विवादित भूमि पर ही बनेगा राम मंदिर, जानिए इस 'सुप्रीम' सुनवाई में कब-कब बदले हालात

Edited By vasudha,Updated: 09 Nov, 2019 10:51 PM

know when and how the situation changed in this supreme hearing

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जहां विवादित भूमि राम जन्मभूमि न्यास देने का फैसला किया। तो नहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने का भी आदेश दिया...

नेशनल डेस्क: अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने जहां विवादित भूमि राम जन्मभूमि न्यास देने का फैसला किया। तो नहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ की वैकल्पिक जमीन देने का भी आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 40 दिनों की मैराथन सुनवाई करते हुए 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था। जो 9 नवंबर को सुनाया गया। आइए नजर डालते हैं 40 दिन हुई इस सुनवाई पर एक नजर:-

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  • पहला दिन: निर्मोही अखाड़ा ने कहा विवादित ढांचा 2.77 एकड़ पर सैकड़ों साल से निर्मोही अखाड़ा का पोजेशन रहा है।
  • दूसरा दिन: रामलला विराजमान ने दलील दी, कि राम में आस्था रखने वालों का विश्वास ही इस बात का साक्ष्य है कि अयोध्या के विवादित स्थल पर राम पैदा हुए थे।
  • तीसरा दिन: रामलला विराजमान की दलील, हाईकोर्ट में किसी भी पक्षकार ने विवादित स्थल को बांटने के लिए नहीं कहा था। लेकिन हाईकोर्ट ने विवादित स्थल को तीन भागों में बांट दिया। जन्मस्थान का खासा महत्व है।
  • चौथा दिन: रामलला विराजमान के वकील के. परासरन ने कहा कि हिंदू धार्मिक मान्यताओं में देवता का कोई विशेष आकार जरूरी नहीं है। देवता कण-कण में बसते हैं।
  • पांचवा दिन: रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने दलील दी कि जन्मस्थान ही देवता हैं और जन्मस्थान को साझा नहीं किया जा सकता क्योंकि देवता का बंटवारा नहीं हो सकता।
  • छठा दिन: हिंदू पक्षकारों ने दलील दी कि राम जन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़ा गया और अगर मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाया जाता है तो शरिया कानून ऐसे मस्जिद को कोई मान्यता नहीं देता।
  • सातवां दिन: रामलला विराजमान के वकील ने दावा किया कि जिस जगह मस्जिद बनाई गई थी उसके नीचे मंदिर का बहुत बड़ा ढांचा था। आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में साफ है।
  • आठवां दिन: हिंदू पक्षकार की दलील थी कि 12 सदी के जो शिलापट्ट और शिलालेख मिले हैं, उसके साक्ष्य बताते हैं कि वहां विशाल विष्णु मंदिर था। मस्जिद बनाए जाने के बाद भी हिंदू वहां पूजा करते थे।
  • नौवां दिन: हिंदू पक्षकार का कहना था कि अगर जन्मस्थान ही देवता है तो प्रॉपर्टी उसी में निहित हैं यानी प्रॉपर्टी देवता की ही हुई और ऐसे में कोई भी उस जमीन (जन्मस्थान) पर दावा नहीं कर सकता। देवता को उनकी खुद की संपत्ति से विमुख नहीं किया जा सकता।
  • दसवां दिन: पुजारी गोपाल दास विरासद की ओर से पेश हुए सीनियर एडोवकेट रंजीत कुमार ने दलील दी कि वह मूल पक्षकार हैं और उन्हें जन्मस्थान पर पूजा करने का अधिकार है।

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  • ग्यारहवें दिन: इस दिन निर्मोही अखाड़ा की ओर से दलील दी गई कि हमारा दावा टाइटल पर नहीं है बल्कि हमारा दावा ये है कि हम जन्मस्थान पर स्थित मंदिर के शेबियत यानी सेवक हैं और पोजेशन पर हमारा दावा है।
  • बारहवां दिन: निर्मोही अखाड़ा ने दलील दी कि हम देवस्थान का मैनेजमेंट संभालते हैं और पूजा का अधिकार चाहते हैं।
  • तेराहवां दिन: निर्मोही अखाड़ा ने फिर दलील दी कि विवादित ढांचे में 1934 के बाद किसी मुस्लिम ने प्रवेश नहीं किया। वहां मंदिर था।
  • चौहदवें दिन: हिंदू पक्षकार के वकील ने कहा कि बाबरनामा में कहीं भी जिक्र नहीं है कि मीर बाकी ने मस्जिद बनावाई थी, दरअसल औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई।
  • पंद्रहवें दिन: हिंदू पक्षकार के वकील ने दलील दी कि इस्लाम के मुताबिक दूसरे का पूजा स्थल को गिराकर मस्जिद नहीं बनाई जा सकती। इस्लामिक कानून के तहत ऐसी मस्जिद की मान्यता नहीं हो सकती।
  • सोलहवें दिन: शिया वक्फ बोर्ड की ओर से कहा गया कि हम जमीन के एक तिहाई हिस्सा हिंदुओं को देना चाहते हैं।
  • सत्रहवें दिन: मुस्लिम पक्षकार की ओर से पैरवी कर रहे वकील राजीव धवन ने कहा कि जहां तक टाइटल शूट का सवाल है तो ऐसे मामले में ऐतिहासिक दलील का कोई मतलब नहीं रह जाता है और संपत्ति के मालिक द्वारा संपत्ति का इस्तेमाल न करने से उसका मालिकाना हक खत्म ही हो जाता।
  • अठराहवें दिन: सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा बाबरी मस्जिद पर सुनियोजित तरीके से अटैक किया गया और छल से मूर्ति रखी गई थी।
  • उन्नीसवें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने निर्मोही अखाड़ा के मैनेजमेंट के अधिकार का विरोध नहीं किया लेकिन उनका मालिकाना हक भी कभी नहीं माना।
  • 20वें दिन: सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दलील दी कि राम चबूतरे पर पूजा और पूजा के अधिकार को हमने कभी मना नहीं किया।

