प.बंगाल विधानसभा में पारित हुआ बस्तियों के निवासियों को भूमि अधिकार देने का विधेयक

Edited By Yaspal,Updated: 19 Nov, 2018 07:20 PM

land rights to the residents of the settlement passed in the bengal

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने उत्तर बंगाल में बस्तियों के निवासियों को भूमि अधिकार देने के लिए एक विधेयक सोमवार को सर्वमम्मति से पारित कर दिया...

कोलकाताः पश्चिम बंगाल विधानसभा ने उत्तर बंगाल में बस्तियों के निवासियों को भूमि अधिकार देने के लिए एक विधेयक सोमवार को सर्वमम्मति से पारित कर दिया। इससे उन बस्तियों में रहने वाले लोगों के भविष्य को लेकर जारी अनिश्चितता समाप्त हो गई। बांग्लादेश और भारत ने एक अगस्त 2015 को कुल 162 बस्तियों का आदान प्रदान किया था, जिससे विश्व के सबसे जटिल सीमा विवादों में से एक विवाद सुलझ गया था। यह सीमा विवाद स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सात दशकों तक लंबित रहा।

विधेयक पर क्या बोली सरकार
पश्चिम बंगाल भूमि सुधार (संशोधन) विधेयक, 2018 भूमि एवं भूमि सुधार राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्या की ओर से पेश किया गया। सदन में उसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इस विधेयक के समर्थन में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि इस ‘‘ऐतिहासिक विधेयक’’ से बस्ती निवासियों को भारतीय नागरिक होने का पूर्ण दर्जा प्राप्त होगा। उन्हें इसके साथ ही सभी नागरिक सुविधाएं एवं नागरिक अधिकार भी प्राप्त होंगे।

विधेयक पारित होने पर ममता ने क्या कहा
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विधेयक सीमांत कूचबिहार जिला स्थित बस्तियों में रहने वाले लोगों को भूमि अधिकार दस्तावेज वितरित करने में मदद करेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार लाभार्थियों को उनका उचित लाभ देने पर काम कर रही है। कूचबिहार में 17,160 एकड़ में फैली 111 भारतीय बस्तियां बांग्लादेश का हिस्सा बनी थीं जबकि 7110 एकड़ में फैलेी 51 बांग्लादेशी बस्तियां भारत का हिस्सा बनी थीं।

ममता ने कहा कि भारत की तरफ स्थित बस्तियों में रहने वाले करीब 37,334 लोगों ने बांग्लादेश जाने से मना कर दिया था जबकि बांग्लादेश की ओर बस्तियों में रहने वाले 922 लोगों ने भारत में रहने का निर्णय किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बस्तियों के निवासियों के आवास पर 100 करोड़ रूपये से अधिक पहले ही खर्च कर चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को केंद्र से 579 करोड़ रूपये मिले थे और उसे 426 करोड़ रूपये मिलने बाकी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को अपने खजाने से और खर्च करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने किस तरह से लंबे समय से लंबित मुद्दे को सुलझाने में मदद की। उन्होंने असम में असली नागरिकों को परेशान किए जाने की भी आलोचना की।  

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