Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Dec, 2017 12:32 AM
एम वेंकैया नायडू ने वीरवार को कहा कि वह आज उस आजादी को याद करते हैं जब वह उपराष्ट्रपति नहीं हुआ करते थे तथा आसानी से लोगों से मिला-जुला करते थे। साथ ही वह किसी प्रोटोकॉल से बंधे नहीं थे। दिल्ली अखबार लोकमत के दिल्ली संस्करण को लॉन्च करने के लिए...
नई दिल्ली: एम वेंकैया नायडू ने वीरवार को कहा कि वह आज उस आजादी को याद करते हैं जब वह उपराष्ट्रपति नहीं हुआ करते थे तथा आसानी से लोगों से मिला-जुला करते थे। साथ ही वह किसी प्रोटोकॉल से बंधे नहीं थे। दिल्ली अखबार लोकमत के दिल्ली संस्करण को लॉन्च करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में उपाध्यक्ष ने कहा कि जीवन के बिना किसी भी तरह की बातचीत "पत्नी के बिना जीवन" जैसी है।
नायडू ने कहा कि उन्हें किसी आधिकारिक कार्यक्रम के दौरान दोस्तों से मिलने के बहुत कम ही अवसर मिलते हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि आप पद के प्रोटोकाल से बंधे होते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुलाकात, दुआ-सलाम के बगैर जीवन कहां हैं? अगर आप लोगों से मिलते नहीं हैं, दुआ-सलाम नहीं करते हैं तो ऐसा लगता है कि आप बिना पत्नी के जिंदगी जी रहे हैं।’’ उनके इतना कहते ही पूरे हॉल ठहाकों की गूंज से भर गया। नायडू ने कहा, ‘‘मैं क्या कर सकता हूं? मुझे नहीं मालूम। मैं समझने का प्रयत्न कर रहा हूं।’’