कोच्चि मरादू फ्लैट्स मामला:SC का आदेश- हर फ्लैट मालिक को दिया जाए 25 लाख का मुआवजा

Edited By Yaspal,Updated: 27 Sep, 2019 05:18 PM

kochi maradu flats case sc order given to every flat owner

उच्चतम न्यायालय ने कोच्चि के तटीय क्षेत्र में बने मरदु फ्लैटों को 138 दिन के भीतर गिराने और फ्लैट मालिकों को चार सप्ताह के भीतर 25-25 लाख रूपए अंतरिम मुआवजा देने का शुक्रवार को केरल सरकार को निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अरूण...

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने कोच्चि के तटीय क्षेत्र में बने मरदु फ्लैटों को 138 दिन के भीतर गिराने और फ्लैट मालिकों को चार सप्ताह के भीतर 25-25 लाख रूपए अंतरिम मुआवजा देने का शुक्रवार को केरल सरकार को निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट्ट की पीठ ने इसके साथ ही इन इमारतों को गिराने की कार्रवाई की निगराने करने और कुल मुआवजे का आकलन करने के लिये उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच समिति गठित करने का भी आदेश दिया।

संपत्तियों को जब्त करने का भी दिया आदेश
पीठ ने कोच्चि के तटीय जोन इलाकों में गैरकानूनी इमारतों का निर्माण करने में संलिप्त बिल्डरों और प्रमोटरों की संपत्तियां जब्त करने का भी आदेश दिया। पीठ ने कहा कि सरकार अवैध रूप से इमारत बनाने वाले बिल्डरों और प्रमोटरों से अंतरिम मुआवजे की राशि वसूल करने पर विचार कर सकती है। इस मामले की सुनवाई के दौरान शुक्रवार को हालांकि केरल के मुख्य सचिव टाम जोस न्यायालय में मौजूद थे, लेकिन पीठ ने कहा कि अब 25 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान उनकी उपस्थिति जरूरी नहीं होगी।

केरल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ को सूचित किया कि इन चारों इमारतों की बिजली और पानी की आपूर्ति बृहस्पतिवार को बंद कर दी गयी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इन इमारतों को गिराने में अब और विलंब की कोई वजह नहीं होनी चाहिए। न्यायालय ने इस संबंध मे फरीदाबाद में कांत एन्क्लेव का उदाहरण दिया जहां गैरकानूनी निर्माण गिराये गये हैं और ऐसे निर्माण के लिए जिम्मेदार लोगों से धन वसूलने की रूपरेखा तैयार की जा चुकी है।

तटीय क्षेत्रों में न हो निर्माण
पीठ ने स्पष्ट किया कि न्यायालय का मुख्य सरोकार यह था कि पारिस्थितिकी की दृष्टि से संवेदनशील तटीय क्षेत्रों में किसी प्रकार का निर्माण नहीं होना चाहिए और यह किसी व्यक्ति विशेष से संबंधित सवाल नहीं था। साल्वे जब इन इमारतों को गिराने की कवायद की बारीकियों के बारे में कह रहे थे तो पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘यदि आप यह नहीं कर सकते हैं तो हम इसके लिये किसी बाहरी एजेन्सी की सहायता देने के लिये सोचेंगे।''

साल्वे ने कहा कि इन इमारतों को विस्फोट के जरिये ही गिराने की आवश्यकता है और इस काम को करने के लिये 11 अक्टूबर तक विशेष दक्षता प्राप्त एजेन्सी की नियुक्ति की जायेगी। शीर्ष अदालत ने अधिसूचित तटीय क्षेत्र में निर्मित इन इमारतों को एक महीने के भीतर वहां से हटाने का आठ मई को आदेश दिया था। न्यायालय ने तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बाद यह आदेश दिया था।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि पहले से ही अधिसूचित तटीय विनियमन क्षेत्र में इन इमारतों का निर्माण किया गया है जहां किसी भी प्रकार का निर्माण प्रतिबंधित हैं। इससे पहले न्यायालय ने इन इमारतों को गिराने के आदेश के खिलाफ इलाके के निवासियों का आवेदन अस्वीकार कर दिया था और अवकाशकालीन पीठ द्वारा इन इमारतों को गिराने पर छह सप्ताह के लिये रोक लगाये जाने पर कड़ा रूख अपनाया था।

 

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