Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jul, 2017 01:11 PM
पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन कश्मीर में हिमपात से पहले 4 बड़े आतंकी हमले कर सकते हैं।
नई दिल्ली: पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठन कश्मीर में हिमपात से पहले 4 बड़े आतंकी हमले कर सकते हैं। इसकी पुष्टि लश्कर-ए-तोयबा के को-फाऊंडर और संगठन में हाफिज के बराबर का दर्जा हासिल करने वाले मौलाना आमिर हमजा के भारत के नार्थ-ईस्ट प्लान से भी होती है जिसमें उसने श्रीनगर को आतंकी वारदातों से दहलाने की बात एक वीडियो में कही है। वीडियो में आमिर हमजा ने भूटान, सिक्किम, डोकलाम और श्रीनगर में लडऩे की बात की है, वहीं भारतीय खुफिया एजैंसियों के अनुसार लश्कर-ए-तोयबा हिमपात से पहले ये हमले कर सकता है। खुफिया एजैंसियों के अनुसार जब शरद ऋतु की शुरूआत होने को होती है तब विभिन्न आतंकवादी गुटों की घुसपैठ की कोशिशें आमतौर पर बढ़ जाती हैं। हर साल भारी हिमपात से पहाड़ी रास्ते बंद होने से पहले अधिक से अधिक घुसपैठ की कोशिश की जाती है। इसी के मद्देनजर नियंत्रण रेखा की निगरानी कर रहे सुरक्षा बलों की सतर्कता बढ़ा दी गई है।
'बड़े आतंकी हमलों की रच रहे साजिश'
इससे पहले श्रीनगर में लश्कर व हिजबुल मुजाहिद्दीन के पकड़े गए 5 आतंकियों से भी इस बात की पुख्ता जानकारी मिली है कि लश्कर और हिजबुल मुजाहिद्दीन कश्मीर में बड़े आतंकी हमलों की साजिश रच रहे हैं। पकड़े गए आतंकी कश्मीर में जिला पुलवामा के रहने वाले हैं। सूत्रों ने बताया कि ये पांचों आतंकी गुरुवार रात नागरिक सचिवालय से करीब 2 किलोमीटर दूर टंगपोरा इलाके में पकड़े गए हैं। हालांकि इस संबंध में पुलिस कुछ भी बताने को तैयार नहीं है। आतंकियों की पहचान मस्तान सबा, इशफाक अहमद डार, आरिफ अहमद डार, मसरत अहमद डार और निसार अहमद लोन के रूप में हुई है। इशफाक जिला पुलवामा के काकपोरा का रहने वाला है जबकि निसार रत्नीपोरा पुलवामा का रहने है। बाकी के तीनों लागूरा पुलवामा के हैं।
'हिमपात का फायदा उठाते हैं आतंकी'
भारत-पाक अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर 12 फुट ऊंची और 7 फुट चौड़ी जुड़वा बाड़ (कंटीली तार) लगाई गई है जो एक-दूसरे के समानांतर है। दोनों के बीच 8 फुट का फासला है लेकिन भारी हिमपात के दौरान यह रक्षा पंक्ति अपेक्षानुरूप कारगर नहीं हो पाती। भारी हिमपात के दौरान कई किलोमीटर तक हर साल करोड़ों की बाड़ क्षतिग्रस्त हो जाती है। इसका फायदा आतंकी घुसपैठ करके उठाते हैं। जब बर्फ पिघलती है तो घुसपैठ का खतरा बढऩे के साथ चुनौतियां भी बढ़ जाती हैं। काबिलेगौर है कि 1 किलोमीटर बाड़ लगाने पर करीब 8 करोड़ रुपए खर्च हो जाते हैं। वहीं हर साल 83 किलोमीटर बाड़ क्षतिग्रस्त हो जाती है। यही नहीं, 2003 में 800 मीटर की बाड़ बाढ़ में ही बह गई थी। 2004 में नियंत्रण रेखा पर बाड़ लगाई गई थी।
'स्थानीय लोगों और स्लीपर सैल की मदद'
खुफिया सूत्रों के अनुसार आतंकी संगठन पंजाब में अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ लगते गांवों में अपने स्लीपर सैल्स की मदद आतंकियों तक हथियार पहुंचाने में ले रहे हैं। वहीं जिन हमलों की आशंका जताई जा रही है उनमें भी स्लीपर सैल्स और कश्मीर में स्थानीय लोगों की मदद ली जा रही है।