कसाब का बचाव करने वाले वकीलों को अभी तक नहीं मिली है फीस

Edited By shukdev,Updated: 25 Nov, 2018 06:31 PM

lawyers defending kasab have not yet received the fees

बम्बई उच्च न्यायालय के निर्देश पर 2008 मुम्बई हमला मामले में अजमल कसाब का बचाव करने वाले दो वकीलों को महाराष्ट्र सरकार से अभी तक अपनी फीस नहीं मिली है। हालांकि राज्य सरकार का कहना है कि उन्होंने (वकीलों) कोई बिल जमा नहीं कराए हैं। वकीलों का कहना है...

मुम्बई : बम्बई उच्च न्यायालय के निर्देश पर 2008 मुम्बई हमला मामले में अजमल कसाब का बचाव करने वाले दो वकीलों को महाराष्ट्र सरकार से अभी तक अपनी फीस नहीं मिली है। हालांकि राज्य सरकार का कहना है कि उन्होंने (वकीलों) कोई बिल जमा नहीं कराए हैं। वकीलों का कहना है कि राज्य अभियोजकों को ऐसा करना ही नहीं था। बम्बई उच्च न्यायालय के तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जे एन पटेल द्वारा दो वकीलों अमीन सोलकर और फरहाना शाह को नामांकित किए जाने के बाद महाराष्ट्र राज्य कानूनी सेवा विभाग ने इन वकीलों को कसाब का बचाव करने का काम सौंपा था।

मुम्बई में हुए आतंकवादी हमले में 166 लोग मारे गए थे और इस हमले के लिए दोषी ठहराए गए कसाब को 21 नवम्बर,2012 को फांसी पर लटका दिया गया था। आठ जून,2010 को उनकी नियुक्ति संबंधी एक अधिसूचना जारी की गई थी। अधिसूचना के अनुसार, सोलकर को लोक अभियोजक के लिए स्वीकृत पारिश्रमिक मिलना था और शाह को सहायक अभियोजक के बराबर शुल्क प्राप्त होना था। सोलकर और शाह ने बम्बई उच्च न्यायालय में मौत की सजा के खिलाफ लगभग नौ महीनों तक कसाब के लिए दिन प्रतिदिन के आधार पर बहस की थी। इसके एक साल बाद उच्चतम न्यायालय में उसकी सजा को बरकरार रखा गया था और 2012 में उसे पुणे की यरवदा जेल में फांसी पर लटका दिया गया था।

सोलकर और शाह ने बताया कि उन्हें अभी अपनी फीस प्राप्त नहीं हुई है। दोनों वकीलों ने कहा कि उन्होंने मामले को प्राथमिकता दी थी क्योंकि उच्च न्यायालय इसकी दिन-प्रतिदिन के आधार पर सुबह 11 से शाम पांच बजे तक सुनवाई कर रहा था। सोलकर ने कहा,‘मैं नहीं जानता हूं कि राज्य सरकार ने हमारी फीस का भुगतान करने के लिए कोई प्रयास क्यों नहीं किए। उच्च न्यायायल द्वारा फैसला दिये सात वर्ष हो गए है। उच्चतम न्यायालय ने मौत की सजा की पुष्टि की थी और कसाब भी मर चुका है। लेकिन हम अभी भी (अपनी फीस के लिए) इंतजार कर रहे है।’ उन्होंने कहा कि वह राज्य सरकार से अपनी फीस प्राप्त करने के लिए कानूनी कार्रवाई किए जाने पर विचार कर रहे है। वहीं दूसरी ओर शाह ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मामले में पेश होने के लिए उन्हें उनका पारिश्रमिक मिलेगा।

इस बीच राज्य सरकार के विधि और न्यायपालिका विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार दो वकीलों द्वारा अपने बिल जमा कराने के बाद ही उनकी फीस का भुगतान करेगी। निचली अदालत में कसाब का बचाव करने वाले एक वकील अब्बास काजमी ने दावा किया कि सरकार ने उनकी सेवाओं के लिए उनकी फीस का भुगतान कर दिया है।

काजमी ने कहा,‘सुनवाई पूरी होने के तुरन्त बाद ही सरकार ने मेरा पारिश्रमिक दे दिया था।’ गौरतलब है कि 26 नवम्बर,2008 की रात को मुम्बई के कई महत्वपूर्ण स्थानों पर हुए 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमले किए थे। हमले में 166 लोग मारे गए थे और 600 से अधिक घायल हुए थे। ये हमले तीन दिन तक चले थे। नौ आतंकवादी मारे गए थे जबकि मुम्बई पुलिस ने कसाब को जिंदा पकड़ लिया था।

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