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  • 21वें दिन: राजीव धवन ने दलील दी कि 22 दिसंबर 1949 को जो गलती हुई उसे जारी नहीं रखा जा सकता।
  • 22वें दिन: राजीव धवन ने कहा उन्हें धमकी दी जा रही है। अब उन्हें फेसबुक पर धमकी दी गई है। उनके क्लर्क को भी धमकाया गया है।
  • 23वें दिन: मुस्लिम पक्षकार की ओर से दलील दी गई कि मस्जिद के अंदर अल्लाह लिखे जाने के साक्ष्य हैं। वहां लगातार 1934 के बाद भी नमाज पढ़ी जाती रही है और इसके कई गवाह हैं।
  • 24वें दिन: मुस्लिम पक्षकारों के वकील ने कहा है कि जन्मस्थान कानूनी व्यक्ति नहीं है।
  • 25वें दिन: राजीव धवन ने कहा इस बात से कोई इनकार नहीं है कि भगवान राम का अयोध्या में जन्म हुआ था। लेकिन क्या सिर्फ आस्था के आधार पर किसी स्थान विशेष को कानूनी व्यक्ति माना जा सकता है।
  • 26वें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने कहा रामचरित मानस से लेकर रामायण में कहीं भी इसका जिक्र नहीं है कि असल में कौन सी जगह पर राम का जन्म हुआ था।
  • 27वें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने कहा साल 1885 में तमाम कार्रवाई राम चबूतरा के लिए हुई थी।
  • 28वें दिन: मुस्लिम पक्षकार के वकील ने कहा कि 1985 में न्याय बनाया गया और देशभर में कारसेवकों द्वारा आंदोलन चलाया गया और विश्व हिंदू परिषद ने आंदोलन को संगठित कर गति दी और फिर देश भर में माहौल बनाया गया और 1992 में बाबरी मस्जिद को गिराया गया ताकि हकीकत को मिटाया जा सके और मंदिर बनाया जा सके।
  • 29वें दिन: राजीव धवन ने दलील दी कि हम भगवान राम का सम्मान करते हैं। जन्मस्थान का सम्मान करते हैं इस देश में अगर राम और अल्लाह का सम्मान नहीं होगा तो देश खत्म हो जाएगा।
  • 30वें दिन: मुस्लिम पक्षकार की तरफ से कहा गया कि राम चबूतरा जन्मस्थान है ऐसा कहने में कोई ऐतराज नहीं है क्योंकि पहले ही तीन-तीन कोर्ट इस बात को कह चुके हैं। लेकिन हमारा दावा पूरे इलाको को लेकर है।

 

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  • 31वें दिन: सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा कि हमने ये बिल्कुल स्वीकार नहीं किया कि राम चबूतरा भगवान राम का जन्मस्थान है।
  • 32वें दिन: सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा कि दोनों पक्षकार अपनी दलील की समयसीमा तय करें ताकि सुनवाई 18 अक्टूबर तक पूरी की जा सके।
  • 33वें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने कहा ASI रिपोर्ट एक कमजोर साक्ष्य है। ये रिपोर्ट पूरी तरह से परिकल्पना पर आधारित है। साथ ही इसके निष्कर्ष अनुमान आधारित है।
  • 34वें दिन: मुस्लिम पक्षकार के वकील शेखर नाफडे ने दलील दी कि 1885 के मुकदमे और अभी के मुकदमें एक जैसे ही हैं। दोनों में फर्क सिर्फ इतना है कि 1885 में विवादित स्थल के एक जगह पर दावा किया गया था अब पूरे हिस्से में दावा किया गया है।
  • 35वें दिन: हिंदू पक्षकार की तरफ से दलील दी गई है कि राम जन्मस्थान न्यायिक व्यक्तित्व है।
  • 36वें दिन: रामलला विराजमान के वकील ने कहा कि मस्जिद के नीचे जो स्ट्रक्चर था उसमें कमल, परनाला और वृताकार श्राइन के साक्ष्य मिले हैं इससे निष्कर्ष निकलता है कि वह मंदिर था।
  • 37वें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने कहा कोई इस बात से इनकार नहीं कर रहा है कि राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। लेकिन विवाद जन्मस्थान को लेकर है। उनका जन्म बीच वाले गुंबद के नीचे नहीं हुआ था।
  • 38वें दिन: मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अदालत सारे सवाल हमसे ही क्यों कर रही है, हिंदू पक्षकारों से क्यों नहीं ?
  • 39वें दिन: हिंदू पक्षकार के वकील के परासरन ने मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पेश की गई दलील का जवाब देते हुए कहा कि अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान पर बाबर ने मस्जिद बनवाई और ये एक ऐतिहासिक भूल है जिसे सुधारने की जरूरत है।
  • 40वें दिन: मुस्लिम पक्षकार ने कहा वहां दोबारा कंस्ट्रक्शन का अधिकार हमारा है। इबादत करने का अधिकार हमारा है क्योंकि टाइटल हमारा है। यहां तक कि चबूतरे का पार्ट भी मस्जिद का ही है। मस्जिद सिर्फ गुंबद नहीं हैं।

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