CBI vs ममता: आखिर क्या है डायरी और पेन ड्राइव का राज

Edited By Anil dev,Updated: 05 Feb, 2019 11:02 AM

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कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से सीबीआई की पूछताछ अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। राजीव कुमार से सीबीआई इसलिए पूछताछ करना चाहती है कि वो सारदा घोटाले की जांच के लिए बंगाल सरकार द्वारा गठित एसआईटी के मुखिया थे।

नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स): कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से सीबीआई की पूछताछ अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। राजीव कुमार से सीबीआई इसलिए पूछताछ करना चाहती है कि वो सारदा घोटाले की जांच के लिए बंगाल सरकार द्वारा गठित एसआईटी के मुखिया थे। उनपर सबूतों को नष्ट करने की आशंका जाहिर की जा रही है। राजीव कुमार ऐसे पहले अधिकारी नहीं हैं, जिनके खिलाफ सारदा घोटाले में कार्रवाई की जा रही है। इस मामले में असम के पूर्व डीजीपी शंकर बरुआ गिरफ्तार हो चुके हैं। ममता बनर्जी की पार्टी तृणमृल कांग्रेस के दो सांसद कुणाल घोष और शृंजय बोस के अलावा एक मंत्री मदन मित्रा गिरफ्तार हो चुके हैं। इन राजनीतिक गिरफ्तारियों पर ममता ने कोई बड़ी पहल नहीं की, कोई आंदोलन खड़ा नहीं किया, लेकिन राजीव कुमार से पूछताछ को लेकर वो भिड़ गईं। 

प्रकाश जावड़ेकर ने ममता बनर्जी से पूछा सवाल
इधर दिल्ली में मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक पटाखा फोड़ा और ममता बनर्जी से पूछा कि ‘लाल डायरी’ और ‘पेन ड्राइव’ में क्या है, ये बताएं। जावड़ेकर ने ये भी कहा कि इस डायरी का सच सामने आ जाए तो ममता बेनकाब हो जाएंगी। तो क्या यह मान लिया जाए कि सीबीआई के अधिकारी इसी डायरी और पेन ड्राइव की जानकारी के लिए राजीव कुमार के पास गए थे। राजीव कुमार ने राज्य की विशेष जांच  टीम (एसआईटी) के प्रमुख के रुप में इस मामले की शुरुआती जांच की थी और उनके पास थी और उनके पास उस घोटाले से जुड़े अनेक सबूत और दस्तावेज होने की आशंका है। 

 तृणमूल का सारदा कनेक्शन
टीएमसी के सांसद कुणाल घोष और शृंजय घोष तथा राज्य सरकार में मंत्री मदन मित्रा को सारदा ने अथाह धन दिया था। इन सब पर कार्रवाई चल रही है। तृणमूल कांग्रेस के और भी कई प्रमुख नेताओं का नाम सारदा घोटाले में आता रहा है। सारदा ग्रुप के चेयरमैन सुदीप्तो सेन ने बड़ी चालाकी से तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और बंगाल की कई अन्य हस्तियों को अपने जाल में समेटा था। इनमें अभिनेत्री शताब्दी रॉय और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती जैसे लोग शामिल हैं। जिन्हें कम्पनी को ब्रांड एम्बेसडर के रूप में मोटा पैसा दिया गया। अभिनेत्री अपर्णा सेन को सारदा ग्रुप ने अपनी एक पत्रिका में संपादक बनाया था। सुदीप्तो सेन ने पहली कम्पनी 2006 में बनाई थी। बाद में उसमें करीब 200 अन्य कम्पनियां बनाईं। इन कंपनियों ने मोटा ब्याज देने का वादा करके करीब 18 लाख लोगों से लगभग तीन हजार करोड़ रुपए जमा कराए। 2009 से सेबी ने सारदा के कारोबार पर आपत्ति उठाई थी, लेकिन सीपीएम के राज में भी कंपनी का कारोबार बदस्तूर जारी रहा। 

ममता बनर्जी पर लगा था आरोप
ममता बनर्जी 2011 में मुख्यमंत्री बनीं तब भी यह आरोप लगा था कि सारदा ने तृणमूल कांग्रेस के चुनाव अभियान पर काफी मोटा पैसा खर्च किया। कम्पनी ने 8 अखबार और कई न्यूज चैनलों पर पैसा लगाया था। अंतत: 2013 में कम्पनी लडख़ड़ाने लगी। अप्रैल 2013 में कम्पनी का कारोबार बंद हो गया। मई 2014 में ही सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी। तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद से ही सीबीआई ने ममता बनर्जी को घेरने की कोशिश शुरू की। लेकिन पेंटिंग की खरीद के अलावा ममता का सारदा से कोई सीधा संबंध होने का सबूत नहीं मिला। पार्टी के जिन नेताओं का सारदा से सीधा संबंध मिला, उनके खिलाफ कार्रवाई पर ममता ने ज्यादा बवाल नहीं किया, लेकिन सीबीआई पर राजनीतिक भावना से कार्रवाई का आरोप वे लगाती रहीं।

