Edited By Tanuja,Updated: 30 May, 2021 07:27 PM
तिब्बत की निर्वासित संसद के पूर्व अध्यक्ष पेनपा त्सेरिंग के निर्वासित सरकार का नया राष्ट्रपति बनने के बाद देश-विदेश से बधाई मिलने का सिलसिला लगातार जारी है...
इंटरनेशनल डेस्क: तिब्बत की निर्वासित संसद के पूर्व अध्यक्ष पेनपा त्सेरिंग के निर्वासित सरकार का नया राष्ट्रपति बनने के बाद देश-विदेश से बधाई मिलने का सिलसिला लगातार जारी है। कई देशों के तिब्बत सहायता समूह के सांसदों और सदस्यों ने निर्वासित तिब्बती सरकार के नवनिर्वाचित अध्यक्ष पेन्पा त्सेरिंग को बधाई दी है। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के अनुसार स्विट्जरलैंड, कनाडा, यूनाइटेड किंगडम, बाल्टिक राज्यों, चिली, जर्मनी और नॉर्वे में तिब्बत सहायता समूह के सांसदों और सदस्यों के अलावा दुनिया भर के तिब्बती मित्रों ने नव निर्वाचित पेनपा त्सेरिंग को बधाई संदेश भेजे और उनका राष्ट्रपति बनने पर गर्मजोशी से स्वागत किया व शुभकामनाएं दीं।
पेनपा त्सेरिंग को भारत, नेपाल, उत्तरी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अन्य जगहों पर निर्वासन में रह रहे लगभग 64,000 तिब्बतियों ने चुना। मतदान जनवरी और अप्रैल में दो दौर में हुआ था। दलाई लामा के किसी भी राजनीतिक भूमिका से हटने के बाद से तिब्बती निर्वासित नेतृत्व का यह तीसरा प्रत्यक्ष चुनाव था। बता दें कि 1950 में चीनी सरकार ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया और तब से इस क्षेत्र को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है।
दलाई लामा जो वर्तमान में 85 वर्ष के हैं, ने पहले घोषणा की थी कि 90 वर्ष की आयु में वह तय करेंगे कि उनका पुनर्जन्म होना चाहिए या नहीं। हाल के वर्षों में चीन ने तिब्बती पहचान को कुचलने के लिए दलाई लामा को उनके धार्मिक जीवन से मिटाने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। एक बैठक के दौरान माओत्से तुंग ने 14वें दलाई लामा से कहा था कि "धर्म जहर है।"