Edited By Monika Jamwal,Updated: 24 May, 2019 12:08 PM
लाल सिंह को भाजपा का साथ छोडऩा रास नहीं आया।
जम्मू : लाल सिंह को भाजपा का साथ छोडऩा रास नहीं आया। जिस सीट पर उन्हें सबसे ज्यादा भरोसा था वहां से चौधरी अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए और बुरी तरह से हार गये। डोगरा स्वाभीमान संगठन बनाने और कठुआ रेप केस को लेकर मंत्री पद से त्यागपत्र देने अथवा बड़ी-बड़ी रैलियां करने का भी उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। जम्मू-पुंछ और उधमपुर-डोडा, दोनों ही सीटों पर उन्हें करारी शिकसत का सामना करना पड़ा।
लाल सिंह 23 वर्षों से राजनीति कैरियर में हैं और उनका यह चुनाव सबसे बुरा साबित हुआ। दो बार सांसद रह चुके लाल सिंह को उम्मीद नहीं थी कि उनके साथ ऐसा भी हो सकता है। हांलाकि जनता उनके काम की कायल रही है और बतौर स्वास्थ्य मंत्री उनकी तारीफें भी होती रही हैं। लाल सिंह का सपना था कि डोगरा स्वाभीमान संगठन बनाकर विधानसभा चुनावों में वह जम्मू की सभी 33 सीटों पर चुनाव में उम्मीदवार उतारेंगे पर उनका सपना टूटा सा लग रहा है। बात अगर वोटों की करें तो लाल सिंह को इस बार चुनाव में तीन गुणा कम वोट मिले हैं।