जब लाल बहादुर शास्त्री ने अपने बच्चों को भूखा रख देश को दिया एक दिन उपवास का सुझाव

Edited By Anil dev,Updated: 11 Jan, 2019 12:50 PM

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भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री आज ही के दिन 11 जनवरी 1966 में इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए थे। लाल बहादुर शास्त्री एक सीधी, सरल, सच्ची और निर्मल छवि वाले इंसान थे। उनकी ईमानदारी और खुद्दारी की लोग आज भी मिसाल देते हैं।

नई दिल्ली: भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री आज ही के दिन 11 जनवरी 1966 में इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गए थे। लाल बहादुर शास्त्री एक सीधी, सरल, सच्ची और निर्मल छवि वाले इंसान थे। उनकी ईमानदारी और खुद्दारी की लोग आज भी मिसाल देते हैं।

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शास्त्री जी से जुड़े ऐसे न जाने कितने किस्से पढ़ने-सुनने को मिल जाएंगे। एक ईमानदार, नेकनीयत और स्वाभिमानी इंसान जो अपनी सादगी और देशभक्ति के दम पर देश का प्रधानमंत्री बना। चलिए आज हम आपको बताते है इस किस्से के बारे में...

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पंडित ज्वाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद 9 जून 1964 को लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। जब उन्होंने प्रधानमंत्री पद संभाला तो उन्हें बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 1965 में उनके आते ही देश गंभीर खाद्य संकट से जूझ रहा था। कई राज्यों में सूखा पड़ा हुआ था।

 

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पहले अपने बच्चों से करवाया उपवास
उनके बेटे अनिल शास्त्री ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि एक दिन उन्होंने मेरे मां से कहा कि मैं देखना चाहता दूं कि मेरे बच्चे भूखे रह सकते हैं या नहीं। उन्होंने मां से कहा कि एक दिन खाना ना बनाए। उस वक्त में 14 से 15 साल का था। मेरे दो छोटे भाई भी थे। उस शाम हम तीनों भूखे सोए। जब उन्हें विश्वास हो गया कि उनके बच्चे भूखे रह सकते है तब उन्होंने देश वासियों से कहा कि हफ्ते में एक दिन भोजन ना करे। 

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जब शास्त्री जी ने प्रधानमंत्री आवास में चलाया हल 
देश ने शास्त्री जी के एक दिन उपवास के नारे को बेहद गंभीरता से लिया। एक बार उन्होंने खुद प्रधानमंत्री आवास पर लॉन में हल चलाया। वो चाहते थे कि देशवासी खाली पड़ी जमीन में अनाज या  सब्जियां जरुर पैदा करें। उस समय शास्त्री जी का बात को देश ने माना। देश ने शास्त्री जी के एक दिन उपवास के नारे को बेहद गंभीरता से लिया। एक बार उन्होंने खुद प्रधानमंत्री आवास पर लॉन में हल चलाया। वो चाहते थे कि देशवासी खाली पड़ी जमीन में अनाज या  सब्जियां जरुर पैदा करें। उस समय शास्त्री जी का बात को देश ने माना। 

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