसरे भोजन के बीच अधिक समय छोड़ने की वकालत की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस तरह के खान-पान से शरीर को बेहतर तरीके से वजन कम करने में मदद मिलती है। कुल मिलाकर कहें तो किस व्यक्ति के लिये कौन सी आहार नीति श्रेष्ठ रहेगी यह कई कारकों पर निर्भर करता है और जिनमें आपका लक्ष्य क्या है, आपकी जीवनशैली कैसी है, आपके सोने का वक्त निर्धारित है या अनियमित है और आप किस तरह का व्यायाम करते हैं, शामिल है।

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