J&K के उपराज्यपाल बोले-परिसीमन के बाद होंगे चुनाव, खफा चुनाव आयोग ने कहा, ये हम तय करेंगे

Edited By Yaspal,Updated: 28 Jul, 2020 06:15 PM

lg said that elections will be held after delimitation ec said we will decide

निर्वाचन आयोग ने जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल जी सी मुर्मू के द्वारा केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव के समय को लेकर मीडिया में दिए कथित बयानों पर ‘‘आपत्ति'''' जताते हुए मंगलवार को कहा कि संवैधानिक प्रावधानों में चुनावों का समय आदि तय करने के लिए...

नई दिल्लीः निर्वाचन आयोग ने जम्मू एवं कश्मीर के उपराज्यपाल जी सी मुर्मू के द्वारा केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव के समय को लेकर मीडिया में दिए कथित बयानों पर ‘‘आपत्ति'' जताते हुए मंगलवार को कहा कि संवैधानिक प्रावधानों में चुनावों का समय आदि तय करने के लिए केवल चुनाव आयोग ही अधिकृत है। मीडिया में छपे मुर्मू के बयानों को संज्ञान में लेते हुए आयोग ने इस पर आपत्ति जताई और उपराज्यपाल को याद दिलाया कि ‘‘संवैधानिक प्रावधानों में चुनावों का समय आदि तय करना भारत के चुनाव आयोग का एकमात्र अधिकार है।'' साथ ही आयोग ने गत वर्ष नवम्बर और इस साल जून में भी इस संबंध में मुर्मू द्वारा गए बयान का जिक्र किया।

आयोग ने अपने बयान में कहा, ‘‘चुनाव आयोग के अलावा अन्य अधिकारियों के लिए इस तरह के बयान देने से परहेज करना उचित होगा। इस प्रकार के बयान चुनाव आयोग को मिले संवैधानिक अधिकारों में वस्तुत: हस्तक्षेप करने के समान हैं।'' आयोग ने कहा कि चुनाव का समय तय करने से पहले वह चुनाव वाले इलाके में वहां की भौगोलिक स्थिति, मौसम और क्षेत्रीय तथा स्थानीय उत्सवों से उत्पन्न होने वाली संवेदनशीलता सहित सभी प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखता है।

आयोग ने कहा, ‘‘उदाहरण के तौर पर कोविड-19 के मौजूदा समय, जिसने एक नये बदले हुए हालात पैदा कर दिये हैं तथा नियत समय पर विचार करते समय इस पर भी ध्यान रखा जाना चाहिए। मौजूद मामले में परिसीमन के नतीजे को भी निर्णय लेते वक्त ध्यान में रखना समुचित होगा।'' आयोग ने ध्यान दिलाया कि केंद्रीय पुलिस बलों (सीपीएफ) की उपलब्धता और उनके परिवहन के लिए रेलवे के कोच होना भी ऐसे महत्वपूर्ण कारक हैं जिन पर निर्णय करते समय ध्यान देना होगा।

आयोग ने कहा, ‘‘यह सब आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सावधानीपूर्वक सोच-विचार के बाद किया जाता है और संबंधित अधिकारियों के साथ गहन परामर्श के बाद विस्तृत आकलन किया जाता है।'' बयान के अनुसार जब भी आवश्यकता होती है, आयोग स्वयं उन चुनावी राज्यों का दौरा करता है और सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करता है।

जम्मू एवं कश्मीर राज्य का गत वर्ष 31 अक्टूबर में पुनर्गठन करते हुए उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया था। इसके तहत जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभा का प्रावधान रखा गया जबकि लद्दाख में यह प्रावधान नहीं है। सरकार ने इससे पहले परिसीमन आयोग का गठन कर जम्मू एवं कश्मीर व पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में विधानसभा और संसदीय सीटों के पुन: परिसीमन की प्रक्रिया आरंभ की थी। परिसीमन विधानसभा व संसदीय क्षेत्रों की सीमाओं का तय करने की प्रक्रिया है।

जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन कानून के मुताबिक, ‘‘केंद्र शासित जम्मू एवं कश्मीर में विधानसभाओं की संख्या 107 से बढ़ कर 114 होगी।'' जम्मू एवं कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया के संदर्भ में एक सावल के जवाब में मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने हाल में बताया था कि इनमें से 24 सीटें पाकिस्तान अधिग्रहित कश्मीर में हैं। उन्होंने कहा था कि प्रभावी तौर पर राज्य विधानसभा की सीटों की संख्या 83 से बढ़ कर 90 हो जाएगी।

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