जानिए कौन सी है भारत की सबसे बड़ी लोकसभा सीट ? और क्या है इसका इतिहास

Edited By Vikas kumar,Updated: 24 Apr, 2019 01:24 PM

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देश में जल्द ही लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी पार्टियां अब चुनावी तैयारियों में जुट चुकी हैं। जिसके चलते बीजेपी ने तो अपनी तीन लिस्ट भी जारी कर दी हैं। अगर हम बात करें वर्ष 2014 की तो इस सा...

भोपाल (विकास तिवारी): देश में जल्द ही लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में सभी पार्टियां अब चुनावी तैयारियों में जुट चुकी हैं। जिसके चलते बीजेपी ने तो अपनी तीन लिस्ट भी जारी कर दी हैं। अगर हम बात करें वर्ष 2014 की तो इस साल हुए लोकसभा चुनाव में कुल 543 सीटों पर मतदान हुए थे। वैसे तो इस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली सीट वाराणसी थी क्योंकि इस सीट से ही देश को नरेंद्र मोदी के रूप में प्रधानमंत्री मिला।

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लेकिन हम देखें तो वास्तव में देश की सबसे बड़ी लोकसभा सीट लद्दाख है, जो कि जम्मू कश्मीर की 6 लोकसभा सीटों में से एक है। खूबसूरत वादियों से घिरी यह सीट अनुसूचित जनजाती के लिए आरक्षित है। लद्दाख लोकसभा क्षेत्र का क्षेत्रफल 1.74 लाख वर्ग किलोमीटर है। एलओसी पर स्थित यह लोकसभा सीट कारगिल युद्ध के बाद राजनीतिक रूप से कमजोर और अस्थिर होती चली गई। हिमालय पर्वत से घिरा लद्दाख अपनी प्राकृतिक बनावट और सुंदरता के कारण विश्व विख्यात है। 

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लद्दाख लोकसभा क्षेत्र कारगिल औऱ लेह जिलों में फैला हुआ है, जो कि उत्तर में काराकोरम पर्वत और दक्षिण में हिमालय पर्वत के बीच में है। इसके उत्तर में चीन तथा पूर्व में तिब्बत की सीमाएं हैं। यहां पर ठंड अत्यधिक होने के कारण नदियां दिन में कुछ ही समय प्रवाहित हो पाती हैं, शेष समय में बर्फ जम जाती है। यहां कि सिंधु मुख्य नदी है। क्षेत्रफल की दृष्टि से जरूर यह सीट भारत की सबसे बड़ी लोकसभा सीट है लेकिन जनसंख्या के अनुसार देखा जाए तो यह दूसरी सबसे छोटी लोकसभा सीट है। 

 
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लद्दाख लोकसभा सीट का इतिहास  

पहली बार वर्ष 1967 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के केजी बुकला ने जीत दर्ज की थी। इस जीत का सिलसिला 1971 में भी बरकारार रहा और बुकला दोबारा यहां से सांसद चुने गए। इसके बाद कांग्रेस की पार्वती देवी 1977 में, पी नामग्याल 1980 व 1984 में यहां से संसद पहुंचे थे। 1989 में लोकसभा चुनाव में लद्दाख से पहली बार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मोहम्मद हसन कमांडर ने जीत दर्ज की थी। लेकिन 1996 में तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर लड़ने वाले पी. नामग्याल चुनाव जीते। इसके दो साल बाद 1998 हुए लोकसभा चुनाव में पहली बार नेशनल कांफ्रेंस ने इस सीट पर जीत दर्ज की। 2004 में फिर से यह सीट निर्दलीय उम्मीदवार थुपस्तान छेवांग के पास चली गई। वर्ष 2009 में भी यह सीट निर्दलीय उम्मीदवार हसन खान ने ही जीती थी। लेकिन वर्ष 2014 मोदी लहर का साल था। 2004 में निर्दलीय सांसद बन चुके छेवांग इस बार बीजेपी की टिकट से लड़े औऱ पहली बार लद्दाख में कमल खिला। 


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लद्दाख लोकसभा सीट में कुल वोटरों की संख्या 1.66 लाख है। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 86,256 तो महिला मतदाताएं 80,503 है। यह पहाड़ी इलाका है यहां कि ज्यादातर आबादी बौध्दिस्ट है। इसी वजह से 2014 में इसे अनुसूचित जनजाती के लिए आरक्षित किया गया था। 


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लोकसभा चुनाव 2014 का परिणाम 

वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से थुपस्तान छेवांग ने निर्दलीय प्रत्याशी गुलाम रजा को महज 36 वोटों से हराया था। छेवांग को जहां 31,111 तो गुलाम रजा को 31, 075 वोट मिले थे। लेकिन 15 नवंबर 2018 को छेवांग ने सांसद और बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था।
 

लोकसभा उम्मीदवार

राजनीतिक दल

 वोट

वोट प्रतिशत

थुपस्तान छेवांग

बीजेपी

31,111

26.36%

गुलाम रजा

निर्दलीय

31,075

26.33%

सैयद मोहम्मद काजिम

निर्दलीय

28,234

23.92%

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