सीबीआई की नीयत भी साफ नहीं
पूरे प्रकरण में सीबीआई का दामन भी पाक-साफ नहीं लगता है। सारदा ने असम के उप-मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वशर्मा के असमिया टेलीविजन चैनल को भी मोटी रकम दी है। शुरू में हेमंत भी जांच के घेरे में थे, लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। तृणमूल कांग्रेस के एक और सांसद मुकुल रॉय पर भी इस घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा। बाद में उनके बीजेपी में शामिल होने की खबर आई, तब से उन पर भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। दूसरी तरफ राजीव कुमार पर सारदा घोटाले से जुड़े होने का कोई आरोप नहीं है। अब सीबीआई उन्हें इस आरोप में घेरने की कोशिश कर रही है कि एसआईटी प्रमुख के रूप में उन्होंने कई सबूतों को खत्म कर दिया। कुछ सबूतों को छिपाने का आरोप भी है, लेकिन तृणमूल कांग्रेस का मानना है कि असली निशाने पर ममता बनर्जी हैं। 

सबूतों की तलाश कर रही है सीबीआई 
सीबीआई अब ऐसे सबूतों की तलाश कर रही है जिनके जरिए जांच का दायरा ममता बनर्जी तक फैलाया जा सके। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस तरह की कार्रवाई को राजनीति से जोड़कर देखा जाना आश्चर्यजनक नहीं है। ममता ने भी इसे बीजेपी की राजनीतिक चुनौती मानकर उग्र रूप धारण कर लिया है। ममता के अभियान ने विपक्ष को एक होने का एक और मौका दे दिया है। इस पूरे प्रकरण में सभी गैर बीजेपी पार्टियों की एकता से उल्टे बीजेपी के सामने एक नई चुनौती खड़ी होती दिख रही है। सीबीआई के अंतरिम निदेशक एम नागेश्वर राव पर बीजेपी के इशारों पर काम करने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। इस मामले ने सीबीआई की निष्पक्षता पर एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है। लाल डायरी और पेन ड्राइव के राज को ममता बनर्जी खोलें या न खोलें, सीबीआई से सच्चाई सामने लाने की उम्मीद तो बनी ही रहेगी।

राजीव को घेरने का सही समय ? 
ऊपर से देखकर लगता है कि राजीव कुमार से पूछताछ सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन यहां अहम सवाल ये भी है कि सीबीआई ने उनसे पूछताछ के लिए यही समय क्यों चुना और यहीं से केंद्र सरकार और सीबीआई की नीयत पर भी सवाल खड़ा होता है। लोकसभा चुनावों में तीन महीनों से कम समय रह गया है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी और बीजेपी के बीच खुली जंग शुरू हो चुकी है। बीजेपी यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि बंगाल में उसका सीधा मुकाबला ममता बनर्जी से ही है। अपने आक्रामक प्रचार अभियान से बीजेपी की कोशिश है कि सीपीएम और कांग्रेस को हाशिए पर खड़ा कर दिया जाए। बीजेपी ने बंगाल में जितनी ताकत झोंकी है, उतनी ताकत पहले कभी भी नहीं लगाई थी। तृणमूल कांग्रेस को भी एहसास हो गया है कि हिन्दुत्व का एजेंडा आगे करके बीजेपी उसके आधार को खिसकाने में लगी है। 

ईमानदार नेता की है ममता बनर्जी की छवि
ममता ने बंगाल में सीपीएम के लाल गढ़ को तोड़ डाला और अब उसके गढ़ को तोडऩे की तैयारी में भाजपा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 34 तृणमूल कांग्रेस को और 20 बीजेपी को मिली थी। इसी के चलते ममता बनर्जी को अगले प्रधानमंत्री पद का प्रमुख दावेदार बनाया जाने लगा है। ममता को मुस्लिम समर्थक बनाकर बीजेपी अगले चुनाव में धार्मिक आधार पर वोटरों का ध्रुवीकरण करना चाहती है। धार्मिक विभाजन का फायदा बीजेपी को मिल सकता है। ममता बनर्जी की छवि ईमानदार नेता की है। साधारण कपड़ों और चप्पलों में गुजर करने वाली ममता पर भ्रष्टाचार का कोई गंभीर आरोप नहीं है। लंबे समय से मुख्यमंत्री होने के बावजूद अपने एक कमरे के पुराने मकान में रहती हैं। लेकिन सारदा घोटाले के छींटे से वो भी नहीं बच पाई हैं। सारदा ने करीब 2 करोड़ रुपए में उनकी कुछ पेंटिंग खरीदी थी। इसके चलते सारदा से उनका सीधा संबंध दिखाई देता है। 

टीएमसी ने मोदी सरकार के खिलाफ निकाली रैली
तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी कोलकाता पुलिस प्रमुख से सीबीआई की पूछताछ की नाकाम कोशिश के बाद धरने पर बैठी हैं, जबकि उनके पार्टी कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर रैलियां निकालीं। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में पार्टी कार्यकर्ताओं ने राजमार्गों और रेलमार्गों को बंद कर दिया और प्रधानमंत्री तथा भाजपा अध्यक्ष के पुतले जलाए। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों ने भी विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक सड़कों पर मार्च के दौरान भाजपा के खिलाफ नारे लगा रहे थे। उन्होंने काले झंडे थाम रखे थे तथा काले रंग के नकाब भी लगा रखे थे। पार्टी के छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने विभिन्न कॉलेजों के बाहर प्रदर्शन किया। 


 

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