क्या चीन को मिलकर टक्कर देगी भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया की चौकड़ी?

Edited By Anil dev,Updated: 02 Sep, 2020 11:03 AM

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तीन माह से लद्दाख की सीमा पर भारत व चीन के बीच तनाव बना हुआ है। जून महीने में जब दोनों देशों की सेना में हिंसक झड़प हुई तो अमरीका ने भारत के समर्थन में पहला बयान दिया था। एक बार फिर सीमा पर तनाव की खबरें हैं। इस बार गलवान घाटी की जगह पैंगांग लेक के...

नई दिल्ली: तीन माह से लद्दाख की सीमा पर भारत व चीन के बीच तनाव बना हुआ है। जून महीने में जब दोनों देशों की सेना में हिंसक झड़प हुई तो अमरीका ने भारत के समर्थन में पहला बयान दिया था। एक बार फिर सीमा पर तनाव की खबरें हैं। इस बार गलवान घाटी की जगह पैंगांग लेक के पास झड़प हुई है। भारत चीन के बीच सीमा पर तनाव की घटनाओं पर पूरी दुनिया की नजर अमरीका के उप-विदेश मंत्री स्टीवन बीगन ने तनाव के मद्देनजर एक बयान में कहा कहा है कि जल्द ही भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया (क्वाड)के विदेश मंत्रियों की एक औपचारिक मुलाकात दिल्ली में होगी। यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम में संवाद के दौरान स्टीवन बीगन ने यह बात कही। इस संवाद सत्र का संचालन रिचर्ड वर्मा कर रहे थे, जो भारत में अमरीका के राजदूत रह चुके हैं।

क्वाड क्या है?
भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इन चारों देशों के समूह को ‘दि क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग’ (क्यूसिड) या क्वाट के नाम से जाना जाता है। चारों देशों के बीच अनौपचारिक राजनैतिक बातचीत के मकसद से 2007 में इसके गठन का प्रस्ताव आया था। जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने यह सुझाव रखा था जिसे भारत, अमरीका और ऑस्ट्रेलिया ने समर्थन दिया। पैंगांग लेक के तट परभारत व चीन के सैनिकों के बीच झड़प के बात अमरीका के मंत्री की ओर से आए बयान के बाद वैश्विक स्तर पर इस मामले को अब गंभीरता से लिया जा रहा है। आस्ट्रेलिया की चीन से पहले ही तनातनी है। हालांकि जापान में प्रधानमंत्री शिंजो आबे पिछले हफ्ते ही स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे चुके हैं। क्वाड की बैठक को लेकर अब जापान की क्या प्रतिक्रिया रहेगी इसका इंतजार है। क्वाड बहुत सक्रिय समूह नहीं रहा। 2007 के 10 साल बाद 2017 में इसके विदेश मंत्रियों की औपचारिक बैठक न्यूयार्क में हुई थी। लेकिन यह समूह अनौपचारिक रूप से संवाद करता रहा है। जून में जब गलवान घाटी में चीन व भारत के बीच तनाव शुरु हुआ था तो क्वाड समूह की औपचारिक बैठक बुलाने की चर्चा शुरु हुई थी लेकिन पहली बार अमरीका की ओर से सार्वजनिक रूप से बैठक बुलाने को लेकर बयान आया है। 


क्वाड समूह की जरूरत क्यों महसूस हुई
पूर्व राजनयिक राजीव डोगरा ने एक बयान में कहा था कि क्वाड के गठन को लेकर अनौपचारिक रूप से बातचीत शुरु हुई थी। जब सुनामी आई थी तब अमरीका, भारत और कुछ और देशों ने मिलकर राहत का काम शुरू किया था। उसी दौरान पहली बार इन देशों ने मिलकर काम करने पर विचार किया। इसके अलावा जब सोमालिया के समुद्री लुटेरों के खिलाफ ऑपरेशन शुरू हुए तो उसमें भी अमरीका, भारत और कुछ अन्य देशों ने मिलकर काम किया था। इसका परिणाम भी काफी बेहतर रहा। जब साउथ चाइना समुद्र में चीन ने अपनी दादागीरी दिखानी शुरू की, तो कई देशों को इससे परेशानी हुई। चीन अंतरराष्ट्रीय नियमों की अनदेखी इस क्षेत्र में मनमर्जी करने लगा। भारत, जापान व आस्ट्रेलिया का कारोबार इसी रास्ते से होता है। इस समस्या से निपटने के लिए इन देशों ने क्वाड फोरम बनाने का फैसला लिया। 

क्वाड से चीन को परेशानी
क्वाड एक असैन्य फोरम है। भारत की ओर से इसे सैन्य गठबंधन बनाने का कोई इरादा भी नहीं है। यद्यपि भारत, अमरीका और जापान मिलकर नौसेना अभ्यास करते रहे हैं लेकिन आस्ट्रेलिया में इसमें कभी शामिल नहीं हुआ। फिर भी चीन इस फोरम के लेकर सदैव संदेह की नजर से देखता रहा है। चीन को लगता है कि भारत अमरीका के साथ मिलकर उसके खिळाफ मोर्चा बना रहा है। गलवन घाटी में झड़प के बाद से आस्ट्रेलिया भी भारत के साथ खड़ा दिखा रहा है। हांगकांग के मुद्दे पर चीन व आस्ट्रेलिया के बीच पहले से तनातनी है।

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