Edited By Monika Jamwal,Updated: 05 Feb, 2019 05:33 PM
जहां एक तरफ भाजपा जम्मू कश्मीर में अपनी संसदीय सीटों को पक्का करने में जुटी हुई है वहीं चौधरी लाल सिंह ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है।
जम्मू: जहां एक तरफ भाजपा जम्मू कश्मीर में अपनी संसदीय सीटों को पक्का करने में जुटी हुई है वहीं चौधरी लाल सिंह ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है। 3 फरवरी काक विजयपुर में मोदी की रैली में शामिल न होकर लाल सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ अपनी बगावत का ऐलान कर दिया था। वह इस बात से नाराज है कि उन्हें संसदीय चुनावों का उम्मीदवार नहीं बनाया जा रहा है।
लाल सिंह अब संसदीय चुनावों के लिए अपने उम्मीदवार खड़ा करेगा। उसकी उधमपुर-डोडा सीट पर काफी पैंठ है। लाल सिंह बसहोली के पूर्व विधायक हैं और उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर उधमपुर-डोडा सीट पर दो बार चुनाव लड़ा और विजयी रहे। चौधरी की बगावत भाजपा की चुनौतियों को बढ़ा सकती है। पार्टी जम्मू की दो सीटों और लद्दाख की एक सीट को जीतने के लिए प्रयास कर रही है और उसे पता है कि कश्मीर से भाजपा को कुछ नहीं मिलेगा।
रसाना कांड के बाद बनाया था संगठन
चौधरी लाल सिंह ने कठुआ के रसाना बलातकार एवं हत्या कांड के बाद अपना अलग संठन बनाया था। हांलाकि शुरू में यह संगठन राजनीतिक नहीं था। रसाना कांड में आरोपियों के हित में तिरंगा रैली निकालने के लिये लाल सिंह और चन्द्रप्रकाश गंगा की काफी किरकिरी हुई थी और दोनों ने उस समय मंत्री पद से त्यागपत्र दिया था। उन्होंने रसाना कांड में सीबीआई जांच की भी मांग की थी।
रूठे लाल को मना रही है पार्टी
भाजपा हर संभव कोशिश कर रही है कि वो लाल सिंह को मना ले। पार्टी के प्रधान रविन्द्र रैना लगातार लाल सिंह के संपर्क में हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अमित शाह की 24 फरवरी को जम्मू बैठक में लाल सिंह को शामिल कर उसे मना लिया जाए।