Edited By Anil dev,Updated: 17 Jun, 2020 01:25 PM
लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सेना से लोहा लेते हुए शहीद हुए राजेश ओरंग तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे और 2015 में सेना में शामिल हुए थे। उनके शोक संतप्त पिता सुभाष ने बुधवार सुबह कहा, मेरे बेटे ने देश की सेवा की और उसके लिए अपनी जान दे दी।
सुरी: लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सेना से लोहा लेते हुए शहीद हुए राजेश ओरंग तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे और 2015 में सेना में शामिल हुए थे। उनके शोक संतप्त पिता सुभाष ने बुधवार सुबह कहा, मेरे बेटे ने देश की सेवा की और उसके लिए अपनी जान दे दी। राजेश की मां ममता अभी कुछ बोलने की हालत में नहीं है। मां आस लगाए हुए थे कि अगली छुट्टियों में जब बेटा घर आएगा तो उसकी शादी कराएंगे। सुभाष ने बताया कि राजेश की दो छोटी बहनें हैं। वह 2015 में सेना में भर्ती हुआ था और बिहार रेजीमेंट से था।
उन्होंने बताया कि सेना के अधिकारियों ने मंगलवार शाम को राजेश की मौत के बारे में सूचना दी। उनकी उम्र 20 साल के आसपास थी। उनकी छोटी बहन शकुंतला ने कहा, च्च्बचपन से ही मेरा भाई देश की सेवा करना चाहता था और वह सेना में शामिल होकर खुश था। वह कुछ महीनों पहले छुट्टी पर घर आया था और उसकी शादी की बातचीत चल रही थी। बीरभूम जिले के तहत आने वाले मोहम्मदबाजार पुलिस थाने के बेलगोरिया गांव में साधारण से किसान सुभाष ने गरीबी के बीच अपने बच्चों की परवरिश की। राजेश उन 20 भारतीय सैन्यकर्मियों में से एक थे जो सोमवार रात को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के दौरान शहीद हो गए। यह पांच दशकों में चीन के साथ सबसे बड़ी सैन्य झड़प है जिससे क्षेत्र में पहले ही चल रहा सैन्य गतिरोध और बढ़ गया है।