Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Mar, 2018 05:56 PM
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित तौर पर मारपीट करने के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज अपनी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव पर हमला और विधानसभा की कई समितियों द्वारा उन्हें नोटिस जारी करना विधायकों और नौकरशाही...
नेशनल डेस्क: दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित तौर पर मारपीट करने के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज अपनी प्रतिक्रिया दी। कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव पर हमला और विधानसभा की कई समितियों द्वारा उन्हें नोटिस जारी करना विधायकों और नौकरशाही के बीच ‘विश्वास की बेहद कमी’ को दिखाता है। अदालत ने दिल्ली सरकार को अब से विधायकों और नौकरशाहों के बीच होने वाली सभी बैठकों की वीडियोग्राफी करने का भी सुझाव दिया।
अदालत ने आप सरकार को सलाह दी कि वह ऐसे कदम उठाए ताकि भविष्य में ‘कोई अनेपक्षित घटना’ नहीं हो और पारर्दिशता कायम रखी जा सके। अदालत का आदेश आप विधायक प्रकाश जारवाल को जमानत देने के साथ आया जिन्हें 19-20 फरवरी की दरम्यानी रात में यहां मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास पर बैठक के दौरान मुख्य सचिव पर हमले के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने कहा कि मौजूदा याचिका का निपटारा करने से पहले यह अदालत यह रेखांकित करना चाहती है कि दलीलों के दौरान विधानसभा के सदस्यों और नौकरशाही के बीच विश्वास की बेहद कमी दिखी। जारवाल देवली से विधायक हैं उन्हें कथित घटना के एक दिन बाद 20 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया गया था। अदालत ने सात मार्च को उनकी जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और कहा था कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है जहां राज्य और अधिकारी असुरक्षित महसूस करते हों और एक दूसरे को डरा रहे हों। इसी मामले में 21 फरवरी को गिरफ्तार किए गए ओखला के विधायक अमानतुल्लाह खान की जमानत याचिका अदालत के समक्ष लंबित है।