Kundli Tv- कल से शुरू होगा मां चिंतपूर्णी का सावन मेला

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Aug, 2018 12:53 PM

kundli tv maa chintpurni sawan mela

श्री छिन्नमस्तिका धाम चिंतपूर्णी जिला ऊना तहसील भरवाई हिमाचल प्रदेश में उत्तरी भारत का प्रसिद्ध सिद्धपीठ देश के 52 पीठों में से एक है जहां सती मां पार्वती के चरण गिरे थे। इस शक्तिपीठ में पिंडी रूप में मां के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए...

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)

PunjabKesariश्री छिन्नमस्तिका धाम चिंतपूर्णी जिला ऊना तहसील भरवाई हिमाचल प्रदेश में उत्तरी भारत का प्रसिद्ध सिद्धपीठ देश के 52 पीठों में से एक है जहां सती मां पार्वती के चरण गिरे थे। इस शक्तिपीठ में पिंडी रूप में मां के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए देश-विदेश से वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।

PunjabKesari
हर वर्ष श्रावण अष्टमी पर यहां बड़ा भारी 9 दिवसीय मेला लगता है। इस वर्ष यह मेला 12 अगस्त से 18 अगस्त तक चलेगा। शक्ति पीठ पर भक्तजन अपनी मन्नतों और श्रद्धा के अनुसार साइकिलों पर नंगे पांव पैदल चलते हुए ढोल-नगाड़ों के साथ मां का जयघोष करते हुए पहुंचते हैं। ऐसी मान्यता है कि आने वाले श्रद्धालुओं की सच्चे मन से की गई पुकार मां शीघ्र सुनती हैं और उनकी चिंताओं का संहार करके उन्हें सुख-समृद्धि व सम्पन्नता का वरदान देती हैं। मां सदा अपने भक्तों का हित करती हैं।

PunjabKesari
इस धार्मिक स्थल के बारे में प्रचलित एक लोककथा के अनुसार एक बार मां भगवती के प्रिय भक्त माईदास जी अपने ससुराल जाते समय मार्ग में एक वट वृक्ष के नीचे आराम करने के लिए लेट गए। यह वट वृक्ष वही स्थान था जहां आज चिंतपूर्णी मंदिर है।

PunjabKesari
संयोगवश भक्त माईदास की आंख लग गई तथा स्वप्न में उन्हें कन्या के रूप में मां भगवती ने दर्शन देकर आदेश दिया कि तुम यहीं रह कर मेरी सेवा करो, इसी में तुम्हारा भला है। तंद्रा टूटने पर वह फिर ससुराल की ओर चल दिए लेकिन मस्तिष्क में बार-बार मां भगवती का आदेश गूंजता रहा। ससुराल से वापस आते समय भक्त माईदास के कदम फिर यहीं थम गए। वह उसी वट वृक्ष की छाया में बैठ गए। मन ही मन प्रार्थना की कि हे मां प्रत्यक्ष दर्शन देकर मुझे आदेश दें जिससे मेरा संशय दूर हो। सिंहवाहिनी दुर्गा ने चतुर्भुजी रूप में साक्षात् दर्शन देकर भक्त की चिंताओं का निवारण किया। देवी ने कहा कि मैं इस वृक्ष के नीचे पिंडी रूप में स्थित हूं। तुम यहां रहकर मेरी आराधना-सेवा करो। मैं छिन्नमस्तिका के नाम से पुकारी जाती हूं। तुम्हारी चिंता दूर करने के कारण अब मैं यहां चिंतपूर्णी के नाम से जानी जाऊंगी।

PunjabKesari
भक्त माईदास ने नतमस्तक होकर मां से कहा-हे जग जननी इस भयानक जंगल में जहां न कोई जीव है, न पानी है, मुझे तो दिन में भी डर लगता है, मैं रात्रि होने पर यहां कैसे रहूंगा। मां ने कहा-मैं तुम्हें अभयदान देती हूं। नीचे जाकर तुम किसी बड़े पत्थर को उखाड़ो, वहां जल मिलेगा। उसी से तुम मेरी पूजा किया करना। जिन भक्तों की मैं चिंता दूर करूंगी वे स्वयं ही मेरा मंदिर बनवा देंगे।

PunjabKesari
ऐसा कह कर मां पिंडी के रूप में अलोप हो गईं। भक्त माईदास थोड़ा नीचे उतरे, एक बड़े पत्थर को हटाया तो वहां जल का स्रोत निकला। तब से भक्त माईदास वहीं रहने लगे।
माता चिंतपूर्णी का मंदिर एक वट वृक्ष के नीचे स्थित है। इस वट वृक्ष के बारे में मान्यता है कि यह वही वृक्ष है जिसके नीचे भक्त माईदास जी को मां भगवती ने कन्या रूप में दर्शन दिए थे। यहां मंदिर के समीप ही, जहां से भक्त माईदास ने पत्थर हटाया था, एक विशाल सरोवर है। इस सरोवर की कार सेवा सन् 1979 में अमर शहीद लाला जगत नारायण जी ने आरंभ करवाई थी। अब वहां सुंदर सरोवर बना हुआ है जिसके चारों ओर संगमरमर लगा हुआ है।


लाला जी की याद में चिंतपूर्णी में एक भव्य धर्मशाला का निर्माण कार्य 1998 में शुरू किया गया था तथा 15 अगस्त को उनकी प्रतिमा का भी अनावरण किया जा रहा है। देव भूमि हिमाचल के धार्मिक स्थलों में से एक यह धार्मिक स्थल जहां लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, वहीं प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रबंध सराहनीय हैं लेकिन अभी सुधार लाने की बहुत आवश्यकता है ताकि मंदिर में और उसके आस-पास सफाई रहे तथा यात्रियों को सुविधाएं मिल सकें।

राशि अनुसार सावन में करें ये काम, फिर देखें भोले का चमत्कार (देखें VIDEO) 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!