Edited By shukdev,Updated: 08 Nov, 2019 05:06 PM
पाकिस्तानी आतंकवादी गुट लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित किए जाने के बावजूद साइबर क्षेत्र में सक्रिय बना हुआ है। यह बात केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने शुक्रवार को कही। उन्होंने...
नई दिल्ली: पाकिस्तानी आतंकवादी गुट लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी घोषित किए जाने के बावजूद साइबर क्षेत्र में सक्रिय बना हुआ है। यह बात केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने शुक्रवार को कही। उन्होंने कहा कि कुछ देशों में आतंकी संगठन कट्टरपंथ को बढ़ावा देने तथा अपने हितों को साधने के लिहाज से धन के लेन-देन के लिए ‘गैर लाभ वाले संगठनों (एनपीओ)' का भी इस्तेमाल करते हैं। उनका इशारा जाहिर तौर पर पाकिस्तान से चल रहे आतंकी समूहों की तरफ था।
रेड्डी मेलबर्न में ‘आतंकवाद के लिए धन नहीं' सम्मेलन के दूसरे दिन संबोधित कर रहे थे। ‘उभरती प्रौद्योगिकी और आतंकवाद वित्तपोषण के जोखिम' विषय पर गोलमेज चर्चा में मंत्री ने फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन की साइबर गतिविधियों का जिक्र किया और कहा कि आतंकी घोषित किए जाने के बावजूद यह संगठन साइबर जगत में सक्रिय है। फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन का संस्थापक हाफिज सईद लश्कर-ए-तैयबा का भी प्रमुख है।
रेड्डी ने आतंकवाद के वित्तपोषण में क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल का भी उल्लेख किया। चरमपंथ और आतंक के वित्तपोषण में एनपीओ के इस्तेमाल पर भारत का तीसरा हस्तक्षेप प्रस्तुत करते हुए रेड्डी ने कहा कि भारत के अनुभव से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि कुछ देशों में आतंकी संगठन कट्टरता को बढ़ावा देने के लिए एनपीओ का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा,‘दान और चंदों की आड़ में कुछ एनपीओ का दुरुपयोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन उगाही और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन के प्रवाह में किया जा रहा है।' कट्टरपंथ से मुकाबले की जरूरत पर जोर देते हुए रेड्डी ने मुंबई के तथाकथित परमार्थ संगठन इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का जिक्र किया जिसकी स्थापना आतंकवाद के आरोपी जाकिर नाइक ने की थी।
आईआरएफ को सरकार ने प्रतिबंधित संगठन घोषित किया है। रेड्डी ने प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया कि भारत सरकार वित्तीय कार्य बल के मानकों को लागू करने तथा प्रभावी धनशोधन रोधी एवं आतंक वित्तपोषण रोधी व्यवस्था स्थापित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है ताकि आतंकवाद को आर्थिक मदद देने वाले ढांचों को तबाह किया जा सके। मंत्री पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी के महानिदेशक वाई सी मोदी भी शामिल हैं। ‘आतंकवाद के लिए धन नहीं' सम्मेलन का आयोजन 100 से ज्यादा देशों की वित्तीय खुफिया इकाइयों (एफआईयू) द्वारा किया जाता है। इसे सामूहिक रूप से एग्मॉन्ट समूह भी कहते हैं।